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UNSC में पाकिस्तान को बड़ा झटका: चार अहम आतंकवाद-रोधी समितियों की अध्यक्षता की मांग खारिज

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संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) में पाकिस्तान को बड़ा कूटनीतिक झटका लगा है। पाकिस्तान ने चार प्रमुख आतंकवाद-रोधी समितियों की अध्यक्षता (चेयरमैनशिप) की मांग की थी, लेकिन उसे केवल 1988 तालिबान प्रतिबंध समिति की अध्यक्षता और काउंटर-टेररिज्म कमेटी (CTC) में उपाध्यक्ष पद ही मिला है। पाकिस्तान की बाकी तीन समितियों पर दावेदारी को सदस्य देशों ने खारिज कर दिया।

पाकिस्तान की मांग और असफलता
पाकिस्तान ने निम्नलिखित चार समितियों की अध्यक्षता मांगी थी:
1267 प्रतिबंध समिति (ISIL और अल-कायदा)
1540 गैर-प्रसार समिति (Non-Proliferation)
1988 तालिबान प्रतिबंध समिति
1373 काउंटर-टेररिज्म कमेटी (CTC)

इनमें से केवल 1988 तालिबान समिति की अध्यक्षता और CTC में उपाध्यक्ष पद ही पाकिस्तान को मिला। बाकी तीनों महत्वपूर्ण समितियों की कमान पाकिस्तान को नहीं सौंपी गई।

कारण: पाकिस्तान पर भरोसे की कमी
आतंकवाद पर खराब रिकॉर्ड: UNSC के कई सदस्य पाकिस्तान के आतंकवाद पर दोहरे रवैये और उसके क्षेत्र में सक्रिय UN-नामित आतंकियों की मौजूदगी को लेकर चिंतित थे।

भारत और सहयोगियों की सक्रियता: भारत और उसके सहयोगी देशों ने पाकिस्तान की दावेदारी का कड़ा विरोध किया और उसके आतंकवाद से जुड़े इतिहास को उजागर किया।

पांच महीने तक टली नियुक्ति: पाकिस्तान की ‘अवास्तविक’ मांगों के चलते समितियों की नियुक्ति प्रक्रिया लगभग पांच महीने तक अटकी रही।

डिप्लोमैटिक हार या जीत?
पाकिस्तान इसे अपनी कूटनीतिक जीत के तौर पर पेश करने की कोशिश कर रहा है, लेकिन हकीकत यह है कि उसे केवल तालिबान समिति की अध्यक्षता मिली, जो कूटनीतिक रूप से कोई बड़ी उपलब्धि नहीं मानी जा रही। खास बात यह है कि इस समिति में भी रूस और गुयाना (जो भारत के करीबी माने जाते हैं) उपाध्यक्ष बनाए गए हैं, जिससे पाकिस्तान की स्वतंत्रता सीमित हो गई है।

भारत का नजरिया
भारत ने इस फैसले का स्वागत किया है और इसे पाकिस्तान के आतंकवाद-समर्थक रवैये के खिलाफ अपनी कूटनीतिक जीत बताया है। भारत का कहना है कि UNSC के सदस्य देशों ने पाकिस्तान की असलियत को पहचाना और उसे महत्वपूर्ण जिम्मेदारियां सौंपने से इनकार कर दिया।

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