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अर्ध सत्य दिखाना देश, समाज के साथ धोखा: डॉ कृष्ण गोपाल

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अर्ध सत्य दिखाना देश, समाज के साथ धोखा: डॉ कृष्ण गोपाल
नई दिल्ली, मई 10: राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सह सरकार्यवाह डॉ कृष्ण गोपाल ने कहा कि अर्ध सत्य दिखाना देश व समाज के साथ धोखा है और समाचार जगत ने इससे बचना चाहिए। कार्यक्रम में मानुषी की संस्थापक संपादक मधु पूर्णिमा किश्वर, फोटो जर्नलिस्ट संकर्शन मलिक, टीवी रिपोर्टर यतेंद्र शर्मा, सोशल मीडिया एक्टिविस्ट प्रवीण शुक्ला को नारद सम्मान 2015 से सम्मानित किया गया।

संघ के सह सरकार्यवाह इंद्रप्रस्थ विश्व संवाद केंद्र दिल्ली द्वारा कांस्टीट्यूशन क्लब में नारद जयंती के उपलक्ष्य में आयोजित पत्रकार सम्मान समारोह को मुख्य अतिथि के रूप में संबोधित कर रहे थे। कार्यक्रम में सेंट्रल यूरोपियन न्यूज के इंडिया एडिटर शांतनु गुहा रॉय विशिष्ट अतिथि के रूप में उपस्थित थे।

कृष्ण गोपाल ने कहा की वर्तमान में पत्रकारिता का क्षेत्र सुनामी के दौर से गुजर रहा है। समाचार जगत में मान-सम्मान, चकाचौंध सबकुछ है, पर, इसमें यथार्थ और सत्यता को भी टिकाए रखना है। वर्तमान समय में समाचार को सनसनीखेज बनाने की कोशिश करते हैं, आधे सत्य पर पर्दा डालकर आधा सत्य दिखाने से द्वेष की भावना बढ़ती है, देश की छवि को नुकसान पहुंचता है, यह देश और समाज के साथ धोखा भी है। समाचार में सनसनी पैदा करना समाचार की पवित्रता के भी विपरीत है।

कृष्ण गोपाल ने कहा कि समाचार जगत त्याग, परिश्रम, निष्ठा, समर्पण की भूमिका से खड़ा होता है। देश में अनेक महानुभावों ने अपने योगदान, बलिदान से समाचार जगत को यशस्वी बनाया है। कीर्तिमान स्थापित किए हैं। देश में समाचार पत्रों की महान परंपरा रही है। पराधीनता के दौर में भी सत्य के अन्वेषण के लिये अनके लोग खड़े हुए। सत्य को जनता के समक्ष लाने, सत्य के अन्वेषण को सर्वोच्च स्थान प्रदान किया। उन्होंने अंग्रेजों की लूट का देशहित में निर्भीकता के साथ खुलासा किया। मदन मोहन मालवीय, गणेश शंकर विद्यार्थी, सरीखे अन्य व्यक्तित्व देश हित में सोचते थे, उनमें सत्य के अन्वेषण का जुनून था, परिश्रम और बलिदान के लिये हमेशा तैयार रहते थे। अंग्रेज सरकार अत्याचार करती थी, लेकिन समाचार जगत का स्तंभ प्रामाणिकता के साथ देश में खड़ा रहा। सूची में एक नाम नहीं, कई बड़े नाम शामिल हैं, समाचार पत्रों के संपादकों ने जेल की यात्रा की, अत्याचार सहन किए। देश हित में, सत्य के अन्वेषण के लिये कुछ लोगों ने अपनी संपत्ति बेचकर समाचार पत्र निकाला, कमाई करने या संपत्ति बनाने के लिये नहीं।

डॉ कृष्ण गोपाल जी ने उदाहरण देते हुए कहा कि मीडिया ने चार चर्चों पर हमले के मामलों को बढ़ा- चढ़ाकर प्रस्तुत किया, जिससे विश्व में भारत की छवि अल्पसंख्यकों के प्रति नकारात्मक रूप में सामने आई, मानों अल्पसंख्यकों के साथ बुरा हो रहा हो। मीडिया ने समाचार में आधा सत्य छिपाया, पुलिस के अनुसार इसी अवधि के दौरान 458 मंदिरों, 25 मस्जिदों पर भी हमले हुए, मीडिया को इन आंकड़ों को भी सामने रखना चाहिए था। इसी प्रकार मीडिया में महिलाओं के प्रति अत्याचारों को भी बढ़ा चढ़ाकर दिखाया जाता है, सनसनी फैलाने के लिये जाति का उल्लेख किया जाता है, मानो पूरा समाज ही बुरा हो। यूरोपीय देशों में महिलाओं के प्रति अत्याचारों का प्रतिशत हमसे काफी अधिक है, लेकिन वहां का मीडिया सनसनी नहीं फैलाता, इससे हमें सीख लेने की आवश्यकता है।

उन्होंने कहा कि महर्षि नारद पत्रकार जगत के आदि पुरुष हैं। किसी भी लोभ-लालच से दूर, संपत्ति संचयन से दूर, निस्वार्थ भाव, हर व्यक्ति से संबंध, निरंतर भ्रमणशील, और सभी को खबर देने का कार्य करते थे। वर्तमान में आदर्श समाचार पत्रों में नारद जी के यह गुण विद्यमान होते हैं। पत्रकारिता लोभ-लालच से दूर, निस्वार्थ होनी चाहिए।

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इस अवसर पर डॉ। कृष्ण गोपाल ने इन्द्रप्रस्थ विश्व संवाद केंद्र के नये वेब पोर्टल “” का उद्घाटन किया।
उन्होंने कहा कि सकारात्मक व सत्यता पर आधारित समाचारों से समाज का विश्वास भी बढ़ता है, समाचार जगत की पवित्रता की श्रेष्ठता भी बनी रहती है। क्षेत्र की चुनौतियों के समाधान पर मिलकर कार्य करना है, साथ ही समाचार की महत्ता, सत्यता पर विवेक के साथ विचार करना है।

कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि एवं इंडिया एडिटर सेंट्रल यूरोपियन न्यूज के शान्तनु गुहा रॉय ने कहा कि हम खबर की खोज में काफी पीछे छूट गए हैं, खबर खूंढने, तलाशने का काम कम कर दिया है। उन्होंने कहा कि मीडिया का गलत उपयोग कहीं न कहीं मालिक ही करते हैं, रिपोर्टर नहीं। हमारा मीडिया एग्रेसिव व प्रोग्रेसिव है, लेकिन हम बेलेंस क्रिएट नहीं कर पा रहे हैं।

कार्यक्रम में वरिष्ठ पत्रकार प्रभु चावला, पूर्व प्रधानमंत्री वाजपयी के मीडिया सलाहकार रहे अशोक टंडन, भारत के समाचार पत्रों के पंजीयक एसएम खान, आईटीएमएन के संपादक विक्रम बहल, आगरा विश्व विद्यालय के पूर्व कुलपति डॉ. के एन त्रिपाठी, इंद्रप्रस्थ विश्वविद्यालय की प्रो वाइस चांसलर डॉ. पुष्पा त्रिपाठी, भारत प्रकाशन के प्रबंध निदेशक विजय कुमार, पाञ्चजन्य के संपादक हितेश शंकर, ऑर्गनाइजकर के संपादक प्रफुल्ल केतकर सहित अन्य गणमान्यजन उपस्थित थे

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