भारत सरकार ने देश में बिजली की खपत को नियंत्रित करने, ऊर्जा दक्षता बढ़ाने और पर्यावरण संरक्षण को ध्यान में रखते हुए एयर कंडीशनर (AC) के तापमान को लेकर बड़ा फैसला लिया है। अब सभी घरेलू, व्यावसायिक और वाहन ACs के लिए तापमान की सीमा 20 डिग्री सेल्सियस से 28 डिग्री सेल्सियस के बीच तय कर दी गई है। यानी, उपभोक्ता अपने AC को 20°C से कम या 28°C से अधिक तापमान पर सेट नहीं कर पाएंगे।
सरकार का तर्क और उद्देश्य
ऊर्जा मंत्रालय के अनुसार, भारत में ACs की बढ़ती संख्या के कारण गर्मियों में बिजली की मांग रिकॉर्ड स्तर तक पहुंच जाती है। कई लोग AC को 16°C या 18°C तक ठंडा कर देते हैं, जिससे बिजली की खपत और ग्रिड पर दबाव दोनों बढ़ जाते हैं। नए नियम का उद्देश्य बिजली की बचत, कार्बन उत्सर्जन में कमी और जलवायु परिवर्तन के असर को कम करना है। सरकार का दावा है कि यदि देशभर में ACs का तापमान 24-26°C के बीच रखा जाए, तो सालाना हजारों मेगावाट बिजली की बचत हो सकती है।
#WATCH | Delhi: Union Minister of Housing & Urban Affairs, Manohar Lal Khattar says, "Regarding air conditioning standards, a new provision is being implemented soon. The temperature standardization for ACs will be set between 20°C to 28°C, meaning we won't be able to cool below… pic.twitter.com/Iwnaa4ZPKN
— ANI (@ANI) June 10, 2025
नया नियम कहां-कहां लागू होगा?
यह नियम सभी प्रकार के ACs—चाहे वो घरों, दफ्तरों, मॉल्स, होटल्स या गाड़ियों में लगे हों—पर लागू होगा। AC निर्माता कंपनियों को अब ऐसे ACs ही बाजार में उतारने होंगे, जिनमें तापमान 20°C से नीचे या 28°C से ऊपर सेट ही न किया जा सके। पुराने ACs के लिए भी सरकार जल्द ही दिशा-निर्देश जारी कर सकती है।
लाभ और चुनौतियां
इस कदम से उपभोक्ताओं के बिजली बिल में भी कमी आएगी और देश में ऊर्जा संरक्षण को बढ़ावा मिलेगा। साथ ही, यह नीति पर्यावरण के लिहाज से भी महत्वपूर्ण है, क्योंकि इससे ग्रीनहाउस गैसों के उत्सर्जन में कमी आएगी। हालांकि, कुछ उपभोक्ताओं और होटल इंडस्ट्री ने चिंता जताई है कि अत्यधिक गर्मी या उमस में सीमित तापमान असुविधाजनक हो सकता है। सरकार का कहना है कि 20°C से 28°C का तापमान स्वास्थ्य और आराम के लिहाज से वैज्ञानिक रूप से आदर्श है।
सरकार का यह फैसला भारत में ऊर्जा संकट और पर्यावरणीय चुनौतियों से निपटने की दिशा में एक बड़ा कदम है। अब AC का तापमान मनमाने ढंग से सेट करना संभव नहीं होगा, जिससे देश को बिजली की बचत और पर्यावरण सुरक्षा—दोनों में लाभ मिलेगा।