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Axiom-4 मिशन: भारत, पोलैंड और हंगरी के लिए ऐतिहासिक अंतरिक्ष उड़ान

Axiom-4 (Ax-4) मिशन 25 जून 2025 को फ्लोरिडा के केनेडी स्पेस सेंटर से SpaceX Falcon 9 रॉकेट के जरिए सफलतापूर्वक लॉन्च हुआ। इस मिशन में पहली बार भारत, पोलैंड और हंगरी के अंतरिक्ष यात्री एक साथ अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) पहुंचे हैं, और यह इन देशों की 40 साल बाद पहली सरकारी मानव अंतरिक्ष उड़ान है।

Ax-4 की कमान अमेरिका की अनुभवी अंतरिक्ष यात्री पैगी व्हिटसन के पास है, जबकि भारत से ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला पायलट के रूप में, पोलैंड के स्लावोश उज़नांस्की-विस्निएव्स्की और हंगरी के तिबोर कापू मिशन स्पेशलिस्ट के रूप में शामिल हैं। यह मिशन कुल 14 दिनों तक ISS पर रहेगा, जहां चारों अंतरिक्ष यात्री 60 से अधिक वैज्ञानिक प्रयोग और तकनीकी डेमो करेंगे, जिनमें 31 देशों की सहभागिता है।

Ax-4 मिशन का उद्देश्य माइक्रोग्रैविटी में जैविक, भौतिक, पृथ्वी अवलोकन और औद्योगिक अनुसंधान को बढ़ावा देना है। यह मिशन Axiom Space के भविष्य के वाणिज्यिक अंतरिक्ष स्टेशन ‘Axiom Station’ के लिए नींव तैयार करने में भी मदद करेगा।

Ax-4 की लॉन्चिंग कई बार तकनीकी और मौसम संबंधी कारणों से टली थी, लेकिन अंततः 25 जून को 2:31 AM ET (12:01 PM IST) पर यह सफलतापूर्वक रवाना हुआ और 26 जून को सुबह 7 बजे IST के आसपास ISS से डॉकिंग करेगा।

यह मिशन न केवल भारत, पोलैंड और हंगरी के लिए ऐतिहासिक है, बल्कि वैश्विक अंतरिक्ष सहयोग, निजी कंपनियों की भूमिका और विज्ञान में अंतरराष्ट्रीय साझेदारी का भी प्रतीक है।

Axiom-4 मिशन में भारतीय वायुसेना के ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला ने इतिहास रचते हुए 41 साल बाद भारत को फिर से अंतरिक्ष में गौरवान्वित किया। इस मिशन में ISRO ने न केवल वैज्ञानिक अनुसंधान में योगदान दिया, बल्कि एक संभावित अंतरिक्ष आपदा को टालने में भी निर्णायक भूमिका निभाई।

Axiom-4 मिशन की लॉन्चिंग से पहले कई तकनीकी और मौसम संबंधी बाधाएं आईं। सबसे बड़ी चुनौती तब सामने आई जब Falcon 9 रॉकेट और अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) के रूसी मॉड्यूल में लीक की समस्या सामने आई। ISRO के वैज्ञानिकों ने NASA, SpaceX और रूसी एजेंसी Roscosmos के साथ मिलकर इन तकनीकी खामियों का विश्लेषण किया। ISRO की विशेषज्ञ टीम ने ISS के Zvezda सर्विस मॉड्यूल के ट्रांसफर टनल में हुई मरम्मत की गुणवत्ता की समीक्षा की और सुरक्षा संबंधी सिफारिशें साझा कीं, जिससे मिशन को “ऑल क्लियर” सिग्नल मिला और लॉन्चिंग सुरक्षित ढंग से संभव हो सकी।

ISRO की टीम ने मिशन के हर चरण में सक्रिय भूमिका निभाई—चाहे वह अंतरिक्ष यान की तकनीकी जांच हो या ISS के साथ डॉकिंग के समय रियल-टाइम डेटा मॉनिटरिंग। ISRO के सहयोग से भारतीय वैज्ञानिकों के माइक्रोग्रैविटी रिसर्च और अन्य प्रयोग भी सुरक्षित तरीके से मिशन में शामिल किए गए। शुभांशु शुक्ला की इस ऐतिहासिक उड़ान ने न केवल भारत की मानव अंतरिक्ष उड़ान क्षमता को स्थापित किया, बल्कि ISRO की तकनीकी विशेषज्ञता और वैश्विक अंतरिक्ष साझेदारी की विश्वसनीयता को भी साबित किया।

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