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प्रस्ताव क्रमांक दो – गुणवत्तापूर्ण एवं सस्ती शिक्षा सबको सुलभ हो–राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा (नागौर)

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प्रस्ताव क्रमांक दो – गुणवत्तापूर्ण एवं सस्ती शिक्षा सबको सुलभ हो

नागौर, जोधपुर (विसंकें). राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा (नागौर) की बैठक में दूसरे दिन गुणवत्तापूर्ण शिक्षा व सस्ती शिक्षा को सर्व सुलभ करवाने को लेकर प्रस्ताव पारित किया. प्रतिनिधि सभा ने सरकार से आग्रह किया कि युवाओं को उनकी अभिरुचि, योग्यता, क्षमता के अनुसार उचित शिक्षा के निर्बाध अवसर उपलब्ध करवाए जाएं.
प्रस्ताव क्रमांक दो
किसी भी राष्ट्र व समाज के सर्वांगीण विकास में शिक्षा एक अनिवार्य साधन है, जिसके संपोषण, संवर्द्धन व संरक्षण का दायित्व समाज व सरकार दोनों का है. शिक्षा छात्र के अन्दर बीज रूप में स्थित गुणों व संभावनाओं को उभारते हुए उसके व्यक्तित्व के समग्र विकास का साधन है. एक लोक कल्याणकारी राज्य में शासन का यह मूलभूत दायित्व है कि वह प्रत्येक नागरिक को रोटी, कपड़ा, मकान और रोजगार के साथ-साथ शिक्षा व चिकित्सा की उपलब्धता सुनिश्चित करे.
भारत सर्वाधिक युवाओं का देश है. इस युवा की अभिरूचि, योग्यता व क्षमता के अनुसार उसे उचित शिक्षा के निर्बाध अवसर उपलब्ध कराकर देश के वैज्ञानिक, तकनीकी, आर्थिक व सामाजिक विकास में सहभागी बनाना समाज एवं सरकार का दायित्व है. आज सभी अभिभावक अपने बच्चों को अच्छी शिक्षा दिलाना चाहते हैं. जहां शिक्षा प्राप्त करनेवाले छात्रों की संख्या में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है वहां उन सबके लिए सस्ती व गुणवत्तापूर्ण शिक्षा पाना दुर्लभ हो गया है. विगत वर्षों में सरकार द्वारा शिक्षा में अपर्याप्त आवंटन और नीतियों में शिक्षा को प्राथमिकता के अभाव के कारण लाभ के उद्देश्य से काम करने वाली संस्थाओं को खुला क्षेत्र मिल गया है. आज गरीब छात्र समुचित व गुणवत्ता पूर्ण शिक्षा से वंचित हो रहे हैं. परिणामस्वरूप समाज में बढ़ती आर्थिक विषमता समूचे राष्ट्र के लिए चिंता का विषय है.
वर्तमान शैक्षिक परिदृश्य में सरकार को पर्याप्त संसाधनों की उपलब्धता तथा उचित नीतियों के निर्धारण के अपने दायित्व के लिए आगे आना चाहिए. शिक्षा के बढ़ते व्यापारीकरण पर रोक लगनी चाहिए ताकि छात्रों को महंगी शिक्षा प्राप्त करने को बाध्य न होना पड़े.
सरकार द्वारा शिक्षा संस्थानों के स्तर, ढांचागत संरचना, सेवाशर्ते, शुल्क व मानदण्ड़ आदि निर्धारण करने की स्वायत्त एवं स्व-नियमनकारी व्यवस्था को सुदृढ़ किया जाए ताकि नीतियों का पारदर्शितापूर्वक क्रियान्वयन हो सके.
अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा का यह मानना है कि प्रत्येक बालक-बालिका को मूल्यपरक, राष्ट्र भाव से युक्त, रोजगारोन्मुख तथा कौशल आधारित शिक्षा समान अवसर के परिवेश में प्राप्त होनी चाहिए. राजकीय व निजी विद्यालयों के शिक्षकों का स्तर सुधारने हेतु शिक्षकों को यथोचित प्रशिक्षण, समुचित वेतन तथा उनकी कर्त्तव्य परायणता दृढ़ करना भी अतिआवश्यक है.
परम्परा से अपने देश में सामान्य व्यक्ति को सस्ती व गुणवत्तापूर्ण शिक्षा उपलब्ध कराने में  समाज ने महती भूमिका निभाई है. वर्तमान परिप्रेक्ष्य में भी सभी धार्मिक-सामाजिक संगठनों, उद्योग समूहों, शिक्षाविदों व प्रमुख व्यक्तियों को अपना दायित्व समझकर इस दिशा में आगे आना चाहिए.
अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा केन्द्र, राज्य सरकारों व स्थानीय निकायों से आग्रह करती है कि सस्ती व गुणवत्तापूर्ण शिक्षा सबको उपलब्ध कराने के लिए समुचित संसाधनों की व्यवस्था तथा उपयुक्त वैधानिक प्रावधान सुनिश्चित करें. अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा स्वयंसेवकों सहित समस्त देशवासियों का भी आवाहन करती है कि शिक्षा प्रदान करने के पावन कार्य हेतु विशेषकर ग्रामीण, जनजातीय एवं अविकसित क्षेत्र में वे आगे आवें ताकि एक योग्य, क्षमतावान व ज्ञानाधारित समाज का निर्माण हो सके जो इस राष्ट्र के उत्थान व विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा.
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