Vishwa Samvad Kendra Jodhpur

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संघ का स्पष्ट मत, दिशा व दृष्टि स्पष्ट है कि स्वयंसेवकों को हिंदू समाज के हित और सुदृढ़ीकरण के लिए श्रम साधना करना है।:- निंबाराम

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कार्यक्रम में अपना आशीर्वचन प्रदान करते हुए श्री जी महाराज ने कहा कि करमा बाई व  मीराबाई सनातन संस्कृति के गौरव है। हमारा समाज जाति पंथ में विभक्त न हो। सनातन संस्कृति के हम सभी अंग हैं। भगवान के लिए भक्ति महत्व है न कि जाति व  वर्ण।  मां सबरी व कुब्जा के उदाहरण से स्पष्ट है कि भगवान के लिए भक्ति ही महत्व है। हमारी सनातन संस्कृति वैभवशाली संस्कृति है। इससे हम अपना जीवन संयमित और संस्कारित बना सकते हैं।



अपने उद्बोधन में मुख्य वक्ता राजस्थान क्षेत्र प्रचारक निंबाराम ने कहा कि संघ के कार्य के बारे में अनेक धारणाएं, विचार और मान्यताएं व भ्रम समाज जीवन में प्रचलित हैं।
संघ का स्पष्ट मत, दिशा व दृष्टि स्पष्ट है कि स्वयंसेवकों को हिंदू समाज के हित और सुदृढ़ीकरण के लिए श्रम साधना करना है। हमारे देश का गौरवशाली इतिहास रहा है।
महान संत परंपरा ने हमारी आध्यात्मिक धरोहर को संजोकर रखा है। विराट व भव्य महाकुंभ ने इस देश की सामाजिक समरसता और सनातन एकता का दिव्य रूप प्रकट किया।
समाज को सबल बनाने से ही राष्ट्र सशक्त बनेगा। हम कितनी भी व्यवस्थाएं क्यों ना खड़ी कर लें यदि समाज दुर्बल है तो राष्ट्र निर्माण में पिछड़ जाएंगे।
संघ की शाखा समाज परिवर्तन और राष्ट्र निर्माण की आधारशिला है।
नियमित संघ स्थान के अलावा भी गांव गांव, नगर नगर में हमारे स्वयंसेवक व्यक्ति निर्माण और राष्ट्र निर्माण के कार्य में लगे हुए हैं।
सज्जन शक्ति के सक्रिय सहयोग से ही हम परम वैभव के लक्ष्य को प्राप्त करने में समर्थ होंगे। जन जन को सक्रिय होकर राष्ट्र के लिए कार्य करना पड़ेगा। संघ तो ईश्वरीय कार्य है। संघ विशुद्ध रूप से भारत को परम वैभव की ओर ले जाने के लिए सतत कार्यरत है।

आज के तकनीकी रूप से सुदृढ़ और विकसित समाज में रहते हुए भी यदि हम जातिवाद की बात करते हैं तो यह   चिंताजनक है।
कुछ लोग अपनी राजनीति को चमकाने के लिए समाज को जातियों में बांट रहे हैं
ऐसे षड्यंत्र करने वाले लोग कभी किसी के सगे नहीं होते वे केवल समाज में दरार डालते हैं। पंच परिवर्तनों के माध्यम से जाग्रत जनता के केंद्रों से विकसित भारत का स्वप्न पूर्ण करना ही संघ का लक्ष्य है।
सामाजिक समरसता केवल माइक पर बोलने का विषय नहीं है अपितु व्यवहार में लाने की आवश्यकता है। हमने इस पर कार्य किया है और अधिक गति से कार्य करने की आवश्यकता है।
पर्यावरण संरक्षण के लिए केवल सरकारों के भरोसे रहने से काम नहीं चलेगा। प्रकृति को माता मानकर उसके संरक्षण और संवर्धन के लिए अपने आप से शुरुआत करनी पड़ेगी।
हमारे घरों में प्लास्टिक मुक्त कार्यक्रम हो ऐसा प्रयास हमें स्वयं करके समाज को प्रेरणा देने होंगी। नागरिक कर्तव्यों का पालन करने पर जोर देने की आवश्यकता है।

अपने संबोधन में कार्यक्रम के मुख्य अतिथि दरियावराम धोलिया में कहा कि तेजाजी महाराज ने 930 वर्ष पूर्व समाज जीवन के सामने आदर्श प्रस्तुत किया। छुआछूत व भेदभाव को दूर कर एक समान व्यवहार करने पर बल दिया। संघ के शारीरिक कार्यक्रम व पथ संचलन को देखने से ऐसा अनुभव आया कि देश के सैनिकों के समान ही पथ संचलन व कार्यक्रम अनुशासित है। संघ का कार्य देशहित और हिंदुत्व के लिए परिश्रम करने का है। ऐसे श्रेष्ठ कार्यों के लिए साधुवाद।


कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि नरसीराम कुलरिया ने कहा कि संघ का कार्य व्यक्ति व समाज निर्माण से राष्ट्र निर्माण है जिससे विश्व कल्याण हो सके। संघ के स्थापना के 100 वें वर्ष में प्रवेश स्व के इच्छित भाव से राष्ट्र हेतु कार्य करना है। भारत को जीवंत जीवन अंतराष्ट्र के भाव से देखते  व अनुभव करते हैं।  मां व संतान के बीच का संबंध सम्मान व कर्तव्य के बोध जागरण का जागृत करता है ऐसा हम भारतवासी मानते हैं। संघ का कार्य व्यक्ति निर्माण से राष्ट्र निर्माण की ओर परिणत करना है जो सर्वे भवंतु सुखिनः की कामना करते हैं। राष्ट्र है तभी हम सुरक्षित है इसलिए राष्ट्र सर्वोपरि है।

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