प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की साइप्रस यात्रा ने अंतरराष्ट्रीय मंच पर भारत की विदेश नीति को नई धार दी है। यह यात्रा न केवल भारत-साइप्रस संबंधों को मजबूत करने वाली है, बल्कि तुर्की और पाकिस्तान को भी एक स्पष्ट कूटनीतिक संदेश देती है। पिछले दो दशकों में यह पहली बार है जब किसी भारतीय प्रधानमंत्री ने साइप्रस की यात्रा की है, और यह कदम तुर्की के पाकिस्तान के प्रति झुकाव और कश्मीर मुद्दे पर भारत विरोधी रुख के जवाब के रूप में देखा जा रहा है।
साइप्रस, जो भूमध्यसागर में स्थित एक रणनीतिक द्वीप है, 1974 से अपने उत्तरी हिस्से में तुर्की के कब्जे का सामना कर रहा है। केवल तुर्की ही इस कब्जे को मान्यता देता है, जबकि भारत ने हमेशा साइप्रस की क्षेत्रीय अखंडता और संप्रभुता का समर्थन किया है। वहीं, तुर्की लगातार पाकिस्तान के साथ खड़ा रहकर कश्मीर मुद्दे पर भारत का विरोध करता रहा है, जिससे दोनों देशों के संबंधों में तनाव बना रहता है।
प्रधानमंत्री मोदी की इस यात्रा के दौरान साइप्रस के राष्ट्रपति निकोस क्रिस्टोडौलाइड्स ने उन्हें देश का सर्वोच्च नागरिक सम्मान ‘ग्रैंड क्रॉस ऑफ द ऑर्डर ऑफ मकारियोस III’ प्रदान किया। यह सम्मान न केवल पीएम मोदी के वैश्विक नेतृत्व को मान्यता देता है, बल्कि भारत-साइप्रस संबंधों की मजबूती का भी प्रतीक है। दोनों नेताओं के बीच द्विपक्षीय व्यापार, ऊर्जा, तकनीकी सहयोग, कनेक्टिविटी और आतंकवाद विरोधी साझेदारी को लेकर महत्वपूर्ण चर्चा हुई। पीएम मोदी ने अपने संबोधन में स्पष्ट किया कि भारत शांति, स्थिरता और समृद्धि के लिए प्रतिबद्ध है और भारत-मध्य-पूर्व-यूरोप इकोनॉमिक कॉरिडोर इस दिशा में एक बड़ा कदम है।
Gratitude to President Christodoulides for showing me parts of the very historic city of Nicosia. We look forward to closer people-to-people linkages with Cyprus!@Christodulides pic.twitter.com/ucUPmQZtCc
— Narendra Modi (@narendramodi) June 16, 2025
इस यात्रा के दौरान पीएम मोदी ने यूनाइटेड नेशंस द्वारा नियंत्रित ग्रीन लाइन का भी दौरा किया, जो तुर्की-ऑक्युपाइड नॉर्दर्न साइप्रस को अलग करती है। यह कदम न केवल प्रतीकात्मक था, बल्कि तुर्की को यह स्पष्ट संदेश भी देता है कि भारत अपने रणनीतिक और कूटनीतिक हितों की रक्षा के लिए किसी भी स्तर पर जाने को तैयार है। साइप्रस ने भी हाल ही में पाकिस्तान समर्थित आतंकवाद की आलोचना की थी और अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भारत को समर्थन देने का भरोसा दिलाया है।
भारत की यह कूटनीतिक पहल तुर्की के पाकिस्तान-समर्थित रुख का जवाब है। इसके साथ ही, भारत ने यूरोप के साथ अपने व्यापार, सुरक्षा और राजनीतिक संबंधों को और गहरा करने का संकेत भी दिया है। पीएम मोदी की यह यात्रा न केवल भारत की वैश्विक छवि को मजबूत करती है, बल्कि यह भी दिखाती है कि भारत अब अंतरराष्ट्रीय मंच पर अपने हितों के लिए मजबूती से खड़ा है।