हाल ही में विश्व बैंक ने वैश्विक गरीबी के आंकड़ों में बड़ा बदलाव किया है। अंतर्राष्ट्रीय गरीबी रेखा (IPL) को $2.15 प्रति दिन (2017 PPP) से बढ़ाकर $3.00 प्रति दिन (2021 PPP) कर दिया गया है। इस बदलाव की वजह से दुनिया भर में अत्यधिक गरीबी में रहने वाले लोगों की संख्या 125 मिलियन बढ़ गई, लेकिन भारत ने इस मानक पर भी अपनी सकारात्मक प्रगति दिखाई है।
क्या बदला?
- नई गरीबी रेखा: विश्व बैंक ने गरीबी के मापदंड में बदलाव किया है, जिसमें नए सर्वेक्षण, खपत के आंकड़े और खरीद क्षमता (PPP) को शामिल किया गया है।
- वैश्विक प्रभाव: इस बदलाव से दुनिया भर में अत्यधिक गरीबी में रहने वालों की संख्या 226 मिलियन तक बढ़ सकती थी, लेकिन भारत के तेजी से गरीबी घटाने की वजह से यह संख्या केवल 125 मिलियन तक ही पहुंची।
- भारत की प्रगति: भारत में 2011–12 में 27.1% लोग अत्यधिक गरीबी में थे, जो 2022–23 में घटकर सिर्फ 5.3% रह गए।
भारत ने कैसे किया यह कमाल?
- आंकड़ों में पारदर्शिता और सुधार: भारत ने घरेलू खपत और आय के नए सर्वेक्षण किए, जिससे गरीबी के सही आंकड़े सामने आए।
- सरकारी योजनाओं का असर: पीएम किसान, मुद्रा योजना, आयुष्मान भारत, उज्ज्वला योजना, और खाद्य सुरक्षा जैसी केंद्रीय योजनाओं ने गरीबी घटाने में अहम भूमिका निभाई।
- रोजगार और आर्थिक विकास: आर्थिक विकास और रोजगार के अवसर बढ़ने से भी लोगों की आय में सुधार हुआ।
आंकड़ों में भारत की उपलब्धि
- गरीबों की संख्या: 2011–12 में 34 करोड़ (340 मिलियन) लोग गरीबी रेखा के नीचे थे, जो 2022–23 में घटकर 7.5 करोड़ (75 मिलियन) रह गए।
- दशक में बड़ी उपलब्धि: भारत ने पिछले दशक में 17.1 करोड़ लोगों को गरीबी से बाहर निकाला है।
क्या है इसका वैश्विक महत्व?



- वैश्विक गरीबी में भारत का योगदान: भारत की प्रगति की वजह से दुनिया भर में गरीबी में जो बढ़ोतरी हो सकती थी, वह नहीं हुई।
- सांख्यिकीय चमत्कार: भारत को एक सकारात्मक सांख्यिकीय चमत्कार (Statistical Outlier) माना जा रहा है, जिसने नए मानकों पर भी अपनी प्रगति दिखाई है।
भारत ने अपने सुधारों, सरकारी योजनाओं और आंकड़ों की पारदर्शिता से साबित किया है कि अगर ईमानदारी से प्रयास किया जाए तो गरीबी को कम करना संभव है। यह उपलब्धि न केवल भारत के लिए, बल्कि पूरी दुनिया के लिए एक प्रेरणा है।