6 जुलाई 2025 को धर्मशाला में तिब्बती धर्मगुरु दलाई लामा के 90वें जन्मदिन समारोह में भारत की ओर से अभूतपूर्व और ऐतिहासिक उपस्थिति दर्ज की जाएगी। इस विशेष अवसर पर सिक्किम और अरुणाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री, साथ ही केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू स्वयं धर्मशाला पहुंचेंगे। यह कदम न सिर्फ तिब्बती समुदाय के लिए एक बड़ा समर्थन है, बल्कि चीन को भी एक सीधा और कड़ा कूटनीतिक संदेश है।
अरुणाचल प्रदेश और सिक्किम, दोनों ही राज्य चीन के साथ सीमा विवाद के केंद्र में रहे हैं। चीन बार-बार अरुणाचल प्रदेश को अपना हिस्सा बताने की कोशिश करता है, वहीं भारत बार-बार स्पष्ट कर चुका है कि यह उसका अभिन्न हिस्सा है। ऐसे में इन राज्यों के मुख्यमंत्रियों की धर्मशाला में उपस्थिति भारत की क्षेत्रीय संप्रभुता और तिब्बती संस्कृति के प्रति प्रतिबद्धता को दर्शाती है। केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू की भागीदारी इस संदेश को और भी मजबूत बनाती है, क्योंकि वे स्वयं अरुणाचल प्रदेश से हैं और तिब्बती समुदाय के हितों के प्रति संवेदनशील रहे हैं।
दलाई लामा के 90वें जन्मदिन का यह समारोह केवल एक सांस्कृतिक आयोजन नहीं, बल्कि भारत की ओर से तिब्बती पहचान, धार्मिक स्वतंत्रता और मानवाधिकारों के समर्थन का भी प्रतीक है। यह चीन को स्पष्ट संकेत देता है कि भारत तिब्बती समुदाय और दलाई लामा के सम्मान में कभी समझौता नहीं करेगा। धर्मशाला से उठी यह आवाज न सिर्फ बीजिंग, बल्कि पूरी दुनिया को भारत की मजबूत कूटनीतिक स्थिति का एहसास कराएगी
धर्मशाला में यह आयोजन ऐसे समय हो रहा है जब भारत-चीन संबंधों में तनाव बना हुआ है और सीमा पर बार-बार विवाद उभरते रहते हैं। भारत का यह रुख न सिर्फ तिब्बती समुदाय के लिए आश्वासन है, बल्कि पूरी दुनिया के लिए भी एक संदेश है कि भारत मानवाधिकार, धार्मिक स्वतंत्रता और सांस्कृतिक विविधता के समर्थन में कभी पीछे नहीं हटेगा। दलाई लामा के 90वें जन्मदिन पर भारत की यह भागीदारी तिब्बतियों के लिए भी एक मनोबल बढ़ाने वाला कदम है और चीन के लिए एक स्पष्ट चेतावनी कि भारत अपने संवैधानिक अधिकारों और सांस्कृतिक मूल्यों की रक्षा के लिए हमेशा तैयार रहेगा।