Vishwa Samvad Kendra Jodhpur

TRANDING
TRANDING
TRANDING

भारत-रूस रक्षा सहयोग: S-500 जॉइंट प्रोडक्शन ऑफर और ब्रह्मोस की वैश्विक मांग

Facebook
Twitter
LinkedIn
Telegram
WhatsApp
Email

रूस ने भारत को अपने सबसे अत्याधुनिक S-500 एयर डिफेंस सिस्टम के संयुक्त उत्पादन (जॉइंट प्रोडक्शन) का औपचारिक प्रस्ताव फिर से दिया है। यह वही रूस है, जिसके साथ भारत ने ब्रह्मोस मिसाइल जैसी सफल जॉइंट वेंचर की मिसाल कायम की थी। S-500 की खासियत यह है कि यह हाइपरसोनिक मिसाइल, स्टील्थ एयरक्राफ्ट और बैलिस्टिक मिसाइल को 600 किमी तक की रेंज और 2,000 किमी की ऊंचाई तक इंटरसेप्ट कर सकता है, जो इसे दुनिया के सबसे एडवांस्ड एयर डिफेंस सिस्टम्स में शामिल करता है। अगर भारत यह प्रस्ताव स्वीकार करता है तो देश की वायु सुरक्षा और रक्षा उत्पादन क्षमता में जबरदस्त बढ़ोतरी होगी।


ब्रह्मोस: भारत की वैश्विक पहचान
इसी बीच, फिलीपींस ने भारत से 4,000 करोड़ रुपये की ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइलों की खरीद का ऑर्डर प्लेस कर दिया है। यह मिसाइल फिलीपींस के लिए दक्षिण चीन सागर में चीन के बढ़ते खतरे के खिलाफ तैनात की जाएगी। भारत ने हाल ही में ब्रह्मोस की दूसरी खेप फिलीपींस भेजी है, और वियतनाम, इंडोनेशिया, UAE, सऊदी अरब, मिस्र सहित 17 से अधिक देशों से ब्रह्मोस एक्सपोर्ट के लिए बातचीत चल रही है। ब्रह्मोस की सफलता ने भारत को रक्षा निर्यात के क्षेत्र में नई ऊंचाइयों पर पहुंचा दिया है।

भारत अब सिर्फ एक “मिडिल पावर” नहीं, बल्कि वैश्विक व्यवस्था को आकार देने वाली उभरती महाशक्ति के तौर पर देखा जा रहा है। रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता, अत्याधुनिक तकनीक, और निर्यात में रिकॉर्ड वृद्धि ने भारत की रणनीतिक और आर्थिक स्थिति को मजबूत किया है। ब्रह्मोस और S-500 जैसे प्रोजेक्ट्स भारत की रक्षा कूटनीति और तकनीकी नेतृत्व का प्रतीक हैं।

रूस का S-500 जॉइंट प्रोडक्शन ऑफर और ब्रह्मोस मिसाइल की वैश्विक मांग इस बात का प्रमाण हैं कि भारत युद्ध के बाद न सिर्फ क्षेत्रीय, बल्कि वैश्विक महाशक्ति के रूप में उभर रहा है।
भारत की रक्षा और कूटनीतिक यात्रा नई ऊंचाइयों की ओर बढ़ रही है।

Facebook
Twitter
LinkedIn
Telegram
WhatsApp
Email
Archives
Scroll to Top