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अमेरिका में सड़कों पर सेना: प्रदर्शनकारियों के लिए अटैक हेलीकॉप्टर, SEALS और रेंजर्स की तैनाती, सोशल मीडिया पर मीम्स

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अमेरिका के कई बड़े शहरों, खासकर लॉस एंजेलिस, शिकागो और न्यूयॉर्क में हाल ही में हुए विरोध-प्रदर्शनों के दौरान जिस तरह से प्रशासन ने सुरक्षा बलों की तैनाती की, उसने पूरी दुनिया का ध्यान अपनी ओर खींचा है। आमतौर पर शांतिपूर्ण माने जाने वाले नागरिक प्रदर्शनों को नियंत्रित करने के लिए अमेरिकी प्रशासन ने इस बार अभूतपूर्व कदम उठाए। सड़कों पर अटैक हेलीकॉप्टर उड़ते दिखे, स्पेशल फोर्सेज के कमांडो (जैसे SEALS और रेंजर्स), नेशनल गार्ड, और कई अन्य सैन्य इकाइयां तैनात कर दी गईं।

इन कदमों का मकसद कथित तौर पर बढ़ती हिंसा, लूटपाट और सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान से निपटना था। लेकिन कई जगहों पर स्थानीय प्रशासन और मानवाधिकार संगठनों ने इसे “अत्यधिक बल प्रयोग” और लोकतांत्रिक मूल्यों के खिलाफ ठहराया। सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे वीडियो में देखा जा सकता है कि हेलीकॉप्टर सड़कों के ऊपर उड़ रहे हैं, बख्तरबंद गाड़ियां तैनात हैं, और सैकड़ों की संख्या में नेशनल गार्ड और विशेष बलों के जवान सड़कों पर गश्त कर रहे हैं।

इस बीच, अमेरिकी होमलैंड सिक्योरिटी और अन्य सरकारी एजेंसियों के सोशल मीडिया अकाउंट्स पर मीम्स और हल्के-फुल्के पोस्ट्स ने जनता को हैरान कर दिया। जब देश के कई हिस्सों में तनाव और अराजकता का माहौल था, तब सरकारी एजेंसियों का इस तरह का व्यवहार कई लोगों को गैर-जिम्मेदाराना और असंवेदनशील लगा। आलोचकों का कहना है कि जब सड़कों पर सेना और स्पेशल फोर्सेज की तैनाती हो रही हो, तब सरकारी एजेंसियों को अपनी जिम्मेदारी और गंभीरता दिखानी चाहिए थी, न कि मीम्स और मजाकिया पोस्ट्स से माहौल को हल्का करने की कोशिश करनी चाहिए थी।

विशेषज्ञों का मानना है कि इतनी भारी सैन्य तैनाती केवल नागरिक प्रदर्शनों के लिए करना न सिर्फ अमेरिका की लोकतांत्रिक छवि को धक्का पहुंचाता है, बल्कि इससे आम नागरिकों में डर और असुरक्षा की भावना भी बढ़ती है। दूसरी ओर, प्रशासन का तर्क है कि हिंसा और लूटपाट को रोकने के लिए यह कदम जरूरी था, ताकि कानून व्यवस्था बनी रहे और आम नागरिकों की सुरक्षा सुनिश्चित हो सके।

कुल मिलाकर, अमेरिका में हालिया विरोध-प्रदर्शनों के दौरान सेना, स्पेशल फोर्सेज और अटैक हेलीकॉप्टर की तैनाती के साथ-साथ सरकारी एजेंसियों के सोशल मीडिया व्यवहार ने देश के प्रशासनिक रवैये और लोकतांत्रिक मूल्यों पर नई बहस छेड़ दी है।

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