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सप्ताह का साक्षात्कार – ‘संगम से मिली देशहित में जुटने की ऊर्जा’

सप्ताह का साक्षात्कार – ‘संगम से मिली देशहित में जुटने की ऊर्जा’

सप्ताह का साक्षात्कार – ‘संगम से मिली देशहित में जुटने की ऊर्जा’

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संपूर्ण देश में सेवा कार्य करके सच्चे अथोंर् में सेवा का संदेश दे रहे राष्ट्रीय सेवा भारती के कार्यकर्ताओं के विशाल संगम के अवसर पर पाञ्चजन्य ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के अखिल भारतीय सह सेवा प्रमुख श्री अजित
महापात्रा से बात की। प्रस्तुत हैं उनसे हुई बातचीत के प्रमुख अंश:-

 राष्ट्रीय सेवा संगम के सफल आयोजन के संदर्भ में आप क्या कहना चाहेंगे?
मुझे इस संगम के संपन्न होने पर आनन्द की अनुभूति हो रही है, क्योंकि जैसे मन में कार्यक्रम से पूर्व विचार थे उससे कई गुना अधिक अच्छा कार्यक्रम संपन्न हुआ। इस कार्यक्रम में पिछले संगम की तुलना में 3 गुना अधिक संख्या रही।
कुल 3 हजार से भी अधिक कार्यकर्ता एवं 800 के लगभग सहयोगी संस्थाओं ने भाग लिया। देश के कोने-कोने से संगम में कार्यकर्ता पधारे थे।

पांच वर्ष पूर्व जब बेंगलुरू में संगम हुआ था और आज जो संगम संपन्न हुआ, इस समय अवधि में सेवा कार्यों का कितना विस्तार हुआ?
इस समय अवधि में हमने प्रत्येक जिले, तहसील और पंचायत तक पहुंचने की कोशिश की है। साथ ही इस पांच वर्षों में हमारे सेवा कार्यों में भी बढ़ोतरी हुई। इस समय हमारे 1,50,000 के लगभग सेवा कार्य हैं। हमने इस समय अवधि में अत्यधिक प्रयास यह किया है कि हम उन सभी क्षेत्रों की पंचायतों तक पहुंचे जहां लोग दु:खी और पीडि़त हैं और काफी हद तक हमारे कार्यकर्ताओं को इसमें सफलता भी मिली है।

देशभर से आए कार्यकर्ता इस संगम से क्या प्रेरणा और क्या उद्देश्य लेकर अपने क्षेत्रों को वापस गए?
जब भी इस प्रकार के संगम आयोजित होते हैं तो वे हमें पे्ररणा देते ही हैं। एक साथ एक स्थान पर विचार साझा होते हैं। हजारों कार्यकर्ताओं से मिलना होता है जो अपने-अपने क्षेत्रों के विशेष होते हैं। संगम में सरसंघचालक श्री मोहनराव भागवत ने कहा कि हम सेवा क्षेत्र में निरन्तर कार्य कर रहे हैं और हमारे सेवा कार्यों का लगातार विस्तार भी हो रहा है। लेकिन जैसा उन्होंने कहा, फिर भी इतने सेवा कार्य पर्याप्त नहीं हैं। एक तरीके से यह सेवा कार्य ऊंट के मुंह में जीरे के समान हैं। इसलिए आने वाले पांच वर्ष के बाद जो संगम होगा उसमें कार्यकर्ता 3,00,000 सेवा कार्यों के साथ मिलेंगे। ऐसा उनका कार्यकर्ताओं के लिए आह्वान हुआ है। श्री भावगत के इस आयोजन में आने से उनको प्रेरणा तो मिली ही साथ ही उन्हें उद्देश्य भी प्राप्त हो गया। आने वाले दिनों में उन्हें और तेज गति से कार्य करने की ऊर्जा मिली है।

संगम में प्रस्तुत सेवा कार्यों के ऐसे दो उदाहरण बताएं जो आपको अनूठे व प्रेरक लगे हों।
वैसे तो हमारे कार्यकर्ता प्रतिक्षण अनूठे कार्य ही करते हैं और उनके द्वारा किया गया प्रत्येक कार्य प्रेरणा देता है। लेकिन पूर्वोत्तर में हमारे कार्यकर्ताओं द्वारा स्वास्थ्य के क्षेत्र में अत्यधिक प्रेरक उदाहरण प्रस्तुत किया गया है। आरोग्य रक्षक व आरोग्य मित्र नाम से हमारे कार्यकर्ताओं ने वनवासी क्षेत्रों में प्राथमिक चिकित्सा देने का कार्य किया है। प्रत्येक व्यक्ति को प्राथमिक चिकित्सा उपलब्ध हो, इसकी चिंता उन्हें हर समय रहती है। ऐसा नहीं है कि इन क्षेत्रों में कार्य करने वाले कहीं और से आए, बल्कि वहीं के लोगों और वहीं की चीजों का एकत्र करके कार्यकर्ताओं ने समाज के सामने एक उदाहरण प्रस्तुत किया। आज इस क्षेत्र में लगभग 4,500 युवक-युवतियां सेवाकार्य कर रहे हैं। दूसरा उदाहरण एकल विद्यालय का है, जिसने शिक्षा क्षेत्र में अनूठा कार्य किया है। जहां
शिक्षा का अभाव है, जिन वनवासी बच्चों को शिक्षा नहीं मिल पाती थी, उन्हें एकल विद्यालय शिक्षा के साथ-साथ भारतीय संस्कृति से भी परिचित कराने का काम कर रहे हैं। इस कड़ी में देशभर में 55,016 एकल विद्यालय हैं। इस अभियान से लाखों बच्चों का भविष्य संवरा है। हमारे कार्यकर्ता रात-दिन इन क्षेत्रों में भारत माता की भावी पीढ़ी को दिशा दिखा रहे हैं।

गंगा सेवा संस्था
जैसे गंगा का कार्य है कि वह अपने वात्सल्य से अपने उद्गम स्थल से सागर तक एक बड़े भाग को प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से लाभ देती है। उसी प्रकार है-गंगा सेवा संस्था। इस संस्था के प्रमुख श्रवण कुमार कहते हैं कि इस संस्था की प्रेरणा आज से 20 वर्ष पूर्व मिली जब विचार आया कि देश के अधिकतर लोग गांवों को छोड़कर रोजगार के लिए शहरों की ओर पलायन कर रहे हैं, गांवों की व्यवस्था और ताना-बाना चरमरा गया है। 1999 में इस संस्था की नींव पड़ी।
आज इसके लगभग 150 से अधिक सदस्य हैं। यह संस्था ‘मेरा गांव, मेरा तीर्थ’ के भाव को जगाने का काम करती है। संस्था गांव की बहन-बेटियों को स्वावलंबी बनाने के लिए अनेक कार्य करती है। सिलाई-कढ़ाई केन्द्र, कम्प्यूटर केन्द्र, विद्यालय इसके अन्तर्गत चलते हैं। यह संस्था बहन-बेटियों को प्रशिक्षण भी उपलब्ध कराती है। 

साभार: पाञ्चजन्य

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