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संगठन में धन से अधिक महत्व महापुरुषों के जीवन का अनुसरण है -डॉ मोहन भागवत जी

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संगठन में धन से अधिक महत्व महापुरुषों के जीवन का अनुसरण है : सरसंघचालक जी

नई दिल्ली, 19 दिसम्बर 2015, (इंविसंके) । राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक डॉ मोहन भागवत जी ने संघ के ज्येष्ठ प्रचारक सरदार चिरंजीव सिंह जी का अभिनंदन करते हुए कहा कि दीपक की तरह संघ के प्रचारक दूसरों के लिए जल कर राह दिखाते हैं। सम्मान आदि से प्रचारक दूर रहना ही पसंद करते हैं। संघ में व्यक्ति के सम्मान की परंपरा नहीं है, किंतु संगठन के लाभ के लिए न चाहते हुए भी सम्मान अर्जित करना पड़ता है। सरसंघचालक जी राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के वरिष्ठ प्रचारक एवं वर्तमान में राष्ट्रीय सिख संगत के मुख्य संरक्षक सरदार चिरंजीव सिंह जी के  85 वर्ष पूर्ण होने के अवसर पर नई दिल्ली स्थित मावलंकर सभागार में आयोजित सत्कार समारोह में बड़ी संख्या में देश के विभिन्न क्षेत्रों से आये सिख संगत के कार्यकर्ताओं को संबोधित कर रहे थे।

सरसंघचालक जी ने बताया कि जीवन का आदर्श अपने जीवन से खड़ा करना यह सतत तपस्या संघ के प्रचारक करते हैं। इसके लिए वह स्वयं को ठीक रखने की कोशिश जीवन पर्यन्त करते है। महापुरुषों के जीवन का अनुसरण करते रहने वाले साथी मिलते रहें यह अधिक महत्त्वपूर्ण है। धन से ज्यादा,  संगठन का फायदा इसमें है कि जो रास्ता संगठन दिखाता है उस रास्ते पर चलने की हिम्मत समाज में बने।

उन्होंने बताया कि संघ में प्रचारक निकाले नहीं जाते वह अपने मन से बनते हैं। जिसको परपीड़ा नहीं मालूम होती वह कैसे पुरुष हो सकता है। मनुष्य को मनुष्य होने का साहस करना होता है, संघ स्वयंसेवको को ऐसा वातावरण देता है। सरदार चिरंजीव सिंह जी के जीवन से ऐसा उदाहरण देख लिया है। अब हम लोगों के ऊपर है कि हम कैसे उनके जीवन के अनुसार चल सकते हैं। अपनी शक्ति बढ़ाते चलो अपना संगठन मजबूत करते चलो, सरदार चिरंजीव सिंह जी ने ऐसा कर के दिखाया। अगर यह परंपरा आगे चलाने की कोशिश हम सभी करें तो किसी भी धन प्राप्ति से ज्यादा ख़ुशी उनको होगी

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