अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने सऊदी अरब के रियाद में सीरिया के अंतरिम राष्ट्रपति अहमद अल-शराआ से मुलाकात की, जो 25 वर्षों में दोनों देशों के नेताओं की पहली बैठक है। हालांकि, यह कदम कई आलोचनाओं के घेरे में है।
ट्रंप ने सीरिया पर लगे अमेरिकी प्रतिबंधों को पूरी तरह से हटाने की घोषणा की, जो क्षेत्रीय सुरक्षा और मानवाधिकारों की अनदेखी कर सकता है। इस फैसले का समर्थन सऊदी क्राउन प्रिंस और तुर्की के राष्ट्रपति ने किया, लेकिन इसे कई देशों ने असंवेदनशील और जल्दबाजी भरा बताया है।
ट्रंप ने अल-शराआ पर इज़राइल के साथ राजनयिक संबंध स्थापित करने का दबाव डाला, जो सीरिया की संप्रभुता और क्षेत्रीय राजनीतिक समीकरणों के लिए खतरा माना जा रहा है। यह कदम सीरिया के लिए आंतरिक अस्थिरता और विरोध को बढ़ावा दे सकता है।
इसके अलावा, ट्रंप ने फिलिस्तीनी समूहों को ‘आतंकी’ करार देते हुए उन्हें बाहर निकालने और ISIS बंदियों की जिम्मेदारी लेने को कहा, जो क्षेत्रीय संघर्षों को और जटिल बना सकता है।
अमेरिका की यह नीति मध्य पूर्व में तनाव और अस्थिरता को बढ़ावा देने वाली मानी जा रही है, जिससे क्षेत्रीय देशों के बीच भरोसे की कमी और बढ़ सकती है।
अहमद अल-शराआ, जो एक पूर्व विद्रोही नेता हैं, को लेकर भी विवाद है कि उनकी सरकार कितनी स्थिर और लोकतांत्रिक होगी।
ट्रंप की यह पहल न केवल सीरिया की संप्रभुता को चुनौती देती है, बल्कि क्षेत्रीय शांति और स्थिरता के लिए भी खतरा बन सकती है। इस कदम को कई विशेषज्ञ जल्दबाजी और असंवेदनशील माना रहे हैं, जो मध्य पूर्व की जटिल राजनीति को और उलझा सकती है।
ट्रंप की सऊदी अरब में सीरियाई राष्ट्रपति से मुलाकात: विवादित कदम, इज़राइल के साथ संबंध स्थापित करने का दबाव
- Mayank Kansara
- May 15, 2025
- 9:50 am

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