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सत्य को स्वीकार करने की हिम्मत नहीं, इसलिये न्यायालय से भाग रहे – डॉ. मनमोहन वैद्य

सत्य को स्वीकार करने की हिम्मत नहीं, इसलिये न्यायालय से भाग रहे – डॉ. मनमोहन वैद्य

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अखिल
भारतीय प्रचार प्रमुख डॉ. मनमोहन वैद्य जी प्रेस वार्ता में


उदयपुर (विसंकें). राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के अखिल
भारतीय प्रचार प्रमुख डॉ. मनमोहन वैद्य जी ने उदयपुर में आयोजित अखिल
भारतीय समन्वय बैठक के बारे में मीडिया को प्रेस वार्ता में जानकारी प्रदान
की.
उन्होंने
कहा कि यह एक रूटीन बैठक है, इस बैठक में कोई निर्णय नहीं होता, संघ में
निर्णय लेने के लिए कार्यकारी मंडल की बैठक हैदराबाद में अक्तूबर माह में
होगी, इसी तरह प्रतिनिधि सभा की बैठक मार्च में होती है. उदयपुर में आयोजित
यह बैठक अखिल भारतीय समन्वय बैठक है. अखिल भारतीय अधिकारी एवं संघ के
विविध क्षेत्रों में काम करने वाले कार्यकर्ता पूरे वर्ष भर देश में प्रवास
करते हैं, इस दौरान वे भिन्न-भिन्न क्षेत्रों के लोगों से मिलते हैं, और
समाज को ऑब्जर्व करते हैं एवं उनसे इनपुट लेते हैं. साल में दो बार
कार्यकर्ता अपने इनपुट (अनुभव का) आदान-प्रदान करते हैं, पिछली बैठक (जनवरी
माह में आयोजित) के बाद अभी तक जो कार्यक्रम हुए हैं, एवं जो कार्यक्रम
आगे होने वाले हैं, उसके संबंध में चर्चा बैठक में करेंगे.
पत्रकारों के सवालों का जवाब देते हुए डॉ. मनमोहन वैद्य जी ने गोवा के
विषय में बताया कि भारत में कुल 42 प्रान्त हैं और गोवा एक प्रान्त का
विभाग है, इस संबंध में निर्णय वही प्रान्त करेगा.
महात्मा गांधी की हत्या और नाथूराम गोडसे के बारे में राहुल गाँधी
द्वारा संघ पर लगाये गए आरोप से सम्बंधित सवाल पर कहा कि संघ एक ओपन संगठन
है, कई लोग जुड़ते हैं, छोड़ते हैं और निष्क्रिय हो जाते है. ट्रायल कोर्ट
एवं हाईकोर्ट केअभियोजन एवं चार्जशीट में भी कहीं संघ का नाम नहीं है. इसके
बाद दो कमीशन बने हैं, उनमें भी गाँधी की हत्या में संघ का नाम नहीं है और
खुद अभियुक्तों ने भी कभी संघ का नाम नहीं लिया है. न्यायिक प्रक्रिया का
सम्मान होना चाहिए और यह निर्णय करने का काम कोर्ट का है ना कि आरोप लगाने
वालों का. ये वो लोग हैं जो न्यायिक प्रक्रिया द्वारा घोषित आतंकवादियों की
बैठक में जाकर उनका गुणगान करते हैं, यदि इनके पास कोई सबूत हो तो साबित करें, सत्य को स्वीकार करने की हिम्मत नहीं है ऐसे लोगो में, इसलिये न्यायालय से भागते फिर रहे हैं.
साभार :: vskbharat.com
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