वर्तमान स्वरूप
भूमि एवं भवन- वर्तमान में विद्यामन्दिर के पास 42 बीघा जमीन एवं बड़ा पहाड़ी क्षेत्र है। जिसमें 7 भवन बने हुए है। उनमें 39 बडे़ कक्ष , 13 छोटे कक्ष , 4 हाॅल एवं एक विशाल सभागार बना हुआ है।
जलाशय- परिसर में एक बड़ा 12 बीघा जमीन का जलाशय है, जिसे लालसागर के नाम से जाना जाता है। यह जलाशय वर्ष भर भरा रहता है, वर्षा का पानी आने के लिए तीन ओर पहाडि़याँ हैं।
विद्यामन्दिर – वर्तमान विद्यामन्दिर तीन ईकाइयों में चलता है।
1 बालकों का उच्च माध्यमिक विद्यालय
2 बालिकाओं के लिए माध्यमिक स्तर का विद्यालय
3 छोटे भैया/बहिनों हेतु प्राथमिक विद्यालय जिसमें 764 भैया/बहिन अध्ययनरत हैं।
छात्रावास – वर्तमान में 68 भैयाओं का छात्रावास चलता है, जिसमें 35 गाँवों के भैया अध्ययनरत हैं।
वैशिष्ट्यः– हमारे विद्यामन्दिर की भौगोलिक एवं शैक्षणिक विशेषताएँ अधोलिखित है-
1 भौगोलिक वैशिष्ट्यः-
– विद्यामन्दिर की अपनी पर्याप्त भूमि।
– जलाशय के कारण पर्याप्त पानी की उपलब्धता।
– प्राकृतिक सौदन्र्य से परिपूर्ण परिसर।
– रेल्वे स्टेशन से मात्र 7 किलोमीटर एवं बस स्टेशन से मात्र 5 कि.मी. की दूरी।
2 शैक्षणिक वैशिष्ट्यः-
1 देश का सबसे बड़ा गैरसरकारी शिक्षा संस्थान ‘विद्याभारती’ से सम्बद्ध।
2 शिक्षा एवं संस्कार द्वारा व्यक्ति निर्माण का केन्द्र।
3 पाँच आधारभूत विषय- शारीरिक, येाग, संगीत संस्कृत, नैतिक एवं आध्यत्मिक शिक्षा
के माध्यम से सर्वांगीण विकास।
4 संस्कारक्षम वातावरण में प्रतिदिन प्रभावी वन्दना।
5 प्रतिभाओं के विकास के लिए-राष्ट्रीय स्तर तक शारीरिक प्रतियोगिताएँ, बौद्धिक
प्रतियोगिताएँ, विज्ञान मेला, प्रश्न मंच एवं पत्र-वाचन आदि के अवसर उपलब्ध करवाना।
6 कम्प्यूटर शिक्षा की उतम व्यवस्था।
7 विद्यार्थियों में सामाजिकता एवं देश प्रेम के संस्कार डालने हेतु प्रतिवर्ष स्वदेशी सप्ताह ,
संस्कृति ज्ञान परीक्षा, उपेक्षित जन शिक्षा एवं कुष्ठ रोगियों की सहायतार्थ निधि संग्रह।
8 घर की विद्यालय की संकल्पना साकार करने हेतु सतत गृह-सम्पर्क, मातृ सम्मेलन एवं अभिभावक सम्मेलनों का अयोजन।
भावी स्वरूप
राष्ट्र आराधना केन्द्रः-
पुण्यभूमि भारत
विश्व गुरु भारत
वैभवशाली भारत
एवं भारत की वैज्ञानिक उपलब्धियों का दर्शन करवाने वाला आधुनिक तकनीक से निर्मित आस्था का एक दर्शनीय केन्द्र, जिसे देखने के लिए देश -विदेश से पर्यटक आयेंगे-
प्रतिभा विकास केन्द्र:– (Center of Excellence)
प्रशासनिक, प्रौद्योगिक, सूचना तकनीक आदि के क्षेत्र की विशेष प्रतिभाओं का विकास करने वाला केन्द्र खड़ा किया जायेगा।
राष्ट्रीय स्तर का खेल केन्द्र:-
एथेलेटिकस, कुश्ती, जूड़ो,कबड्डी, खो-खो, तैराकी आदि भारतीय खेलों के अन्तर्राष्ट्रीय स्तर के प्रशिक्षण एवं खिलाड़ी तैयार किये जायेंगे।
कौशल विकास केन्द्र:– (Skill Development Centre)
वर्तमान भारत में बेरोजगारी एक बहुत बड़ी समस्या है, जो देश के विकास में बाधक है। अतः इस केन्द्र में केवल किताबी पढ़ाई नहीं अपितु हाथ का हूनर सिखाकर, विभिन्न क्षेत्रों में ैापससमक व्यक्ति तैयार करना जो भारत के आर्थिक विकास में योगदान दे सके।
कला विकास केन्द्र:-
जीवन में सृजनात्मकता का अत्यन्त ही महत्व है। भारत में 64 कलाएँ एवं 32 विद्याएँ विकसित हुई थी। उनमें से संगीत,नृत्य ,नाटक, चित्रकला, मूर्तिकला व वास्तुकला आदि प्रमुख कलाओं की शिक्षा का केन्द्र विकसित किया जायेगा।
व्यावसायिक शिक्षा का केन्द्र:-
आई.टी.आई व पोलिटेक्निक काॅलेज के माध्यम से स्थानीय युवाओं को तकनीक शिक्षा दी जायेगी । जिससे वे स्वयं का व्यवसाय कर स्वावलम्बी बन सके।
अनुसंधान केन्द्र:–
उपर्युक्त सभी केन्द्रों के विकास के लिए भारतीय चिन्तन के आधार पर अनुसंधान कार्यो का आधुनिक केन्द्र खड़ा किया जायेगा, जो राष्ट्र की इस भावी पाढ़ी के निर्माण हेतु सतत अनुसन्धानात्मक मार्गदर्शन उपलब्ध करवायेगा।
आचार्य प्रशिक्षण केन्द्र:-
विद्याभारती के पाँचों आधारभूत विषय, शिक्षण के विषय एवं विभिन्न प्रकल्पों के लिए योग्य आचार्यों को प्रशिक्षित करने हेतु आधुनिक संसाधनों से युक्त आचार्य प्रशिक्षण केन्द्र खड़ा किया जायेगा।
-मार्गदर्शन –
लालसागर का यह केन्द्र शिक्षा-संस्कृति, ज्ञान-विज्ञान एवं कला-कौशल की शिक्षा एवं प्रशिक्षण के माध्यम से राष्ट्र पुनरूत्थान का एक अभिनव केन्द्र बने इस दृष्टि से हमने भावी स्वरूप की कुछ कल्पना की है। हम चाहते हैं कि यह परियोजना सभी दृष्टि से परिपूर्ण हों,