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IMF में पाकिस्तान को लोन पर भारत के ‘Abstain’ करने का कारण: विस्तार से

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IMF में निर्णय प्रक्रिया कैसे होती है?

IMF के कार्यकारी बोर्ड में 25 निदेशक होते हैं, जो सदस्य देशों या उनके समूहों का प्रतिनिधित्व करते हैं।

संयुक्त राष्ट्र के विपरीत, जहां हर देश को एक वोट मिलता है, IMF में वोटिंग पावर देश की आर्थिक हैसियत (कोटा) पर आधारित होती है।

आमतौर पर फैसले सर्वसम्मति (consensus) से लिए जाते हैं। जब वोटिंग होती है, तो कोई औपचारिक “ना” (No) वोट देने का विकल्प नहीं होता-सदस्य या तो समर्थन में वोट करते हैं या ‘अब्सटेन’ (Abstain) करते हैं।

भारत ने ‘Abstain’ क्यों किया?

IMF की प्रक्रिया में औपचारिक रूप से “ना” वोट देने का प्रावधान नहीं है। इसलिए भारत ने वोटिंग से दूरी बनाकर (Abstain करके) अपना विरोध दर्ज कराया।

भारत ने स्पष्ट किया कि पाकिस्तान को बार-बार बेलआउट पैकेज देना सीमा पार आतंकवाद को बढ़ावा देने वाले देश को इनाम देने जैसा है।

भारत ने IMF मंच पर यह भी कहा कि ऐसी आर्थिक मदद से वैश्विक संस्थाओं की साख और अंतरराष्ट्रीय मूल्यों पर सवाल उठते हैं।

भारत की मुख्य आपत्तियाँ

पाकिस्तान को पिछले 35 वर्षों में 28 बार IMF से मदद मिली है, लेकिन कोई ठोस या स्थायी सुधार नहीं हुआ।

पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था में सेना का दबदबा, पारदर्शिता और नागरिक नियंत्रण की कमी है।

भारत ने चेताया कि IMF की यह मदद आतंकवाद को प्रोत्साहित कर सकती है और अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं की विश्वसनीयता को नुकसान पहुंचा सकती है।

IMF के नियमों के तहत “ना” वोट संभव नहीं था, इसलिए भारत ने ‘Abstain’ करके अपने कड़े विरोध को औपचारिक रूप से दर्ज किया और वैश्विक मंच पर पाकिस्तान की नीतियों का विरोध जताया

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