भारत सरकार जल्द ही परमाणु ऊर्जा अधिनियम, 1962 और सिविल लायबिलिटी फॉर न्यूक्लियर डैमेज एक्ट, 2010 में संशोधन के लिए मानसून सत्र में विधेयक लाने की तैयारी कर रही है। यह पहल देश की ऊर्जा सुरक्षा, स्वच्छ ऊर्जा लक्ष्यों और वैश्विक निवेश आकर्षित करने के दृष्टिकोण से बेहद अहम मानी जा रही है। भारत में परमाणु ऊर्जा का इतिहास स्वतंत्रता के बाद से ही वैज्ञानिक और रणनीतिक दृष्टि से महत्वपूर्ण रहा है। 3 अगस्त 1954 को परमाणु ऊर्जा विभाग की स्थापना और 1948 में परमाणु ऊर्जा अधिनियम के लागू होने के साथ भारत ने शांतिपूर्ण परमाणु ऊर्जा के क्षेत्र में शोध और विकास की नींव रखी थी। 1958 में परमाणु ऊर्जा आयोग की स्थापना के बाद होमी भाभा के नेतृत्व में तीन-चरणीय परमाणु कार्यक्रम की शुरुआत हुई, जिसमें यूरेनियम और थोरियम जैसे स्वदेशी संसाधनों के उपयोग पर बल दिया गया।
वर्तमान में भारत की परमाणु ऊर्जा क्षमता लगभग 8,180 मेगावाट है, जिसे 2031-32 तक 22,480 मेगावाट और 2047 तक 100 गीगावाट तक पहुंचाने का महत्वाकांक्षी लक्ष्य रखा गया है। लेकिन मौजूदा कानूनों के तहत केवल सरकारी कंपनियां ही परमाणु संयंत्र स्थापित और संचालित कर सकती हैं, जिससे निजी और विदेशी निवेश की संभावनाएं सीमित हो जाती हैं। सिविल लायबिलिटी फॉर न्यूक्लियर डैमेज एक्ट, 2010 में उपकरण आपूर्तिकर्ताओं पर दायित्व की शर्तें विदेशी कंपनियों के लिए निवेश में बाधा बनती रही हैं।
अब सरकार परमाणु ऊर्जा कानूनों में ऐसे संशोधन लाने जा रही है, जिससे निजी और विदेशी कंपनियों को भी परमाणु ऊर्जा उत्पादन में भागीदारी का अवसर मिलेगा। प्रस्तावित बदलावों में आपूर्तिकर्ताओं की दायित्व सीमा को मूल अनुबंध मूल्य तक सीमित करना और दायित्व की अवधि को निश्चित करना शामिल है। इससे अंतरराष्ट्रीय निवेशकों की चिंता दूर होगी और भारत में तकनीकी नवाचार, छोटे मॉड्यूलर रिएक्टर (SMR) जैसे आधुनिक संयंत्रों के विकास को बल मिलेगा।
यह विधायी सुधार न केवल भारत के स्वच्छ ऊर्जा और नेट-ज़ीरो लक्ष्यों को गति देगा, बल्कि देश को वैश्विक परमाणु ऊर्जा बाजार में प्रतिस्पर्धी भी बनाएगा। ऐतिहासिक दृष्टि से देखें तो भारत ने हमेशा परमाणु ऊर्जा के शांतिपूर्ण उपयोग और स्वदेशी तकनीक पर जोर दिया है। अब यह बदलाव भारत को ऊर्जा आत्मनिर्भरता और पर्यावरणीय संतुलन की दिशा में नई ऊंचाइयों तक ले जाने की क्षमता रखता है।
हैशटैग:
न्यूक्लियर एनर्जी कानूनों में संशोधन का बिल मानसून सत्र में आ सकता है: मंत्री
- Mayank Kansara
- June 19, 2025
- 7:42 am

Facebook
Twitter
LinkedIn
Telegram
WhatsApp
Email
Facebook
Twitter
LinkedIn
Telegram
WhatsApp
Email