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बाड़मेर में कालबेलिया समाज की बेटी के विवाह में समरसता की मिसाल – संघ और समाज का अद्भुत संगम

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तारीख: 9 जून 2025
स्थान: रतासर, बाड़मेर, राजस्थान

राजस्थान के बाड़मेर ज़िले में एक ऐसा सामाजिक प्रसंग सामने आया जिसने “वसुधैव कुटुम्बकम्” की भावना को साकार कर दिखाया। यह प्रसंग था जोगी कालबेलिया समाज की बेटी मंजू के विवाह का, जिसमें समाज के हर वर्ग के नागरिकों ने मिलकर सहभागिता की और समरसता का एक नया आदर्श प्रस्तुत किया।

घुमंतू छात्रावास की अधीक्षक की बेटी का विवाह बना प्रेरणा का केन्द्र

यह विवाह घुमंतू जाति उत्थान न्यास, जोधपुर के अंतर्गत बाड़मेर में संचालित घुमंतू छात्रावास के अधीक्षक रेखनाथ जी की पुत्री मंजू का था, जो कालबेलिया समाज से संबंध रखती हैं। रतासर गाँव में सम्पन्न हुए इस विवाह समारोह में किसी एक समाज की नहीं, बल्कि सभी जातियों और समुदायों की उपस्थिति ने एकता और समरसता को जीवंत कर दिया।

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की गरिमामयी उपस्थिति

विवाह समारोह की विशेष बात यह रही कि इसमें राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के कई वरिष्ठ प्रचारक और कार्यकर्ताओं ने भाग लेकर इसे विशेष बना दिया। उनके आगमन से यह समारोह केवल एक पारिवारिक कार्यक्रम न रहकर सामाजिक एकजुटता का प्रतीक बन गया।

सीमा जन कल्याण समिति और संघ से जुड़े वरिष्ठ पदाधिकारी भी रहे शामिल

इस ऐतिहासिक विवाह में सीमा जन कल्याण समिति के अखिल भारतीय अधिकारी नींबसिंह जी, घुमंतू कार्य राजस्थान के संगठन मंत्री महेन्द्रसिंह जी, और सीमा जन कल्याण समिति के अन्य प्रतिनिधियों की सक्रिय भागीदारी ने यह स्पष्ट कर दिया कि आज का भारत जातिगत भेदभाव से ऊपर उठकर सांस्कृतिक एकता और सामाजिक सहयोग की दिशा में तेजी से अग्रसर है।

समाज का समर्थन – बदलाव की नई बयार

इस समारोह में विभिन्न समाजों के लोगों – शिक्षकों, पूर्व जनप्रतिनिधियों, समाजसेवियों और स्वयंसेवकों – ने मिलकर यह साबित किया कि अगर समाज साथ चले तो कोई भी वर्ग वंचित नहीं रह सकता। खासकर, पारंपरिक रूप से उपेक्षित माने जाने वाले घुमंतू और कालबेलिया समाज को यह अनुभव हुआ कि आज का भारत उन्हें अपनाने को तैयार है।

संघ का सामाजिक सरोकार

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ हमेशा से सामाजिक समरसता के पक्षधर रहे हैं – मंदिर प्रवेश आंदोलन से लेकर सेवा बस्तियों तक। इस विवाह कार्यक्रम में संघ की उपस्थिति ने यही दर्शाया कि “सबका साथ, सबका विकास” केवल नारा नहीं, बल्कि जमीनी हकीकत बनती जा रही है।

बाड़मेर में सम्पन्न यह विवाह समारोह केवल एक पारिवारिक आयोजन नहीं, बल्कि नवभारत की आत्मा को प्रतिबिंबित करने वाला सामाजिक उत्सव था। संघ, सीमा जन कल्याण समिति और सभी समाजों के नागरिकों द्वारा प्रस्तुत यह समरसता की मिसाल आने वाले समय में कई और प्रेरणाएं उत्पन्न करेगी।


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