महापुरुषों की संकल्पनानुसार भारत निर्माण के लिए उनके विचारों को समझना होगा – डॉ. मोहन राव भागवत
नई दिल्ली. राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक डॉ. मोहन राव भागवत जी
ने कहा कि भारत निर्माण की कल्पना करने वाले प्रत्येक व्यक्ति को समझना
अत्यंत आवश्यक है. निर्माताओं ने क्या सोचा था, उनकी दिशा दृष्टि, विचार
क्या थे, उस पर विचार करना होगा. मेरा मत है कि अभी भारत निर्माण हुआ नहीं
है, अभी भारत निर्माण करना बाकी है. महापुरुषों की संकल्पना के अनुसार भारत
निर्माण करने के लिए उनके विचारों को समझना होगा. सरसंघचालक जी ने कहा कि
वर्तमान में महापुरुषों को हमने अलग-अलग श्रेणियों में बांटकर पिंजड़ों में
बंद कर दिया है. महापुरुषों को बांटकर रख दिया, लेकिन सबकी दृष्टि समान
थी, एक राष्ट्रीय धारा थी. सब इस पवित्र मिट्टी के जाये (जन्मे) भारत माता
के सपूत थे. इसलिए हमें महापुरुषों के प्रति देखने की अपनी दृष्टि बदलनी
होगी. यदि देशहित में काम करने वाली, सोचने वाली दो विचारधाराएं साथ आएं,
तो दुख कैसा.
सरसंघचालक जी बाबा साहेब आंबेडकर जी पर अर्थशास्त्री डॉ. नरेंद्र जाधव
द्वारा संपादित, संकलित पुस्तकों के लोकार्पण समारोह में संबोधित कर रहे
थे. पुस्तकों में डॉ. आंबेडकर जी के विचारों, भाषणों को शामिल किया गया है.
उन्होंने कहा कि हमारा मार्गदर्शक कौन है, इस पर
विचार करने के लिए मनुष्य के व्यक्तित्व, उसके त्याग, निस्वार्थ भाव,
लोगों के दुख को नष्ट करने की सोचता है या नहीं अथवा अपनी प्रसिद्धि के
बारे में सोचता है…यह विचार करना होगा. देश के प्रत्येक घटक के प्रति जिनके
मन में दर्द है, वह वास्तव में हमारे मार्गदर्शक हैं. डॉ. आंबेडकर जी का
संघ से नाता काफी पुराना है, वर्ष 1939 में संघ शिक्षा वर्ग में डॉ.
आंबेडकर जी अचानक आए थे, तो उस दौरान डॉ. हेडगेवार जी ने दोपहर बाद बौद्धिक
वर्ग के स्थान पर भारत में दलित समस्या और दलितोद्धार विषय पर बाबा साहेब
का भाषण करवाया था.
सरसंघचालक जी ने कहा कि संघ महापुरुषों को व्यापार की वस्तु नहीं मानता,
न ही संघ प्रसिद्धि, लोकप्रियता के लिए कार्य करता है, यह अपने स्वभाव में
ही नहीं है. संघ महापुरुषों के विचारों को अपने आचरण में लाने का अभ्यास
करता है. वास्तव में किसी महापुरुष का नाम धारण करने के लिए, अपने साथ
जोड़ने के लिए शील, समर्पण, प्रामाणिकता चाहिए, यह सती के व्रत के समान
कठिन है, आसान काम नहीं है. डॉ. आंबेडकर जी ने समाज से विषमता उन्मूलन के
लिए कार्य करने के साथ ही पूरे राष्ट्र का चिंतन किया. उन्होंने अपने जीवन
में घोर उत्पीड़न, प्रताड़ना, तिरस्कार, अपमान का सामना किया, लेकिन उनके
मन में एक क्षण के लिए भी देश के प्रति विद्वेश नहीं हुआ.
डॉ. भागवत जी ने कहा कि हमें संपूर्ण समाज को एक साथ आगे बढ़ाना है,
समाज से विषमता को दूर करना है तो डॉ. आंबेडकर जी के विचारों को पढ़ना
होगा, उन्हें समझना होगा. उन्हें समझे बिना, जाने बिना, पढ़े बिना पूर्णता
नहीं आ पाएगी. समाज के प्रत्येक क्षेत्र राजनीतिक, सामाजिक, आर्थिक क्षेत्र
में समरसता लानी होगी. सबका लक्ष्य राष्ट्र को आगे ले जाना है, इसके लिए
वैचारिक मतभेद होने के बाद भी संवाद करने की वृत्ति की आवश्यकता है.
अर्थशस्त्री, योजना आयोग के पूर्व सदस्य व पुस्तकों के संपादन व
संकलनकर्ता डॉ. नरेंद्र जाधव ने कहा कि वह किसी राजनीतिक दल से संबंधित
नहीं हैं, लेकिन वे अंबेडकरवादी थे, अंबेडकरवादी हैं तथा हमेशा रहेंगे.
बाबा साहेब उनके लिए अखंड प्रेरणा स्रोत हैं. पुस्तकों में बाबा साहेब के
विचार और सारगर्भित भाषण शामिल हैं. उन्होंने कहा कि भारतीय समाज ने बाबा
साहेब को न ठीक से समझा और न ही जाना. वह केवल दलित नेता नहीं थे, उन्होंने
सारा जीवन राष्ट्र निर्माण, समाज की चेतना जगाने में लगाया. वह देश के
पहले प्रशिक्षित अर्थशास्त्री थे. डॉ. जाधव ने डॉ. आंबेडकर जी के विचारों
पर विस्तार से प्रकाश डाला. उन्होंने कहा कि सरसंघचालक जी द्वारा पुस्तकों
के लोकार्पण पर प्रसन्नता का अनुभव कर रहे हैं. पर, उनके कुछ मित्र
कार्यक्रम का पता चलने पर आपत्ति जता रहे हैं, सोशल मीडिया पर उनकी आलोचना
हो रही है, टीवी पर चर्चा हो रही है, कुछ को राजनीति भी नजर आ रही है. कुछ
ने तो यह भी पूछना शुरू कर दिया है कि आप बीजेपी में कब जा रहे हैं. पर,
उन्हें इससे कोई मतलब नहीं है.
कार्यक्रम में डॉ. भीमराव आंबेडकर जी पर लोकार्पित पुस्तकें – आत्मकथा
एवं जनसंवाद, सामाजिक विचार एवं दर्शन, आर्थिक विचार एवं दर्शन, राजनीति,
धर्म और संविधान विचार ….पुस्तकों का प्रकाशन प्रभात प्रकाशन ने किया है.
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दिल्ली में डॉ. आंबेडकर जी पर आधारित पुस्तकों का लोकार्पण समारोह
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