भारतीय सेना ने हाल ही में ‘ऑपरेशन सिंदूर’ की सफलता के बाद नई दिल्ली में ‘चीफ्स चिंतन’ नामक दो दिवसीय संवाद का आयोजन किया। इस ऐतिहासिक बैठक में वर्तमान सेना प्रमुख जनरल उपेंद्र द्विवेदी और पूर्व सेना प्रमुखों ने एक मंच पर आकर सेना की भविष्य की दिशा, रणनीति, आधुनिकीकरण और कल्याण योजनाओं पर गहन विचार-विमर्श किया। इस संवाद का उद्देश्य सेना की संस्थागत स्मृति, अनुभव और नेतृत्व की निरंतरता को मजबूत करना है, जिससे भारतीय सेना आने वाली चुनौतियों के लिए और अधिक सक्षम बन सके।
Chiefs’ Chintan, a structured two-day interaction, between the Chief of the Army Staff (COAS), General Upendra Dwivedi, and former Chiefs of the Army Staff (CsOAS), at New Delhi commenced today. Being held in the aftermath of Operation SINDOOR, the conclave is aimed to provide a… pic.twitter.com/LIj6cbpC82
— ANI (@ANI) June 17, 2025
चीफ्स चिंतन की शुरुआत जनरल उपेंद्र द्विवेदी के स्वागत भाषण से हुई, जिसमें उन्होंने पूर्व प्रमुखों की भूमिका और उनके अनुभवों को सेना के भविष्य के लिए अमूल्य बताया। इस बैठक में ‘ऑपरेशन सिंदूर’ की विस्तृत ब्रीफिंग दी गई, जिसमें भारतीय वायुसेना और नौसेना के साथ समन्वित अभियान, रणनीतिक प्रभाव और संयुक्त कौशल मॉडल को विस्तार से प्रस्तुत किया गया। पूर्व सेना प्रमुखों को यह बताया गया कि किस तरह एयरफोर्स और नेवी के साथ मिलकर पूरे ऑपरेशन को योजनाबद्ध और निष्पादित किया गया। इसके साथ ही, सेना के आधुनिकीकरण, तकनीकी समावेशन और विकसित भारत 2047 के लक्ष्यों में सेना की भूमिका पर भी विशेष चर्चा हुई।
चीफ्स चिंतन के दौरान सेना में आधुनिक तकनीक के समावेशन, मानव संसाधन नीतियों में सुधार, पूर्व सैनिकों के कल्याण और वयोवृद्धों के लिए नई योजनाओं पर भी विचार किया गया। पूर्व सेना प्रमुखों ने अपने अनुभव साझा किए और वर्तमान चुनौतियों के समाधान के लिए महत्वपूर्ण सुझाव दिए। इस संवाद में यह भी रेखांकित किया गया कि भारतीय सेना किस तरह भविष्य की चुनौतियों के लिए ‘डिकेड ऑफ ट्रांसफॉर्मेशन’ और ‘ईयर ऑफ रिफॉर्म्स’ के तहत अपनी ऑपरेशनल और एडमिनिस्ट्रेटिव दक्षता को लगातार बढ़ा रही है।
चीफ्स चिंतन से यह स्पष्ट है कि भारतीय सेना अपने पूर्व प्रमुखों के अनुभव और संस्थागत ज्ञान का लाभ उठाकर न केवल वर्तमान चुनौतियों का समाधान ढूंढ रही है, बल्कि भविष्य के लिए भी एक मजबूत और आधुनिक सैन्य शक्ति के रूप में खुद को तैयार कर रही है। यह संवाद सेना के नेतृत्व, एकजुटता और राष्ट्र निर्माण में उसकी भूमिका को और अधिक सशक्त बनाता है, जिससे भारतीय सेना आने वाले वर्षों में भी देश की सुरक्षा और विकास में अग्रणी भूमिका निभा सकेगी।