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चीन की अब सारी हेकड़ी निकलेगी ।

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Rare Earth पर अब भारत अपनी धाक जमाने वाला है इसके बाद फिर असली आत्मनिर्भर भारत की शुरुआत होगी ।

दुनिया भर के मोबाइल , मिसाइल , ड्रोन ओर इलेक्ट्रिक गाड़ियों में जो ताकत है , वह 17 दुर्लभ खनिजों से आती है इन्हें Rare Earth Elements कहते हैं।

ओर अब तक इस जगह चीन की बादशाहत थी लेकिन अब भारत ने तय कर लिया है कि चीन की इस हेकड़ी तो तोड़ना है ।

पर कैसे आइए जानते हैं …
मोदी सरकार ने सिर्फ इस पर बयान बनाया बल्कि जमीन पर भी शुरू कर दिया है

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भारत में 69 लाख टन Rare Earth का भंडार है जो दुनिया में तीसरे नंबर पर आता है । फिर भी अब तक सिर्फ सरकारी कंपनी IREL ही परमाणु ओर रक्षा के सीमित उपयोग के लिए खनन करती थी ।

बाकी खपत  के लिए चीन पर निर्भर रहना पड़ता था लेकिन अब यह निर्भरता खत्म की जा रही है। आंध्र प्रदेश, ओडिशा, ओर तमिलनाडु में युद्धस्तर पर काम चल रहा है। प्राइवेट कंपनियों को भी शामिल किया जा रहा है 👇
सरकार की PLI स्कीम ओर राष्ट्रीय क्रिटिकल मिनरल मिशन इसके लिए जबरदस्त इंफ्रास्ट्रक्चर तैयार कर रहे हैं। यही नहीं भारत ने मंगोलिया, कजाकिस्तान, आस्ट्रेलिया जैसे देशों से साझेदारी शुरू कर दी है।

IREL ओर BARC ने विशाखापट्टनम में SmCo ओर NdFeB जैसे शक्तिशाली मैगनेट्स के लिए प्लांट शुरू किया है।
ये वही मैग्नेटस है जो स्मार्टफोन से लेकर फाइटर जेट ओर सैटलाइट तक में लगते हैं। गुजरात का Trafalgar जी 2026 में इसका प्रोडक्शन शुरू करेगा । 2027 तक ये देश की 20% जरूरत पूरी करेगा 👇
मिडवेस्ट मटेरियल कंपनी 2025 में 500 टन मैग्नेटस बनाएगी ओर बाद में 5000 टन तक प्रोडक्शन करेगी।
भारत अब अपने EV सेक्टर के लिए मोटर, गियर सिस्टम, हैड़लाइट्स, ओर विंड टरबाइन में लगने वाले सभी मैग्नेटस स्वदेशी बनाएगी।।

आज चीन 80 % से ज़्यादा REE की प्रोसेसिंग ओर 90%  मैग्नेट प्रोडक्शन करता है ।
लेकिन भारत की नई नीति ने उसकी नींद खराब कर रखी है 👇
चीन बार बार सप्लाई रोककर दुनिया को डराता था, अब भारत वही चीजे अपने दम पर बना रहा है । 2028 तक चीन पर जीरो निर्भरता की ओर बढ़ रहा है।

मोदी सरकार की ये दूरदर्शिता भारत को वैश्विक Rare Earth सप्लायर बना देगी।

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