Vishwa Samvad Kendra Jodhpur

भूकंप पीड़ितों की मदद के लिये 1600 से अधिक स्वयंसेवक कार्य में जुटे हैं

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भूकंप पीड़ितों की मदद के लिये 1600 से अधिक स्वयंसेवक कार्य में जुटे हैं

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राहत  कार्य का एक चित्र
दिल्ली.
राष्ट्रीय सेवा भारती के अध्यक्ष सूर्य प्रकाश टोंक, सेवा इंटरनेशनल के
संयोजक श्याम परांडे जी ने राष्ट्रीय सेवा भारती दिल्ली के कार्यालय में
आयोजित संयुक्त प्रेस वार्ता में कहा कि 25 अप्रैल 2015 को विनाशकारी भूकंप
ने हमारे पड़ोसी देश में लगभग 15 हजार लोगों की जान ले ली, हजारों घरों को
धराशायी कर दिया और जान व माल को भारी नुकसान पहुंचाया. दो करोड़ की
जनसंख्या वाले देश को इतना बढ़ा आघात वस्तुत: घोर पीड़ादायक है.
उन्होंने कहा कि भारत और नेपाल के हजारों साल से परस्पर सांस्कृतिक,
ऐतिहासिक और सामाजिक संबंध हैं. भारत के लिये अपने पड़ोसी देश की कठिन
क्षणों में तत्काल मदद के लिये आगे आना स्वाभाविक ही था. इस नाज़ुक मौके पर
भारत के सभी राज्यों के लोग उठ खड़े हुये और उन्होंने राष्ट्रीय सेवा
भारती को सौंपने के लिये बड़े पैमाने पर सहायता सामग्री एकत्र कर ली. नेपाल
में राहत कार्यों का नेतृत्व हिंदू स्वयंसेवक संघ और 6 अन्य संगठनों ने
किया. उन्होंने आपदा आने के बाद तीन घंटे के भीतर बचाव व राहत कार्य
प्रारम्भ कर दिये. हिंदू स्वयंसेवक संघ और अन्य संगठनों के 1600 से अधिक
स्वयंसेवक नेपाल के सभी आपदाग्रस्त जिलों में राहत गतिविधियों में जुट गये.
हिंदू स्वयंसेवक संघ नेपाल के साथ काम करने वाले अन्य संगठनों में
जनकल्याण प्रतिष्ठान नेपाल, पशुपति शिक्षा समिति, प्राज्ञिक विद्यार्थी
परिषद नेपाल, विश्व हिंदू परिषद नेपाल, जनजाति कल्य़ाण परिषद नेपाल और सेवा
इंटरनेशनल नेपाल सम्मिलित हैं.
11203073 749253781863058 3064466856859282607 nपड़ोसी देश के लिये अपनेपन की अभिव्यक्ति टेलिफोन कॉलों के निरंतर
सिलसिले और सभी प्रकार की राहत सामग्री प्रदान करने की इच्छा से हुई. भूकंप
से प्रभावित आबादी को तत्काल भोजन और अस्थायी आश्रय-स्थलों की आवश्यकता
थी. भूकंप आने के बाद तीन दिन के भीतर राष्ट्रीय सेवा भारती अपेक्षित
सामग्री लेकर रवाना हो गई. भारत से नेपाल भेजी गयी कुछ राहत सामग्री के
विवरण का उल्लेख करना सुसंगत होगा.
पड़ोसी देश के लिये अपनेपन की अभिव्यक्ति टेलिफोन कॉलों के निरंतर
सिलसिले और सभी प्रकार की राहत सामग्री प्रदान करने की इच्छा से हुई. भूकंप
से प्रभावित आबादी को तत्काल भोजन और अस्थायी आश्रय-स्थलों की आवश्यकता
थी. भूकंप आने के बाद तीन दिन के भीतर राष्ट्रीय सेवा भारती अपेक्षित
सामग्री लेकर रवाना हो गई. भारत से नेपाल भेजी गयी कुछ राहत सामग्री के
विवरण का उल्लेख करना सुसंगत होगा.तिरपाल                  55133 (संख्या में)

चावल                    40,000 किग्रा

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कैप्शन जोड़ें

चिड़वा                    1500 बोरे

गेहूं का आटा          1300 बोरे

कंबल                    83790 (संख्या  में)

खाद्य पैकेट्स         70764

चीनी                    13017 किग्रा

नमक                   1877 किग्रा

गुड़                      500 बोरे

तंबू                      2800 (संख्या में)

दुग्ध पाउडर        8035 किग्रा

औषधियां          5 लाख रुपये मूल्य की

आज की तारीख तक वायु, रेल और सड़क मार्ग से नेपाल भेजी जाने वाली राहत
सामग्री का कुल वजन 200 मीट्रिक टन से अधिक है. जबकि 30 टन सामग्री अभी
भेजी जानी है.

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राष्ट्रीय सेवा भारती नेपाल में बड़े पैमाने पर राहत गतिविधियों में
सहयोग करने के लिये दानदाताओं और अंशदाताओं को अपने अंशदानों, सामग्री और
धन को राष्ट्रीय सेवा भारती के माध्यम से भेजने के लिये और उस पर विश्वास
व्यक्त करने के लिये धन्यवाद देती है. राष्ट्रीय सेवा भारती को सहयोग देने
वाले प्रमुख संगठनों में रोटरी इंटरनेशनल, बुलियन मर्चेन्ट एसोसिएशन,
ब्रह्माकुमारीज, शास्त्र यूनिवर्सिटी, भारत विकास परिषद, इंडियन ऑयल
कॉर्पोरेशन, गोकुल व्रज फाउंडेशन, आशीर्वाद ट्रस्ट, अखिल भारतीय विद्यार्थी
परिषद, विश्व हिंदू परिषद और दिल्ली की रेजिडेन्ट वेलफेयर एसोसिएशनें
शामिल हैं. बहुत से स्वयंसेवकों ने नेपाल में सेवा करने की इच्छा व्यक्त की
है. उन्हें हम जब आवश्यकता होगी, तब सूचित करेंगे. हम नेपाल में
निस्स्वार्थ भाव से सेवा करने वाले हिंदू स्वयंसेवक संघ और अन्य संगठनों के
स्वयंसेवकों की भी सराहना करते हैं.

उन्होंने बताया कि भूकंप से नेपाल के कम से कम 12 जिलों और भारत के कुछ
हिस्सों में व्यापक तबाही हुयी. भूकंप के कारण 15 हजार (संभावना) से अधिक
लोगों की मौत हो गयी. यह भी माना जा रहा है कि घायलों की संख्या 25 हजार से
अधिक है. नेपाल के पर्वतीय जिलों में हजारों घर विनष्ट हो गये. काठमांडू
समेत नेपाल के विभिन्न भागों में अनेक मंदिर, मठ और पुरातात्विक महत्व की
धरोहर- इमारतें धराशायी हो गयीं. इनमें पाटन कृष्ण मंदिर, पाटन दरबार
स्क्वायर, बसंतपुर हनुमान ढोकादरबार स्क्वायर, भक्तापुर दरबार स्क्वायर और
तलेजू मंदिर शामिल हैं. ऐतिहासिक एवं सांस्कृतिक दृष्टि से अति महत्वपूर्ण
नौ मंजिला भीमसेन धरहरा टॉवर संभवत: सर्वाधिक गंभीर क्षति है.
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सर्वाधिक प्रभावित काठमांडू, भक्तापुर, ललितपुर, धाडिंग, खब्रेपालनचौक,
नूवाकोट, रसुवा, दोलखा, गोरखा, रामेछाप, सिंधुपालचौक और लामजुंग जैसे 12
जिलों में राहत सामग्री लगातार वितरित की जाती रही. कुछ जिलों में 90
प्रतिशत मकान भूकंप से नष्ट हो गये हैं. स्वयंसेवकों ने आपदा से घिरे लोगों
को राहत सामग्री उपलब्ध कराने के लिये कुछ जिलों के सुदूरवर्ती ग्रामों
में पहुंचने का प्रयास किया जो 10000+ फीट की ऊंचाई पर स्थित हैं. उनकी
वर्षा/हवा/धूप से परिवारों और दाल-चावल जैसी खाद्य सामग्री की सुरक्षा के
लिये तिरपाल उपलब्ध कराने की मांग को पूरा किया जा रहा है.

11194521 751055458349557 3402540012747513555 oहिंदू स्वयंसेवक संघ के नेतृत्व में कार्यरत संगठनों ने बचाव एवं राहत
कार्यों के लिये अब तक अपने 1600 से अधिक स्वयंसेवकों को सफलतापूर्वक तैनात
किया और वे नेपाल के आपदाग्रस्त 12 जिलों के 350 से अधिक ग्रामों में
पहुंच चुके हैं. नेपाल पहुंचकर पांच दिन रहकर राहत कार्यों में सम्मिलित
होने वाले राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सहसरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबले जी,
और सुनिल आंबेकर के मार्गदर्शन ने सभी स्वयंसेवकों का मनोबल बढ़ाया. भूकंप
से प्रभावित लोगों की सेवा के लिये की जाने वाली गतिविधियों को उचित दिशा
मिली.

हिंदू स्वयंसेवक संघ ने नाजुक मौके पर बड़े पैमाने पर राष्ट्रीय सेवा
भारती के माध्यम से राहत सामग्री भेजने के लिये भारत के लोगों की सराहना
की. काठमांडू में स्थित भारतीय दूतावास की भूमिका की भी सराहना की, जिसने
भूकंपग्रस्त क्षेत्रों में 24 घंटे उपयुक्त सेवायें उपलब्ध कराने के लिये
कोई कसर शेष नहीं छोड़ी.

आरोग्य भारती के चिकित्सक दल, नेशनल मेडिकोज ऑर्गेनाइजेशन सहित अन्य का
भी धन्यवाद किया, जिन्होंने राहत कार्यों में दवाओं एवं मेडिकल किट के साथ
शामिल होकर अनेक जीवन बचाये.
साभार: vskbharat.com

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