असम की राजनीति और समाज में हाल के दिनों में गाय के मांस (बीफ) को लेकर एक नया विवाद उभरा है। मुख्यमंत्री डॉ. हिमंत बिस्वा सरमा ने कई मंचों पर यह साबित किया है कि उनकी सरकार किसी भी तरह के कानून व्यवस्था के उल्लंघन और सामाजिक तनाव को बर्दाश्त नहीं करेगी। ईद-उल-जुहा के दौरान असम के कई इलाकों में अवैध रूप से गाय के मांस का वध और उसके अवशेषों को सार्वजनिक स्थानों पर फेंकने की घटनाएं सामने आईं, जिसके बाद मुख्यमंत्री ने कड़ी निंदा करते हुए कार्रवाई का ऐलान किया। उन्होंने स्पष्ट किया कि असम सरकार सभी समुदायों की धार्मिक स्वतंत्रता का सम्मान करती है, लेकिन कानून और सार्वजनिक व्यवस्था के मामले में कोई समझौता नहीं होगा।
मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने अपने बयान में कहा कि ईद के दौरान गाय का मांस खाना व्यक्तिगत स्वतंत्रता का विषय हो सकता है, लेकिन इसे किसी भी समुदाय या इलाके में तनाव पैदा करने के लिए हथियार की तरह इस्तेमाल नहीं किया जा सकता। उन्होंने यह भी जोड़ा कि पहले अगर किसी हिंदू इलाके में कुछ मुस्लिम परिवार रहते थे, तो वे अपनी संस्कृति और परंपरा का सम्मान करते हुए सावधानी बरतते थे, लेकिन अब कुछ मामलों में यह देखा गया है कि बीफ को सार्वजनिक स्थानों पर फेंककर जानबूझकर तनाव पैदा करने की कोशिश की जा रही है। उनका कहना है कि यह तरीका गलत है और सरकार ऐसी कोशिशों को सख्ती से रोकेगी।
इस विवाद के बीच असम सरकार ने पहले से ही राज्य में असम कैटल प्रिजर्वेशन एक्ट, 2021 को लागू किया हुआ है, जिसके तहत गाय का वध और बीफ की बिक्री उन इलाकों में प्रतिबंधित है, जहां हिंदू, जैन और सिख बहुसंख्यक हैं या मंदिर या सत्र के पांच किलोमीटर के दायरे में हैं। हाल ही में इस कानून को और सख्त बना दिया गया है और अब राज्य के किसी भी होटल, रेस्टोरेंट या सार्वजनिक स्थान पर बीफ परोसना और खाना पूरी तरह से प्रतिबंधित है।
इन सख्त कदमों के बावजूद, कुछ इलाकों में सामाजिक तनाव बढ़ने की खबरें आईं। असम के धुबरी जिले में बीफ के अवशेषों को मंदिर के पास फेंकने की घटना के बाद स्थानीय प्रशासन ने धारा 163 के तहत प्रतिबंध लगा दिया और सार्वजनिक सभा और जुलूस पर रोक लगा दी गई। हालांकि, तनाव को काबू में लाने के बाद प्रतिबंध हटा दिया गया और स्थिति सामान्य हो गई।
मुख्यमंत्री ने यह भी स्पष्ट किया कि सरकार सभी समुदायों के हितों की रक्षा करती है और किसी भी समुदाय के खिलाफ अनुचित दबाव या भय का माहौल नहीं बनने देगी। उन्होंने कहा कि सरकार का उद्देश्य असम में शांति, सद्भाव और विकास को बढ़ावा देना है। उन्होंने यह भी कहा कि अगर कांग्रेस के नेता उन्हें लिखित में अनुरोध करें, तो वे पूरे असम में बीफ पर पूर्ण प्रतिबंध लगाने के लिए तैयार हैं।
इस पूरे विवाद में मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा का रुख स्पष्ट है—वे कानून-व्यवस्था और सामाजिक सद्भाव को सर्वोपरि मानते हैं। उनका कहना है कि असम में सभी समुदायों के बीच सम्मान और सहयोग का माहौल बना रहे, इसके लिए सरकार कोई भी कदम उठाने के लिए तैयार है। उनका यह रुख राज्य में शांति और विकास के लिए जरूरी है और यह दर्शाता है कि किसी भी तरह के सामाजिक तनाव या विभाजन को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।