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भारत-यूरोप रिश्तों को नई गति: जयशंकर फ्रांस-बेल्जियम दौरे पर, कूटनीतिक प्रयास तेज

विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर (Dr. S. Jaishankar) 8 से 14 जून 2025 तक फ्रांस और बेल्जियम की एक सप्ताह की आधिकारिक यात्रा पर हैं। इस यात्रा का मुख्य उद्देश्य भारत के यूरोपीय मित्र देशों के साथ रणनीतिक साझेदारी को और मजबूत करना और कूटनीतिक जुड़ाव को बढ़ावा देना है।


फ्रांस में अहम बैठकें

  • द्विपक्षीय वार्ता: जयशंकर पेरिस और मार्सेल में फ्रांसीसी विदेश मंत्री जीन नोएल बरोट (Jean Noel Barrot) और अन्य वरिष्ठ नेताओं के साथ विस्तृत चर्चा कर रहे हैं। ये वार्ताएं रणनीतिक साझेदारी को और गहरा करने पर केंद्रित हैं, जिसकी नींव पिछले 25 सालों में पड़ी है।
  • मेडिटेरेनियन रायसीना डायलॉग: मार्सेल में आयोजित इस बहुपक्षीय संवाद में जयशंकर भारत की भूमिका और वैश्विक मुद्दों पर अपनी राय रख रहे हैं।
  • महत्वपूर्ण क्षेत्र: रक्षा, प्रौद्योगिकी, व्यापार और आतंकवाद की रोकथाम पर सहयोग बढ़ाने पर विशेष जोर।

यूरोपीय संघ (ब्रुसेल्स) में रणनीतिक संवाद

  • मंत्रिस्तरीय बैठक: जयशंकर ब्रुसेल्स में यूरोपीय संघ की उच्च प्रतिनिधि और उपाध्यक्ष काजा कल्लास (Kaja Kallas) के साथ पहली बार मंत्रिस्तरीय रणनीतिक संवाद करेंगे।
  • संबंध मजबूत करना: इस वर्ष की शुरुआत में यूरोपीय संघ के कॉलेज ऑफ कमिश्नर्स का भारत दौरा सफल रहा था, जिससे भारत-यूरोपीय संघ संबंधों को नई ऊर्जा मिली। अब एक व्यापक मुक्त व्यापार समझौते पर अंतिम रूप दिया जा रहा है।
  • आतंकवाद पर सख्त रुख: जयशंकर भारत की आतंकवाद विरोधी नीति पर जोर देंगे और अंतरराष्ट्रीय समर्थन की मांग करेंगे।

बेल्जियम में सहयोग और समुदाय से जुड़ाव

  • द्विपक्षीय वार्ता: बेल्जियम के उप-प्रधानमंत्री और विदेश मंत्री मैक्सिम प्रेवो (Maxime Prevot) और अन्य वरिष्ठ नेताओं के साथ चर्चा।
  • आर्थिक और सामाजिक साझेदारी: व्यापार, निवेश, हरित ऊर्जा, प्रौद्योगिकी, फार्मास्यूटिकल्स और हीरा क्षेत्र पर सहयोग।
  • भारतीय समुदाय से संवाद: बेल्जियम में रह रहे भारतीय समुदाय से मिलकर द्विपक्षीय संबंधों को और मजबूत करना।

अपेक्षित परिणाम

  • रणनीतिक साझेदारी को गहरा करना
  • रक्षा, व्यापार, प्रौद्योगिकी और आतंकवाद विरोधी सहयोग में नई गति
  • भारत की सुरक्षा नीतियों को अंतरराष्ट्रीय समर्थन
  • भारत-यूरोपीय संघ मुक्त व्यापार समझौते पर प्रगति

जयशंकर की यह यात्रा भारत की यूरोप के साथ सक्रिय कूटनीति और वैश्विक साझेदारी को मजबूत करने की प्रतिबद्धता को दर्शाती है।

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