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राष्ट्रपति की पहली महिला ADC: लेफ्टिनेंट कमांडर यशस्वी सोलंकी ने रचा इतिहास

भारत के राष्ट्रपति भवन में इतिहास रचते हुए लेफ्टिनेंट कमांडर यशस्वी सोलंकी पहली महिला अधिकारी बनी हैं जिन्हें राष्ट्रपति की एड-डी-कैंप (ADC) नियुक्त किया गया है। 27 वर्षीय यशस्वी सोलंकी भारतीय नौसेना से हैं और 9 मई 2025 को उन्होंने यह जिम्मेदारी संभाली। अब तक राष्ट्रपति के पास तीन सेना, एक नौसेना और एक वायुसेना से ADC होते थे, लेकिन इनमें कभी कोई महिला अधिकारी नहीं रही थी। यह बदलाव राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू की पहल पर हुआ, जिन्होंने महिलाओं के सशक्तिकरण और लैंगिक समानता को हमेशा प्राथमिकता दी है।

यशस्वी सोलंकी गुजरात के भरूच की रहने वाली हैं और वे पहले जिला स्तर की बैडमिंटन व वॉलीबॉल खिलाड़ी भी रही हैं। चयन प्रक्रिया बेहद कड़ी थी—तीन महिला नौसेना अधिकारियों का पैनल राष्ट्रपति भवन में 15 दिन तक रहा, जहां उनका इंटरव्यू खुद राष्ट्रपति ने लिया। चयन के बाद यशस्वी ने एक महीने की ट्रेनिंग ली और फिर राष्ट्रपति से अपनी प्रतिष्ठित एग्युलेट (विशिष्ट पट्टी) प्राप्त की। चयन के लिए शारीरिक फिटनेस, ऊंचाई (173 सेमी), बुद्धिमत्ता और अनुकूलता जैसी सभी कसौटियों पर खरा उतरना जरूरी था।

ADC की भूमिका बेहद जिम्मेदारी भरी होती है—राष्ट्रपति के हर कार्यक्रम, मुलाकात, सरकारी संवाद और समारोह में उनकी उपस्थिति अनिवार्य रहती है। वे राष्ट्रपति के सबसे नजदीकी सैन्य सहायक होते हैं और 24 घंटे ड्यूटी पर रहते हैं। यशस्वी सोलंकी का कार्यकाल ढाई से तीन साल का होगा। उन्होंने कहा, “मैंने कभी सपने में भी नहीं सोचा था कि मुझे राष्ट्रपति की ADC बनने का मौका मिलेगा। यह मेरी सूची में भी नहीं था, क्योंकि मुझे कभी लगा ही नहीं था कि यह संभव है।”

राष्ट्रपति की पहली महिला ADC बनना न केवल भारतीय सशस्त्र बलों में महिलाओं की बढ़ती भागीदारी का प्रतीक है, बल्कि यह लाखों लड़कियों के लिए प्रेरणा भी है कि वे भी देश की सर्वोच्च जिम्मेदारियों तक पहुंच सकती हैं। यह नियुक्ति भारतीय सेना में लैंगिक समानता और समावेशिता की दिशा में एक ऐतिहासिक कदम है।

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