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उत्तराखंड में अतिक्रमण के खिलाफ बड़ा अभियान: 6000 एकड़ भूमि मुक्त, देवभूमि को अतिक्रमण मुक्त बनाने का संकल्प

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उत्तराखंड सरकार ने राज्य को अतिक्रमण मुक्त बनाने के लिए एक ऐतिहासिक और व्यापक अभियान छेड़ा है। अब तक 6000 एकड़ से अधिक सरकारी, वन और सार्वजनिक भूमि को अवैध कब्जों से मुक्त कराया जा चुका है। यह अभियान केवल आंकड़ों तक सीमित नहीं है, बल्कि यह राज्य की सांस्कृतिक, धार्मिक और पारिस्थितिक विरासत की रक्षा के लिए उठाया गया एक निर्णायक कदम है।

सरकार ने स्पष्ट किया है कि यह मुहिम तब तक जारी रहेगी जब तक कि देवभूमि उत्तराखंड पूरी तरह से अतिक्रमण मुक्त नहीं हो जाती। प्रशासनिक मशीनरी, पुलिस और वन विभाग के संयुक्त प्रयासों से न केवल बड़े-बड़े अतिक्रमण हटाए गए, बल्कि स्थानीय लोगों को भी जागरूक किया गया कि वे सरकारी और सार्वजनिक भूमि की रक्षा में सहयोग करें। कई जिलों में अवैध निर्माण, खेती, व्यवसाय और धार्मिक स्थलों पर किए गए अतिक्रमण को हटाया गया है।

इस अभियान के तहत न केवल सरकारी भूमि, बल्कि नदियों के किनारे, वन क्षेत्र, चारागाह और तीर्थ स्थलों के आसपास की जमीन को भी अतिक्रमण से मुक्त कराया गया है। इससे नदियों की धारा बहाल हुई है, वन्य जीवों के आवास सुरक्षित हुए हैं और तीर्थ यात्रियों के लिए रास्ते सुगम बने हैं। सरकार ने स्पष्ट किया है कि किसी भी राजनीतिक या सामाजिक दबाव में आए बिना यह अभियान पूरी पारदर्शिता और निष्पक्षता से जारी रहेगा।

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा है कि उत्तराखंड की अस्मिता, संस्कृति और पर्यावरण की रक्षा के लिए अतिक्रमण हटाना बेहद जरूरी है। सरकार का उद्देश्य केवल भूमि को खाली कराना नहीं, बल्कि उसे संरक्षित कर भावी पीढ़ियों के लिए सुरक्षित रखना भी है। प्रशासन ने आम जनता से अपील की है कि वे अतिक्रमण के खिलाफ इस अभियान में सरकार का साथ दें और किसी भी अवैध कब्जे की सूचना तुरंत संबंधित अधिकारियों को दें।

यह अभियान न केवल उत्तराखंड के लिए, बल्कि पूरे देश के लिए एक मिसाल बन सकता है कि किस तरह दृढ़ इच्छाशक्ति और जनसहयोग से किसी भी बड़े सामाजिक और पर्यावरणीय संकट का समाधान निकाला जा सकता है। देवभूमि को अतिक्रमण मुक्त बनाने की यह यात्रा आगे भी लगातार जारी रहेगी, जब तक कि उत्तराखंड की हर इंच भूमि पर से अवैध कब्जा पूरी तरह खत्म नहीं हो जाता।

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