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दूरदर्शी एवं डायनेमिक थे छत्रपति शिवाजी – डॉ. भागवत

दूरदर्शी एवं डायनेमिक
थे छत्रपति शिवाजी – भागवत
02
स्वास्तिक के आकार में बैठे स्वयंसेवको का विहंगम दृश्य    
01
मंच का दृश्य
जोधपुर
19 जून । दूरदर्शी एवं डायनेमिक
व्यक्तित्व के स्वामी छत्रपति शिवाजी महाराज श्रीमंत योगी थे। हिन्दू जीवन मूल्यों
को आत्मसात कर समाज के सभी वर्गों को जोड़ने का कार्य शिवाजी ने किया। भारत में मुद्रण
कला की शुरूआत एवं विकास उनके शासनकाल में ही हुई। साथ ही हिन्दुस्तान की पहली नौ सेना
की परिकल्पना एवं निर्माण भी उनके द्वारा किया गया। यह विचार राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ
के सरसंघचालक डॉ. मोहन राव भागवत ने उपस्थित स्वयंसेवकों के अपार समूह को सम्बोधित करते
हुए व्यक्त किये। मौका था हिन्दू साम्राज्य दिनोत्सव के अन्तर्गत बौद्धिक उद्बोधन का।
 
03
 डॉ. मोहन राव जी भागवत उध्बोधन देते हुए 
लाल सागर स्थित हनवन्त आदर्श विद्या मन्दिर के मैदान में जोधपुर
महानगर के स्वयंसेवकों के एकत्रीकरण को मार्गदर्शन करते हुए भागवत ने कहा कि दुनिया
में विविधता अपरिहार्य है। इसको स्वीकार करना होगा। उन्होनें कहा कि मनुष्य अपने स्व
के अनुसार जीना चाहता है,
 उसी से उसे सुख मिलता
है एवं उसी से उसके स्वाभिमान की रक्षा होती है। अतः शासन करने वाला तंत्र बिना किसी
भेदभाव के सम्पूर्ण प्रजा के उत्थान हेतु कार्य करे
] यही
लक्ष्य होना चाहिए। इस दौरान शिवा जी महाराज का उदाहरण देते हुए उन्होनें कहा कि उपभोग
शून्य स्वामी ही शासन करने योग्य है।
 
वर्तमान संदर्भ पर बोलते हुए उन्होनें कहा कि शिवाजी के कालखण्ड
में परकीय आक्रमणों के कारण हिन्दू समाज में निराशा एवं भय का वातावरण व्याप्त हो गया
था। इस निराशा को शिवाजी महाराज ने जनता में जन्मभूमि के प्रति प्रेम और उत्सर्ग की
भावना को जाग्रत कर दूर किया। आज भी देश के कई हिस्सों से लोगों के पलायन की खबर उद्वेलित
कर देती है। ऐसे में हमारा दायित्व है कि पलायन कर रहे लोगों के मन से निराशा को दूर
करें। यह मेरा देश है। यह मेरी भूमि है। ऐसी सोच विकसित करना ही शासन का दायित्व है।
 
भागवत
ने कहा कि शिवाजी का व्यक्तित्व सम्पूर्ण रूप से अनुकरणीय है। जिस प्रकार की विपरित
परिस्थितियों में शिवाजी महाराज ने कठोर मेहनत से संघर्ष कर समाज को खड़ा कर समतायुक्त
] शोषण मुक्त समाज की रचना की। संघ आज उसी प्रकार से समतायुक्तशोषण मुक्त समाज को खड़ा
करने का कार्य कर रहा है। संघ की नित्य शाखा में सभी गुणों से युक्त स्वयंसेवक तैयार
हो
] समाज जीवन के सभी अंगों में प्रेरणा जगाऐं और परम् वैभव सम्पन्न
देश बनाते हुए सम्पूर्ण विश्व के अमंगल का हरण करें और विश्व के लिए कल्याणकारी जीवन
का उदाहरण अपने जीवन से सिखायें।
 
स्वास्तिक रचना में बैठे
स्वयंसेवक
हिन्दू साम्राज्य दिनोत्सव के अवसर पर कार्यक्रम स्थल पर स्वयंसेवक
स्वास्तिक के आकार में बैठने का दृश्य अद्वभुत था।
 
5 से 75 वर्ष तक के स्वयंसेवक
उपस्थित रहे:
04    माननीय सरसंघचालक के
इस बौद्धिक उद्बोधन को लेकर पूरे शहर में उत्सुकता का माहौल था। सुबह
5 बजे से ही कार्यक्रम
स्थल पर स्वयंसेवकों का सैलाब उमड़ने लगा। इसमें
5 वर्ष
के बाल स्वयंसेवकों से लेकर
75 वर्ष तक के प्रौढ़ स्वयंसेवक
भी शामिल थे। सभी में भारी उत्साह था।
 
जोधपुर डूबा देशभक्ति के रंग में
‘‘वन्दे मातरम* और ‘‘भारत माता की जय*
के नारों से जोधपुर की सड़कें  सुबह से ही गुंजायमान होती रही। शहर के करीब करीब हर मौहल्ले और गली से स्वयंसेवकों
के जत्थे कार्यक्रम स्थल लाल सागर की ओर प्रस्थान करते नजर आये। संघ के निर्धारित वेश
से सजे अनुशासित स्वयंसेवक जगह-जगह नजर आ रहे थे। कार्यक्रम स्थल के बाहर यातायात व्यवस्था
भी स्वयंसेवकों ने सम्हाल रखी थी।

 
हजारों की संख्या में
पहुँचे स्वयंसेवक
05 महानगर कार्यवाह रिछपाल सिंह ने बताया कि  सरसंघचालक के बौद्धिक
को सुनने लगभग
5 हजार स्वयंसेवक सुबह ठीक 6 बजे एकत्र हो चुके थे।
1000 के करीब दुपहिया वाहन 500 के
करीब चौपहिया वाहन और
50 के करीब बसे कार्यक्रम
स्थल के बाहर खड़े थे।
मंच पर सरसंघचालक जी के साथ जोधपुर प्रान्त संघचालक
ललित शर्मा
] जोधपुर
विभाग संघचालक डॉ. शान्ति लाल चौपड़ा एवं जोधपुर महानगर संघचालक खूबचन्द खत्री भी मंचासीन
थे। इस अवसर पर अखिल भारतीय सेवा प्रमुख श्री सुहासराव हिरेमठ
] क्षेत्र प्रचारक श्री दुर्गादास सहित क्षेत्रीय कार्यकर्ता विकास
वर्ग में सम्पूर्ण राजस्थान से आये प्रशिक्षणार्थी भी उपस्थित थे।
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