नई दिल्ली: लोकसभा ने आधिकारिक रूप से इमिग्रेशन एंड फॉरेनर्स बिल, 2025 को पारित कर दिया है, जो भारत में आप्रवासन नियमों को कड़ा करने और विदेशी नागरिकों के प्रवेश को नियंत्रित करने के उद्देश्य से एक महत्वपूर्ण विधायी कदम माना जा रहा है। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने इस बिल के उद्देश्यों को स्पष्ट करते हुए कहा, “भारत कोई धर्मशाला नहीं है,” यह दर्शाते हुए कि देश उन लोगों के लिए शरणस्थली नहीं बनेगा जिनकी मंशा गलत है।
बिल के प्रमुख प्रावधान:
भारत में प्रवेश करने वाले विदेशी नागरिकों की निगरानी और पंजीकरण प्रणाली को मजबूत करना।
फर्जी पासपोर्ट और दस्तावेजों के उपयोग पर कड़ी सजा।
राष्ट्रीय सुरक्षा को खतरा पहुंचाने वाले विदेशी नागरिकों के प्रवेश पर प्रतिबंध।
आप्रवासन अधिकारियों को अधिक अधिकार, जिससे वे संदिग्ध विदेशी नागरिकों को भारत में प्रवेश से रोक सकें।
विदेशी नागरिकों के वीज़ा, प्रवास की अवधि और उद्देश्य पर सख्त निगरानी।
अमित शाह ने लोकसभा में बहस के दौरान कहा कि भारत में पर्यटन, शिक्षा और व्यापार के लिए आने वालों का स्वागत है, लेकिन रोहिंग्या और बांग्लादेशी घुसपैठियों जैसे तत्वों पर सख्त कार्रवाई होगी। उन्होंने जोर देकर कहा कि इस बिल से विदेशी नागरिकों पर निगरानी रखने और उनकी गतिविधियों को नियंत्रित करने में मदद मिलेगी।
बिल पर चर्चा के दौरान विपक्ष ने इसमें कुछ संशोधन प्रस्तावित किए थे, जिन्हें मत विभाजन (वॉयस वोट) के दौरान अस्वीकार कर दिया गया। विपक्षी दलों ने इस विधेयक को कुछ समूहों के खिलाफ भेदभावपूर्ण बताया, लेकिन शाह ने स्पष्ट किया कि इसका उद्देश्य केवल राष्ट्रीय सुरक्षा को मजबूत करना है।
गृह मंत्री ने इस दौरान भारत-बांग्लादेश सीमा सुरक्षा की स्थिति पर भी चिंता जताई। उन्होंने विशेष रूप से बंगाल-बांग्लादेश सीमा (450 किमी का क्षेत्र) का उल्लेख किया, जहां उन्होंने तृणमूल कांग्रेस (TMC) सरकार पर सीमा बाड़ लगाने के प्रयासों में बाधा डालने का आरोप लगाया। शाह ने दावा किया कि सीमा पर बाड़ लगाने के दौरान धार्मिक नारेबाजी की जा रही है, जिससे सुरक्षा एजेंसियों के प्रयासों में कठिनाई आ रही है।
अब यह विधेयक राज्यसभा में चर्चा के लिए भेजा जाएगा। यदि इसे वहां से मंजूरी मिलती है, तो यह भारत के आप्रवासन कानूनों में व्यापक बदलाव लाने वाला एक ऐतिहासिक कानून बन सकता है।
इस विधेयक के पारित होने से भारत के आप्रवासन और राष्ट्रीय सुरक्षा ढांचे को मजबूत करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाया गया है। इससे अवैध घुसपैठियों और राष्ट्रीय सुरक्षा को खतरा पहुंचाने वाले तत्वों पर सख्ती बरती जा सकेगी, जिससे देश की सीमाएं और अधिक सुरक्षित हो सकेंगी।