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गौ सेवा में संघ का विराट योगदान — एक वर्ष की प्रेरणादायक यात्रा
(प्रतिनिधि सभा प्रतिवेदन 2024-25 के आंकड़ों एवं कार्यों पर आधारित)
“गौ सेवा केवल एक परंपरा नहीं, यह भारतीय समाज की आत्मा है। संघ की सेवा दृष्टि में यह सेवा, संस्कार और स्वावलंबन का संगम है।”
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की प्रतिनिधि सभा 2024-25 में प्रस्तुत आंकड़े यह स्पष्ट करते हैं कि गौ सेवा अब एक सामाजिक आंदोलन का स्वरूप ले रही है। संघ ने इस वर्ष गौ सेवा के 12 प्रमुख आयामों में देशभर में अनेक कार्यक्रमों के माध्यम से जनजागरण और ग्रामोत्थान का मार्ग प्रशस्त किया है।
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1. प्रशिक्षण वर्ग : सेवा के संस्कारों की शृंखला
खंड, नगर, जिला, विभाग एवं प्रांत स्तर पर 1,144 प्रशिक्षण वर्ग आयोजित हुए
कुल 31,626 प्रशिक्षार्थियों ने सहभागिता की
यह प्रशिक्षण सिर्फ तकनीकी नहीं, बल्कि संस्कार और सेवा भावना से युक्त कार्यकर्ता निर्माण का माध्यम बन रहे हैं।
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2. गो पालन एवं गो संवर्धन : आत्मनिर्भर ग्राम व्यवस्था की नींव
74,468 घरों में गो पालन हो रहा है, जिसमें 1,87,466 गायों का समावेश
11,640 गोशालाएं संघ के संपर्क में हैं, जो एक व्यापक संरचना का प्रमाण है।
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3. गो आधारित कृषि : जैविक खेती की ओर समाज का रुझान
21,469 किसान — 67,932 एकड़ भूमि में गौ आधारित खेती कर रहे हैं
17,767 परिवारों में छतों पर बागवानी की प्रेरणा — ग्राम और शहर दोनों में हरित क्रांति की पहल।
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4. गो ऊर्जा : पारंपरिक तकनीक का नवाचार
2,207 परिवारों में बैल-हल से खेती
17,246 घरों में गोबर गैस प्लांट, जो स्वच्छ ऊर्जा और पर्यावरण सुरक्षा का प्रतीक है।
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5. गोपाष्टमी कार्यक्रम : व्यापक जन सहभागिता
24,127 कार्यक्रम, 10,910 स्थानों पर, जिसमें 7,22,156 की उपस्थिति
मठ, मंदिर, आश्रम और संस्थानों में सामूहिक गौ पूजन व प्रेरणा कार्यक्रम
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6. गो-नवरात्र : संस्कृति से सेवा का समन्वय
2,477 स्थानों पर 15,006 कार्यक्रम, उपस्थिति 1,04,499 — यह धार्मिक चेतना से सामाजिक एकता की मिसाल है।
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7. गो-कथा एवं संगम : भावजागरण की शक्ति
647 स्थानों पर गो-कथा, 1,76,189 श्रोता
77 स्थानों पर गो-सेवा संगम, 1,56,990 सहभागिता
यह कार्यक्रम सामाजिक भावनात्मक जुड़ाव और संघर्षशील गौ सेवकों का सम्मान मंच बन रहे हैं।
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8. गो-उत्पाद निर्माण और वितरण : स्वावलंबन की पहल
1,694 कार्यकर्ता निर्माण में सक्रिय, 2,032 कार्यकर्ता विक्रय कार्य में
समाज में गौ आधारित कुटीर उद्योग को नई पहचान मिल रही है।
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9. गोमय गणपति एवं गोमय दीपावली : सांस्कृतिक पर्यावरण संरक्षण
3,78,589 गोमय गणपति मूर्तियां घरों में पूजित
23,70,323 गोमय दीपकों का निर्माण, 11,28,343 घरों में प्रयोग — “पूजा भी, प्रकृति भी” का आदर्श
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10. पूर्णिमा पर गौ पूजन : मासिक अनुशासित परंपरा
1,596 स्थानों पर नियमित गौ पूजन, 70,509 उपस्थिति — संस्कारों का सतत प्रवाह
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11. गो-विज्ञान परीक्षा : नई पीढ़ी को जोड़ने का प्रयास
6,92,067 पुस्तकों का वितरण
8,626 स्थानों पर परीक्षाएं, 6,82,439 छात्रों की सहभागिता
— “ज्ञान के साथ संवेदनशीलता का समावेश”
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12. ‘एक गाँव, एक कार्यकर्ता’ योजना : ग्राम केंद्रित सेवा विस्तार
1,387 कार्यकर्ता इस योजना के अंतर्गत सक्रिय हैं — ग्राम सेवा का जमीनी विस्तार
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निष्कर्ष : गौ सेवा – राष्ट्र सेवा का आत्मचिन्ह
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की यह सेवा योजना केवल गोमाता के संरक्षण की बात नहीं करती, बल्कि समाज, संस्कार, कृषि, ऊर्जा, रोजगार और संस्कृति — इन सभी क्षेत्रों में आत्मनिर्भर भारत की नींव रख रही है।
“गौ सेवा का यह संकल्प संघ के शताब्दी वर्ष में जनचेतना का विराट स्वरूप ले रहा है।”
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