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आधार कार्ड से लिंक होगी वोटर आईडी | चुनाव आयोग और UIDAI के अफसरों की बैठक

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भारत के चुनाव आयोग (ECI) ने हाल ही में मतदाता पहचान पत्र (Voter ID) को आधार नंबर से जोड़ने की तकनीकी चर्चा शुरू करने की योजना की घोषणा की है। यह प्रक्रिया पूरी तरह स्वैच्छिक होगी। इस पहल का उद्देश्य डुप्लीकेट मतदाता पहचान पत्रों की समस्या को हल करना है, जबकि संवैधानिक प्रावधानों और सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों का पालन किया जाएगा। 18 मार्च 2025 को एक उच्च-स्तरीय बैठक के बाद, ECI और भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण (UIDAI) के विशेषज्ञों के बीच तकनीकी चर्चा जल्द ही शुरू होगी।

चुनाव आयोग ने 18 मार्च 2025 को गृह सचिव, विधि मंत्रालय के विधायी सचिव, इलेक्ट्रॉनिक्स एवं आईटी मंत्रालय (MeitY) के सचिव और UIDAI के सीईओ सहित कई सरकारी अधिकारियों के साथ बैठक की। इस बैठक में आधार-मतदाता पहचान पत्र सीडिंग पर चर्चा की गई और तकनीकी परामर्श शुरू करने का निर्णय लिया गया।

सुप्रीम कोर्ट के 2023 के फैसले का पालन करते हुए, चुनाव आयोग ने स्पष्ट किया है कि यह प्रक्रिया अनिवार्य नहीं होगी। अप्रैल 2023 में राज्यसभा में सरकार ने बताया था कि मतदाता पहचान पत्र को आधार से जोड़ने की प्रक्रिया उस समय तक शुरू नहीं हुई थी।

चुनाव आयोग के व्यापक सुधारों के तहत अगले तीन महीनों में डुप्लीकेट मतदाता पहचान पत्रों को हटाने और प्रत्येक मतदान केंद्र पर अधिकतम 1,200 मतदाताओं की सीमा तय करने की योजना बनाई गई है।

लिंकिंग के तरीके

मतदाता अपने वोटर आईडी को आधार से ऑनलाइन या ऑफलाइन दोनों तरीकों से जोड़ सकते हैं।

ऑनलाइन तरीके:

  • वोटर सर्विस पोर्टल: आधिकारिक वेबसाइट पर लॉगिन करके आधार को वोटर आईडी से लिंक किया जा सकता है।
  • वोटर हेल्पलाइन ऐप: यह मोबाइल ऐप (Google Play और App Store पर उपलब्ध) आधार-मतदाता आईडी लिंकिंग को आसान बनाता है।

ऑफलाइन तरीके:

  • SMS सेवा: 166 या 51969 पर इस प्रारूप में SMS भेजें: ECILINK<SPACE><EPIC No.><SPACE><Aadhaar No.>
  • कॉल सेंटर: 1950 नंबर पर सोमवार से शुक्रवार, सुबह 10 बजे से शाम 5 बजे तक कॉल करके जानकारी दें।
  • प्रत्यक्ष आवेदन: मतदाता अपने क्षेत्र के बूथ लेवल ऑफिसर (BLO) को आवेदन जमा कर सकते हैं, जो सत्यापन के बाद रिकॉर्ड अपडेट करेगा।

ऑफलाइन आवेदन के लिए फॉर्म 6B का उपयोग किया जाता है, जिसमें आधार नंबर की जानकारी दी जाती है।

आधार-मतदाता पहचान पत्र लिंकिंग भारत की चुनावी प्रणाली में एक महत्वपूर्ण कदम है, जो डुप्लीकेट मतदाता पहचान पत्र की समस्या को हल कर सकता है। हाल ही में घोषित तकनीकी चर्चा इस प्रक्रिया को आगे बढ़ाने का संकेत देती है, हालांकि इसे सावधानीपूर्वक और चरणबद्ध तरीके से लागू किया जाएगा।

स्वैच्छिक प्रकृति बनाए रखते हुए यह पहल मतदाताओं की निजता और अधिकारों की सुरक्षा सुनिश्चित करेगी। ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों माध्यमों से इसे आसान बनाने की कोशिश की गई है।

आगे बढ़ते हुए, यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि चुनावी पारदर्शिता और तकनीकी नवाचार के बीच संतुलन कैसे बनाए रखा जाता है। सरकार ने इसे अनिवार्य न बनाकर, लोगों को स्वेच्छा से जुड़ने के लिए प्रेरित करने का निर्णय लिया है।

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