गिलहरी योगदान की कहावत आप सब ने सुनी होगी
जब भगवान श्री राम समुद्र पर पुल बनवा रहे थे तब एक गिलहरी भी अपने मुंह से कुछ रेती समुद्र में डाल रही थी उस गिलहरी को पता था कि इतनी कम रेती से कुछ नहीं होगा लेकिन उससे जो हो सका उससे जो संभव था उतना योगदान उसने भगवान जी को किया
भगवान श्री राम ने उसके पीठ पर हाथ फेरा तब से कहावत है कि गिलहरी के पीठ पर चार लकीरें भगवान श्री राम के अंगुलियों द्वारा अंकित है
गिलहरी योगदान को याद करते हुए भगवान श्री राम मंदिर के परिसर में अंगद टीले पर एक गिलहरी की प्रतिमा भी लगाई गई है
