।। ओपरेशन सिंदूर ।।
नवचंडी सिंदूर चढ़े,
मढ़े सिंदुर हनुमान,
समर जोध सिंदूर सजे,
“जय” जय हिंदुस्तान।
सीना चीर हिमगिरि बोले,
“जय ज्वाला जय प्राण!”
जहाँ तिरंगा लहराता है,
वहीं बसता बलिदान।
रणबाँकुरे, मिट्टी के बेटे,
रचते नई कहानी,
छाती पर गोली खा जाएँ,
पर झुके न हिंदुस्तानी।
बर्फ़, मरुस्थल, पर्वत, जंगल,
हर सीमा पर प्रहर,
जहाँ न साँस भी थमती है,
वहाँ खड़ा एक वीर नगर।
माँ की ओढ़ी चुनरिया में,
रक्त सिंदूरी रेख,
धरती माँ के रक्षक हैं ये,
हर शत्रु के लिए अशेष।
शिव का तांडव, दुर्गा का गर्जन,
सरस्वती का ज्ञान,
सब समाया इनके भीतर,
यही है हिन्दुस्तान।
“जय” जय हिंदुस्तान। Operation Sindoor
- Rohitash godaraa
- May 7, 2025
- 11:13 am

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