बांग्लादेश की अंतरराष्ट्रीय अपराध न्यायाधिकरण (International Crimes Tribunal) ने पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना और दो अन्य वरिष्ठ अधिकारियों पर ‘मानवता के खिलाफ अपराध’ (crimes against humanity) के आरोपों में मुकदमा शुरू कर दिया है। ये आरोप 2024 में उनकी सरकार के खिलाफ हुए छात्र आंदोलन के दौरान हुई हिंसक कार्रवाई से जुड़े हैं, जिसमें सैकड़ों लोगों की मौत हुई थी।
मुख्य आरोप और घटनाक्रम
- आरोप:
शेख हसीना, पूर्व गृह मंत्री असदुज्जमान खान कमाल और पूर्व पुलिस प्रमुख चौधरी अब्दुल्ला अल मामून पर आरोप है कि उन्होंने छात्र आंदोलन को कुचलने के लिए सुरक्षा बलों और सत्तारूढ़ पार्टी के कार्यकर्ताओं को हिंसा के लिए उकसाया और आदेश दिए। - मुकदमे की स्थिति:
हसीना और कमाल इस समय देश से बाहर हैं (हसीना भारत में हैं), जबकि मामून पुलिस हिरासत में हैं। तीनों को 16 जून को अदालत में पेश होने का आदेश दिया गया है। - मुकदमे की प्रकिया:
मुकदमे की कार्यवाही पहली बार बांग्लादेश में टेलीविजन पर लाइव प्रसारित की गई। आरोपियों पर हत्या, हत्या का प्रयास, यातना और अन्य अमानवीय कृत्य जैसे पांच आरोप लगाए गए हैं। - संभावित सजा:
अगर आरोप साबित होते हैं तो शेख हसीना और अन्य आरोपियों को मौत की सजा भी हो सकती है।
पृष्ठभूमि
- 2024 में शेख हसीना की सरकार के खिलाफ छात्र आंदोलन हुआ था, जिसमें भारी हिंसा हुई और लगभग 1,400 लोगों की मौत हुई थी।
- आंदोलन के बाद हसीना सरकार गिर गई और वे भारत में निर्वासन में चली गईं।
- बांग्लादेश सरकार ने भारत से हसीना के प्रत्यर्पण की भी मांग की है।
राजनीतिक प्रतिक्रिया
- शेख हसीना और उनकी पार्टी अवामी लीग ने इन आरोपों को राजनीति से प्रेरित और ‘न्याय का मजाक’ बताया है, जबकि अंतरिम सरकार ने अवामी लीग की गतिविधियों पर प्रतिबंध लगा दिया है।
शेख हसीना पर बांग्लादेश में ‘मानवता के खिलाफ अपराध’ के गंभीर आरोप लगे हैं और उनका मुकदमा उनकी अनुपस्थिति में चल रहा है। यह बांग्लादेश के राजनीतिक इतिहास में एक बड़ा घटनाक्रम माना जा रहा है।