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थार से फिर पाक के नापाक कारनामे – कब जाँच सुविधाओ में होगा इजाफा

सवा लाख की पाक करेंसी जब्त
जोधपुर. बाड़मेर के रास्ते भारत पाकिस्तान के बीच थार एक्सप्रेस शुरू होने के बाद पहली बार छह यात्रियों से करीब सवा लाख रुपए की पाक करेंसी जब्त की गई है। यह करेंसी उन्हें बाद में लौटा दी जाएगी।
आम तौर पर पाक यात्री वहां की करेंसी इतनी मात्रा में लेकर नहीं आते और न ही यहां से जाने वाले यात्री भारतीय करेंसी ले जाते हैं। दोनों करेंसी मुनाबाव व खोखरापार में बदल ली जाती है। पाकिस्तान से बाहर जाने पर प्रतिबंध के बावजूद मुनाबाव तक पहुंच गए दो पाक यात्रियों के बारे में खुलासा होने पर नोडल एजेंसी जीआरपी ने यात्रियों की गहन जांच की तो भगत की कोठी रेलवे स्टेशन पर छह पाक यात्रियों से पाक मुद्रा जब्त की गई।
एसपी (जीआरपी—उत्तर) एस. परिमला ने बताया कि सुरक्षा के मद्देनजर यह आकस्मिक जांच की गई। थार एक्सप्रेस रात 12.40 बजे भगत की कोठी स्टेशन पहुंची। इसके बाद 3 सौ से अधिक यात्रियों की गहन तलाशी ली गई। इनसे विशेष आपत्तिजनक सामग्री बरामद नहीं हुई। लेकिन कराची के ईदू खां पुत्र भूरे खां से 12,865, अली हुसैन पुत्र अहमद अंसारी से 8 हजार, हसन पुत्र जीवा, अमरकोट निवासी गंगाराम पुत्र मूलचंद, मीरपुर खास के गोरधनदास पुत्र मदनलाल तथा हैदराबाद सिंध के अब्दुल करीम पुत्र नूर मोहम्मद सहित कुल छह लोगों से 1 लाख 20 हजार की पाक करेंसी जब्त की गई।
उप अधीक्षक सत्यमणि तिवाड़ी ने बताया कि आकस्मिक जांच रविवार सुबह साढ़े छह बजे तक चली। जीआरपी थानाधिकारी अनिल पुरोहित के नेतृत्व में टीम ने महिला व पुरुष यात्रियों की अलग- अलग जांच की। दूसरी टीम में स्निफर डॉग ने यात्रियों का सामान सरसरी तौर पर जांचा। निरीक्षक राजेन्द्र दिवाकर की टीम ने सामान का भार व उसकी बारीकी से जांच की। यात्रियों का सामान रेलवे रिकॉर्ड से करीब एक क्विंटल से अधिक पाया गया। इस संबंध में रेलवे अधिकारियों को सूचित किया जाएगा।
लावारिस बैग ने चौंकाया: थार एक्सप्रेस खाली होने के बाद जीआरपी की टीम ने हर डिब्बे की तलाशी ली। एक कोच में दो बैग मिले। इसकी सूचना अधिकारियों को दी गई। एकबारगी तो पुलिसकर्मी उस बैग को हाथ लगाने से कतराए। बाद में वे उसे अधिकारियों के पास ले गए। डीएसपी व सीआई ने स्वयं उसकी जांच की। बैग में एक दर्जन घड़ियां, मतदाता पहचान पत्र, पाक सरकार की ओर से जारी एक पत्र, विभिन्न दवाइयों सहित अन्य दस्तावेज बरामद हुए। घड़ियां हूबहू एक नामी कंपनी जैसी थी, लेकिन जांच में वे डुप्लीकेट निकली। यह बैग भारतीय नागरिक फिरोजाबाद निवासी अहमद कमाल के थे। पुष्टि होने पर बैग उसे सौंप दिए गए।
सवाल जो जवाब मांगते हैं : पाक सरकार की ओर से प्रतिबंधित दो लोग मुनाबाव तक पहुंचने में कामयाब कैसे हो गए?किसकी मदद से यहां तक पहुंचे ? स्टेशन पर मौजूद अधिकारियों ने सीआईडी, आईबी, जीआरपी के उच्च अधिकारियों को सूचित करना भी उचित नहीं समझा, क्यों? किन कारणों के चलते उन्हें प्रतिबंधित किया गया था?
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