भारत-बांग्लादेश सीमा पर एक बार फिर अवैध प्रवासियों के मुद्दे को लेकर तनाव बढ़ता नजर आ रहा है। हाल ही में बांग्लादेश सेना के एक वरिष्ठ अधिकारी ब्रिगेडियर जनरल मोहम्मद नाज़िम-उद-दौला द्वारा भारत पर ‘पुश-इन’ (अवैध तरीके से प्रवासियों को सीमा पार भेजने) का आरोप लगाते हुए हस्तक्षेप की चेतावनी देने से दोनों देशों के बीच कूटनीतिक संबंधों में नई चुनौती खड़ी हो गई है।
भारत की स्थिति: क़ानूनी प्रावधानों के तहत कार्रवाई
भारत सरकार ने स्पष्ट किया है कि जो भी विदेशी नागरिक अवैध रूप से देश में रह रहे हैं, उन्हें भारतीय क़ानूनों के तहत चिन्हित कर वापस भेजा जाएगा। अधिकारियों के अनुसार, यह प्रक्रिया पूरी तरह वैधानिक और मानवीय पहलुओं को ध्यान में रखकर की जा रही है। भारत ने बांग्लादेश से अब तक 2,300 संदिग्ध नागरिकों की पहचान और नागरिकता सत्यापन की मांग की है।
2024 में भारत ने 295 और 2025 की शुरुआत से अब तक 100 अवैध बांग्लादेशी नागरिकों को सीमा पर बीजीबी (बॉर्डर गार्ड बांग्लादेश) को सौंपा है।
बांग्लादेश की आपत्ति
बांग्लादेश का कहना है कि इन अवैध नागरिकों को ‘पुश-इन’ की प्रक्रिया से सीमा पार भेजना अंतरराष्ट्रीय और द्विपक्षीय नियमों का उल्लंघन है। बांग्लादेशी सेना और गृह मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारियों का कहना है कि किसी भी व्यक्ति की वापसी केवल कूटनीतिक और मानवीय प्रक्रिया के ज़रिए ही होनी चाहिए।
ब्रिगेडियर जनरल नाज़िम-उद-दौला ने कड़ा रुख अपनाते हुए कहा, “यदि आवश्यकता पड़ी, तो सरकार के निर्देश पर बांग्लादेश सेना सीमा पर हस्तक्षेप के लिए पूरी तरह तैयार है।”
बढ़ती संवेदनशीलता
भारत में लगभग 2 करोड़ बांग्लादेशी नागरिकों के अवैध रूप से रहने का अनुमान है। इससे राष्ट्रीय सुरक्षा, सामाजिक ढांचे पर दबाव, और मानव तस्करी जैसे मुद्दे सामने आ रहे हैं। वहीं सीमा पर बढ़ती निगरानी और डिपोर्टेशन की कार्रवाई को लेकर स्थानीय और अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार संगठनों की भी नज़र बनी हुई है।
कूटनीतिक प्रयास जारी
हालांकि स्थिति तनावपूर्ण है, फिर भी दोनों देशों के अधिकारी कूटनीतिक चैनलों के माध्यम से समाधान निकालने की कोशिश कर रहे हैं। विदेश मंत्रालय के सूत्रों के अनुसार, भारत इस मुद्दे को अंतरराष्ट्रीय नियमों और द्विपक्षीय समझौतों के दायरे में रहकर सुलझाना चाहता है।
भारत और बांग्लादेश के बीच अवैध प्रवासियों का मुद्दा केवल सीमा सुरक्षा का ही नहीं, बल्कि राजनीतिक और मानवीय दृष्टिकोण से भी संवेदनशील बन गया है। बांग्लादेश की चेतावनी और भारत की क़ानूनी प्रक्रिया के बीच संतुलन बैठाना अब दोनों देशों की कूटनीतिक समझदारी पर निर्भर करेगा। आने वाले समय में यह देखना अहम होगा कि क्या यह मुद्दा बातचीत से सुलझेगा या सीमा पर तनाव और गहराएगा।