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असम में जिला कलेक्टर को मिली नई ताकत: 1950 के कानून के तहत विदेशियों को सीधे वापस भेजने का अधिकार

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असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा शर्मा ने घोषणा की है कि राज्य सरकार ने 1950 के कानून को फिर से लागू करने का फैसला किया है, जिसके तहत जिला कलेक्टर (डीसी) प्राइमा फेसी (प्रारंभिक रूप से) किसी भी व्यक्ति को विदेशी मानते हुए उसे बिना फॉरेनर्स ट्रिब्यूनल के सिस्टम से गुजरे हुए, सीधे बांग्लादेश वापस भेज सकता है। यह कदम उन लोगों के अलावा लिया गया है जिन्हें पहले से ही फॉरेनर्स ट्रिब्यूनल द्वारा विदेशी घोषित किया जा चुका है।

मुख्यमंत्री ने असम विधानसभा में कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने अक्टूबर 2024 के अपने फैसले में ‘इमिग्रेंट्स (एक्सपल्शन फ्रॉम असम) एक्ट, 1950’ की वैधता को बरकरार रखा है और यह अभी भी लागू है। इस कानून के मुताबिक, यदि केंद्र सरकार या उसके द्वारा अधिकृत अधिकारी (जैसे असम सरकार के जिला कलेक्टर) को लगता है कि किसी व्यक्ति की असम में मौजूदगी भारत या असम के सामान्य जनता या किसी अनुसूचित जनजाति के हितों के खिलाफ है, तो उस व्यक्ति को राज्य से हटाने का आदेश दिया जा सकता है।

हिमंत बिस्वा शर्मा ने यह भी कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने यह स्पष्ट किया है कि 1971 के बाद असम में आए लोगों को किसी भी हालत में नहीं छोड़ा जाएगा और उन्हें वापस भेजा जाएगा। उन्होंने बताया कि पिछले कुछ हफ्तों में 330 से ज्यादा विदेशियों को बांग्लादेश भेजा जा चुका है।

इस कानून के तहत अब जिला कलेक्टर को यह अधिकार है कि वह किसी भी व्यक्ति को प्राइमा फेसी विदेशी मानते हुए उसे निर्वासित कर सकता है, बिना किसी अदालत या ट्रिब्यूनल के फैसले का इंतजार किए। इससे विदेशियों की पहचान और निर्वासन की प्रक्रिया में तेजी आएगी।

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