इटली की प्रधानमंत्री जॉर्जिया मेलोनी ने हाल ही में ब्रिटेन और यूरोपीय संघ (EU) के नेताओं को स्पष्ट संदेश दिया है कि इटली यूक्रेन में जमीनी सैनिकों को तैनात करने की योजना नहीं बना रहा है। यह बयान उस समय आया जब ब्रिटिश प्रधानमंत्री कीर स्टार्मर ने एक ऑनलाइन शिखर सम्मेलन में भाग लिया, जिसमें यूक्रेन के लिए सुरक्षा उपायों पर चर्चा की गई।
15 मार्च को मेलोनी के कार्यालय द्वारा जारी एक बयान में कहा गया कि इटली किसी भी शांति स्थापना बल में शामिल नहीं होगा। हालांकि, उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि इटली अपने यूरोपीय और पश्चिमी सहयोगियों के साथ मिलकर यूक्रेन के लिए “विश्वसनीय और प्रभावी सुरक्षा गारंटी” निर्धारित करने के लिए काम करेगा।
इस शिखर सम्मेलन में, जिसमें 24 अन्य देशों के नेता शामिल थे, यूक्रेन के समर्थन की पुष्टि की गई और रूस की आक्रमकता की निंदा की गई। मेलोनी ने इस बात पर जोर दिया कि पश्चिमी एकता बनाए रखना सभी के लिए आवश्यक है, लेकिन उन्होंने जमीनी सैनिकों की तैनाती से इनकार करते हुए कहा कि इटली इस दिशा में आगे नहीं बढ़ेगा।
इस बीच, ब्रिटेन और फ्रांस के बीच यूरोप में नेतृत्व करने की होड़ तेज हो गई है। ब्रिटिश प्रधानमंत्री स्टार्मर ने जमीनी सैनिकों को भेजने का समर्थन किया है, जबकि फ्रांसीसी राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों ने भी सुरक्षा उपायों को मजबूत करने का आह्वान किया है। हालांकि, विश्लेषकों का मानना है कि आर्थिक और सैन्य दृष्टि से ब्रिटेन इस प्रतिस्पर्धा में कहीं नहीं टिकता। विशेषज्ञों का मानना है कि यूक्रेन संकट जल्द ही समाप्त होने वाला है। हालाँकि, यह स्पष्ट नहीं है कि यह समाप्ति किस रूप में होगी। कुछ रिपोर्ट्स यह संकेत देती हैं कि यूक्रेन पर रूस का दबाव बढ़ सकता है, जबकि अन्य इसे एक संभावित शांति समझौते की ओर इशारा मानते हैं।
जॉर्जिया मेलोनी का यह बयान न केवल इटली की विदेश नीति को दर्शाता है, बल्कि यह यूरोप में सुरक्षा और सहयोग के मुद्दों पर भी महत्वपूर्ण सवाल उठाता है। जैसे-जैसे संकट बढ़ता जा रहा है, यूरोपीय नेता एकजुटता बनाए रखने और प्रभावी कदम उठाने के लिए संघर्ष कर रहे हैं। इस बीच, ब्रिटेन और फ्रांस के बीच प्रतिस्पर्धा यह दिखाती है कि यूरोप का भविष्य किस दिशा में जा सकता है।