1. तुर्की-पाकिस्तान सैन्य गठजोड़ को बढ़ावा
CAATSA में ढील के बाद तुर्की की रक्षा क्षमताएं बढ़ेंगी, जिससे वह पाकिस्तान को ड्रोन्स, मिसाइल तकनीक और अन्य सैन्य उपकरणों की आपूर्ति और प्रशिक्षण तेज़ कर सकता है। इससे भारत की पश्चिमी सीमा पर सुरक्षा खतरे बढ़ेंगे, खासकर जब हाल ही में भारत-पाक संघर्ष में तुर्की ने पाकिस्तान का खुला समर्थन किया था।
2. भारतीय रक्षा क्षेत्र पर दबाव
अगर अमेरिका तुर्की को F-16 या F-35 जैसे एडवांस्ड हथियार देने की अनुमति देता है, तो पाकिस्तान को भी अप्रत्यक्ष रूप से ऐसी तकनीक मिल सकती है। इससे भारतीय वायुसेना के लिए खतरा बढ़ता है, क्योंकि पाकिस्तान तुर्की के माध्यम से अपनी सैन्य ताकत बढ़ा सकता है।
3. भारत के लिए रणनीतिक असंतुलन
अब तक अमेरिका ने भारत को S-400 डील पर CAATSA से छूट दी थी, लेकिन तुर्की को भी राहत मिलने से अमेरिका की “डबल स्टैंडर्ड” नीति उजागर होती है। इससे भारत की कूटनीतिक स्थिति कमजोर हो सकती है और रूस से रक्षा सौदों पर भविष्य में अमेरिका का दबाव बढ़ सकता है।
4. भारत-तुर्की संबंधों में और गिरावट
भारत पहले ही तुर्की के खिलाफ बड़े रक्षा सौदे रद्द कर चुका है और व्यापारिक प्रतिबंध लगाए हैं। तुर्की को सैन्य छूट मिलने से भारत का विरोध और तेज़ हो सकता है, जिससे दोनों देशों के रिश्ते और खराब होंगे।
CAATSA ढील से तुर्की-पाकिस्तान सैन्य गठजोड़ मजबूत होगा, भारत की सुरक्षा चुनौतियां बढ़ेंगी, और अमेरिका की नीति पर भारत की निर्भरता को लेकर असमंजस पैदा हो सकता है।
भारत की Supermacy से डरा अमेरिका का तुर्की पर CAATSA में ढील: भारत के विरोधियो से मिलाये हाथ
- Mayank Kansara
- May 18, 2025
- 5:56 pm

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