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प्रधानमंत्री मोदी का यूरोपीय पड़ाव: कनाडा के G7 शिखर सम्मेलन से पहले साइप्रस और क्रोएशिया में द्विपक्षीय संवाद

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जून के मध्य में कनाडा में होने वाले G7 शिखर सम्मेलन में भाग लेने के लिए कनाडा की यात्रा पर जा रहे हैं। इस यात्रा के दौरान वह यूरोप के दो महत्वपूर्ण देशों, साइप्रस और क्रोएशिया, में भी रुकेंगे। ये दोनों यूरोपीय संघ के सदस्य देश हैं और भारत के लिए रणनीतिक महत्व रखते हैं। प्रधानमंत्री मोदी की यह यात्रा भारत की बढ़ती वैश्विक सक्रियता और यूरोप के साथ गहराते संबंधों का प्रतीक है।

साइप्रस, जो पूर्वी भूमध्यसागरीय क्षेत्र में स्थित है, प्रधानमंत्री मोदी के कनाडा जाने के रास्ते में पड़ता है। यहां उनके रुकने की संभावना केवल तकनीकी ईंधन भरने तक सीमित नहीं है, बल्कि इसे एक बड़े राजनयिक संदेश के रूप में भी देखा जा रहा है। साइप्रस के साथ भारत के संबंध पिछले कुछ वर्षों में काफी मजबूत हुए हैं। साइप्रस ने हाल ही में भारत के खिलाफ हुए पहलगाम आतंकी हमले के बाद यूरोपीय संघ की बैठक में भारत का समर्थन किया था। इसके अलावा, साइप्रस लंबे समय से अपने क्षेत्रीय विवाद को सुलझाने में भारत की मदद चाहता है, जिससे इस दौरे का महत्व और बढ़ जाता है।

प्रधानमंत्री मोदी की वापसी यात्रा में क्रोएशिया में रुकने की योजना है। क्रोएशिया का दौरा पहले भी होना था, लेकिन भारत-पाकिस्तान के बीच हुए सैन्य तनाव के कारण इसे टाल दिया गया था। क्रोएशिया भी यूरोपीय संघ का सदस्य है और भारत के साथ आर्थिक, सांस्कृतिक और राजनीतिक संबंधों को मजबूत करने में रुचि रखता है। इस यात्रा के दौरान प्रधानमंत्री मोदी और क्रोएशिया के नेताओं के बीच द्विपक्षीय मुद्दों पर चर्चा होने की संभावना है।

ये दोनों देश भारत की यूरोप रणनीति का अहम हिस्सा हैं और प्रधानमंत्री मोदी का यह दौरा भारत की यूरोप में बढ़ती उपस्थिति को दर्शाता है। साइप्रस और क्रोएशिया के साथ संबंध मजबूत करना भारत के लिए यूरोपीय संघ के साथ व्यापक संबंधों को आगे बढ़ाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। इसके अलावा, साइप्रस का दौरा तुर्की को भी एक स्पष्ट संदेश देता है, जिसने हाल ही में भारत-पाकिस्तान के बीच हुए सैन्य टकराव में पाकिस्तान का समर्थन किया था।

प्रधानमंत्री मोदी का यह दौरा भारत की बढ़ती वैश्विक पहचान और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बढ़ते प्रभाव को भी दर्शाता है। कनाडा में होने वाले G7 शिखर सम्मेलन में भारत की भागीदारी भी इसी रणनीति का हिस्सा है, जहां भारत वैश्विक आर्थिक और सुरक्षा मुद्दों पर अपनी बात रखेगा।

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