Vishwa Samvad Kendra Jodhpur

TRANDING
TRANDING
TRANDING

‘भारत कोई धर्मशाला नहीं’ सुप्रीम कोर्ट का फैसला और केंद्र की गाइड लाइन

Facebook
Twitter
LinkedIn
Telegram
WhatsApp
Email

सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में शरणार्थियों और अवैध प्रवासियों के मामलों पर सख्त रुख अपनाया है। कोर्ट ने स्पष्ट कहा कि भारत कोई धर्मशाला नहीं है, जहां पूरी दुनिया से लोग आकर बस जाएं। जस्टिस दीपांकर दत्ता की पीठ ने श्रीलंका से आए एक तमिल शरणार्थी की याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा, “हम 140 करोड़ लोगों के साथ पहले ही संघर्ष कर रहे हैं, हर जगह से आए शरणार्थियों को शरण देना संभव नहीं है।” कोर्ट ने यह भी कहा कि भारत में बसने का अधिकार केवल भारतीय नागरिकों को है, और अगर किसी को अपने देश में खतरा है तो वह किसी अन्य देश में शरण ले सकता है।

कोर्ट ने यह भी दोहराया कि देश की सीमाएं, सुरक्षा और संसाधन सीमित हैं। राष्ट्रीय सुरक्षा सर्वोपरि है और नीति निर्माण सरकार का अधिकार है। अदालत ने सरकार को निर्देश दिया कि अवैध प्रवासियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई जारी रखी जाए।

गृह मंत्रालय (MHA) के आदेश
केंद्र सरकार ने सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को निर्देश दिया है:

अवैध अप्रवासियों की पहचान और वेरिफिकेशन के लिए 30 दिन की डेडलाइन तय की गई है।

राज्यों को जिला स्तर पर डिटेंशन सेंटर बनाने के निर्देश दिए गए हैं।

बांग्लादेश और म्यांमार से आए संदिग्ध अप्रवासियों के दस्तावेज़ 30 दिन में सत्यापित करने होंगे, अन्यथा उन्हें निर्वासित किया जाएगा।

राज्यों को अपनी वैधानिक शक्तियों का इस्तेमाल कर अवैध प्रवासियों की पहचान, डिटेंशन और निर्वासन की प्रक्रिया तेज करने को कहा गया है।

भारत अब अवैध शरणार्थियों और घुसपैठियों को शरण देने के पक्ष में नहीं है।

सुप्रीम कोर्ट और केंद्र सरकार दोनों का रुख राष्ट्रीय सुरक्षा और सीमित संसाधनों को ध्यान में रखते हुए सख्त है।

मानवीय आधार पर भी अब भारत में बसने का अधिकार केवल भारतीय नागरिकों के लिए ही सीमित रहेगा।

Facebook
Twitter
LinkedIn
Telegram
WhatsApp
Email
Archives
Scroll to Top