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ताइवान में भारतीय इंजीनियरों की सेमीकंडक्टर क्रांति: टाटा इलेक्ट्रॉनिक्स की बड़ी पहल

भारत की सेमीकंडक्टर यात्रा में एक बड़ा मोड़ आया है। टाटा इलेक्ट्रॉनिक्स ने भारत के सबसे बड़े सेमीकंडक्टर प्रोजेक्ट्स को आगे बढ़ाने के लिए सैकड़ों भारतीय इंजीनियरों को ताइवान के पावरचिप सेमीकंडक्टर मैन्युफैक्चरिंग कॉर्पोरेशन (PSMC) में उन्नत प्रशिक्षण के लिए भेजा है। यह कदम भारत में सेमीकंडक्टर उद्योग के लिए कुशल कार्यबल की भारी कमी को दूर करने की दिशा में एक बड़ी छलांग है।

टाटा इलेक्ट्रॉनिक्स का यह प्रशिक्षण कार्यक्रम उनके 91,000 करोड़ रुपये की लागत वाले डोलेरा, गुजरात में स्थित भारत की पहली AI-सक्षम सेमीकंडक्टर फैब (फैब्रिकेशन यूनिट) और असम में 27,000 करोड़ रुपये की लागत वाली OSAT (आउटसोर्स्ड सेमीकंडक्टर असेंबली एंड टेस्ट) सुविधा की तैयारी का हिस्सा है। ये दोनों प्रोजेक्ट्स मिलकर 47,000 से अधिक सीधे और अप्रत्यक्ष रूप से कुशल रोज़गार सृजित करेंगे, जिसमें डोलेरा फैब से 20,000 से अधिक और असम की OSAT सुविधा से 27,000 से अधिक रोज़गार शामिल हैं।

PSMC के साथ साझेदारी में, टाटा इलेक्ट्रॉनिक्स के इंजीनियरों को उपकरण संचालन, यील्ड इंजीनियरिंग, प्रोसेस टेक्नोलॉजी और क्वालिटी एश्योरेंस जैसे विशिष्ट क्षेत्रों में प्रशिक्षण दिया जा रहा है। प्रशिक्षण को बैचों में बांटा गया है, जिसमें एक बार में 50 से 75 लोगों को ताइवान भेजा जाता है। यह एक बहुत ही सुव्यवस्थित और सोची-समझी प्रक्रिया है, जिसमें नए इंजीनियरिंग स्नातकों के साथ-साथ उद्योग में कुछ वर्षों का अनुभव रखने वाले पेशेवरों को भी शामिल किया गया है।

इस कार्यक्रम का उद्देश्य भारतीय कार्यबल को उन्नत सेमीकंडक्टर फैब और असेंबली लाइनों के संचालन के लिए तैयार करना है। इसके लिए टाटा इलेक्ट्रॉनिक्स ने इंटेल और ग्लोबलफाउंड्रीज़ जैसी वैश्विक चिप निर्माता कंपनियों से वरिष्ठ प्रतिभाओं को भी अपने नेतृत्व टीम में शामिल किया है। कंपनी मलेशिया में एक चिप प्लांट के अधिग्रहण पर भी विचार कर रही है, ताकि परिचालन अनुभव हासिल किया जा सके।

डोलेरा फैब में प्रतिमाह 50,000 वेफर्स तक का उत्पादन होगा और यह पावर मैनेजमेंट IC, डिस्प्ले ड्राइवर्स, माइक्रोकंट्रोलर्स और हाई-परफॉर्मेंस कंप्यूटिंग लॉजिक जैसी चिप्स का निर्माण करेगा, जो AI, ऑटोमोटिव, कंप्यूटिंग, डेटा स्टोरेज और वायरलेस कम्युनिकेशन जैसे बाजारों की मांग को पूरा करेंगे।

यह पहल भारत की आत्मनिर्भरता और वैश्विक सेमीकंडक्टर आपूर्ति शृंखला में एक महत्वपूर्ण खिलाड़ी बनने की दिशा में एक बड़ा कदम है। इसमें युवा भारतीय इंजीनियरों की भूमिका केंद्रीय है, जो न केवल अपने देश के लिए, बल्कि वैश्विक सेमीकंडक्टर उद्योग के लिए भी एक नई पीढ़ी की नींव रख रहे हैं।

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