बीजापुर/रायपुर:
भारत ने नक्सलवाद के खिलाफ अब तक का सबसे बड़ा और निर्णायक ऑपरेशन पूरा किया है। छत्तीसगढ़-तेलंगाना सीमा स्थित कर्रेगुट्टा पहाड़ियों में 21 दिनों तक चले इस संयुक्त अभियान में सुरक्षा बलों ने 31 कुख्यात नक्सलियों को मार गिराया, जिन पर कुल 1.72 करोड़ रुपये का इनाम घोषित था। इस ऑपरेशन में किसी भी सुरक्षाकर्मी की जान नहीं गई, हालांकि 18 जवान घायल हुए हैं।
ऑपरेशन की मुख्य बातें
समयावधि: 21 दिन
स्थान: कर्रेगुट्टा पहाड़ियां, बीजापुर (छत्तीसगढ़)-तेलंगाना सीमा
मारे गए नक्सली: 31 (17 महिला, 14 पुरुष), सभी की पहचान और शव बरामद
इनामी राशि: कुल 1.72 करोड़ रुपये
मुठभेड़: 21 बार सुरक्षा बलों और नक्सलियों के बीच आमना-सामना
सुरक्षा बल: CRPF, STF, DRG, राज्य पुलिस की संयुक्त टीम
सफलता: 214 से अधिक नक्सली ठिकाने ध्वस्त, 35 से अधिक हथियार, 450 IED, भारी मात्रा में विस्फोटक, 12,000 किलो राशन और हथियार निर्माण की 4 फैक्ट्रियां जब्त।
India concludes its biggest anti-Naxal operation to date, eliminating 31 Naxalites over 21 days at Karreguttalu Hill on the Chhattisgarh–Telangana border. No security force casualties were reported.
— DD News (@DDNewslive) May 15, 2025
The joint operation by CRPF, STF, DRG, and state police dismantled 214 Naxal… pic.twitter.com/KlbNa31g0W
ऑपरेशन की रणनीति और महत्व
यह ऑपरेशन बेहद दुर्गम और जोखिमपूर्ण इलाके में चलाया गया, जहां नक्सलियों के 200 से ज्यादा बंकर और कई हथियार फैक्ट्रियां थीं। सुरक्षा बलों ने न सिर्फ नक्सलियों को मार गिराया, बल्कि उनके लॉजिस्टिक्स नेटवर्क, हथियार निर्माण और सप्लाई चेन को भी ध्वस्त कर दिया। ऑपरेशन के दौरान बच्चों के उपयोग और चेतना नाटक मंडली के जरिए युवाओं को बरगलाने जैसी गतिविधियों का भी खुलासा हुआ।
सरकार और अधिकारियों की प्रतिक्रिया
सीआरपीएफ के डीजी ज्ञानेंद्र प्रताप सिंह और छत्तीसगढ़ पुलिस के डीजीपी अरुण देव गौतम ने संयुक्त प्रेस कॉन्फ्रेंस में बताया कि यह अभियान “नक्सल-मुक्त भारत” के संकल्प की दिशा में निर्णायक कदम है। गृह मंत्री अमित शाह ने ऑपरेशन की सफलता पर सुरक्षा बलों को बधाई देते हुए कहा, “जिस पहाड़ पर कभी लाल आतंक का राज था, वहां आज शान से तिरंगा लहरा रहा है”।
आगे की रणनीति
सरकार का लक्ष्य: 31 मार्च 2026 तक नक्सल-मुक्त भारत
यूनिफाइड एक्शन प्लान: सभी सुरक्षा एजेंसियों के बीच बेहतर समन्वय, इंटेलिजेंस शेयरिंग, विकास कार्यों को तेज करना और स्थानीय लोगों को मुख्यधारा से जोड़ना
कर्रेगुट्टा ऑपरेशन ने नक्सलियों के गढ़ में निर्णायक प्रहार किया है। यह न सिर्फ सुरक्षा बलों की रणनीतिक क्षमता का प्रमाण है, बल्कि सरकार के 2026 तक नक्सल-मुक्त भारत के संकल्प को भी मजबूती देता है। अब इन इलाकों में विकास और लोकतंत्र की नई सुबह दिख रही है।