Vsk Jodhpur

सामान्य व्यक्ति की पहुंच में हो शिक्षा और स्वास्थ्य- राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ

सामान्य व्यक्ति की पहुंच में हो शिक्षा और स्वास्थ्य- संघ  
शिक्षा की गुणवत्ता और प्रभावी स्वास्थ्य रक्षा के लिए नियामक आयोग सशक्त बने
DSC07583%255B1%255D
नागौर 12 मार्च 2016। देश में मंहगी होती शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाओं पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने गहरी चिंता जताई है। सरकार से शिक्षा के व्यापारीकरण पर अंकुश लगाने के लिए नियामक आयोग को प्रभावी बनाने की मांग की है। सस्ती, सुलभ और गुणवत्तापूर्ण शिक्षा व स्वास्थ्य सुविधाओं के लिए प्रतिनिधि सभा ने शिक्षा और स्वास्थ्य पर दो प्रस्ताव एकमत से पारित किए।
DSC07588%255B1%255Dराष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के अखिल भारतीय सम्पर्क प्रमुख अनिरूद्ध देशपांडे ने शनिवार को पत्रकारों को प्रस्तावों के बारे में जानकारी देते हुए कहा कि सरकार से शिक्षा का बजट कम मिल रहा है। निजी संस्थाओं का व्यवसायीकरण के उद्देश्य से इस क्षेत्र में आना चिंता का विषय है। निजीकरण की प्रक्रिया के बाद शिक्षा मंहगी हुई है। आज प्राथमिक से लेकर विश्वविद्यालयीन स्तर तक की शिक्षा का व्यापारीकरण हो रहा है। इसके चलते सामान्य घर से आने वाले छात्रों के लिए शिक्षा प्राप्त करना कठिन हो गया है। मंहगी होती शिक्षा से अभिभावक भी प्रभावित हो रहे हैं। उन्होंने कहा कि शुल्क निर्धारण और सुविधाओं का मापदंड तय करने के लिए नियामक आयोग को और अधिक शक्तियां देकर इसे प्रभावी बनाया जाना चाहिए। आवश्यकता पड़ने पर सरकार भौगोलिक या संख्या के आधार पर आयोग का विकेन्द्रीरण करें। उन्होंने शिक्षा को व्यापक बनाने के लिए धार्मिक, सामाजिक एवं उद्योग समूहों से आगे आने का आव्हान भी किया।
देशपांडे ने कहा कि चिकित्सा शिक्षा तो अत्यन्त ही महंगी हो गई है, डिग्री पूरी करते ही चिकित्सक डिग्री में लगा पैसा निजी व्यवसाय द्वारा सामान्य व्यक्ति से वसूलना प्रारंभ कर देता है।
उन्होंने कहा कि कई क्षेत्रों में स्वास्थ्य सेवाएं अनुपलब्ध है, जहां है वहां भी बहुत महंगी है। जो सामान्य व्यक्ति की पहुंच के बाहर है। स्वास्थ्य सेवाएं सहज और सबको सस्ती उपलब्ध हो। सरकार जेनेरिक औषधियों को प्रोत्साहन दे ताकि सभी को सस्ती दवाईयां मिले। केन्द्र सरकार द्वारा हाल के बजट में 3000 जेनेरिक औषधि केन्द्र खोलने का स्वागत करते हुए उन्होंने कहा इनका प्रभावी क्रियान्वयन हो। उन्होंने आयुर्वेदिक, यूनानी व अन्य पद्धतियों की औषधियों का प्रमापीकरण व उनके परीक्षण की विधियों के विकास की बात भी कही। समाज को भी रोगमुक्त रहने के लिए दिनचर्या, कुपोषण व नशामुक्ति के लिए जनजागरण का प्रयास करना चाहिए।
सोशल शेयर बटन

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Archives

Recent Stories

Scroll to Top