भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) की मौद्रिक नीति समिति (MPC) की बैठक में गवर्नर संजय मल्होत्रा ने आज कई अहम फैसलों की घोषणा की, जिनका सीधा असर आम आदमी, बैंकिंग सेक्टर और भारतीय अर्थव्यवस्था पर पड़ेगा।
मुख्य फैसले
- रेपो रेट में 50 बेसिस प्वाइंट (0.50%) की कटौती की गई है, जिससे अब रेपो रेट 5.5% हो गया है।
- कैश रिजर्व रेश्यो (CRR) में 100 बेसिस प्वाइंट की कटौती की गई है, यानी अब सीआरआर 4% से घटकर 3% हो गया है।
- पॉलिसी स्टांस ‘न्यूट्रल’ कर दिया गया है, यानी अब RBI महंगाई और विकास के बीच संतुलन बनाए रखने पर फोकस करेगा।
बाजार में नकदी का प्रवाह
- सीआरआर में कटौती के कारण लगभग ₹2.5 लाख करोड़ की अतिरिक्त नकदी नवंबर 2025 तक भारतीय बैंकिंग सिस्टम में आएगी। इससे बैंकों के पास कर्ज देने की क्षमता बढ़ेगी और लिक्विडिटी में बड़ा इजाफा होगा।
- RBI ने जनवरी 2025 से अब तक कुल ₹9.5 लाख करोड़ की स्थायी लिक्विडिटी बाजार में डाली है, जिससे कर्ज और निवेश को बढ़ावा मिलेगा।
आम जनता और बाजार पर असर
- ईएमआई में राहत: रेपो रेट कटौती से होम, पर्सनल और ऑटो लोन की ईएमआई कम होगी। उदाहरण के लिए, 50 लाख के होम लोन पर हर महीने करीब ₹1,790 की बचत होगी।
- बैंक लोन सस्ते: बैंकों के पास ज्यादा नकदी आने से कर्ज देना आसान होगा, जिससे बाजार में मांग और निवेश बढ़ेगा।
- आर्थिक विकास को बढ़ावा: नकदी बढ़ने से कर्ज और निवेश में तेजी आएगी, जिससे GDP ग्रोथ को समर्थन मिलेगा।
- एफडी पर असर: एफडी की ब्याज दरों में गिरावट आ सकती है, जिससे निवेशकों को कम रिटर्न मिल सकता है।
अन्य महत्वपूर्ण बिंदु
- महंगाई अनुमान: 3.7% (पहले 4% था)
- जीडीपी ग्रोथ अनुमान: 6.5% बरकरार
RBI के इन फैसलों से आम लोगों को ईएमआई में राहत मिलेगी, बैंकिंग सेक्टर में नकदी बढ़ेगी और भारतीय अर्थव्यवस्था को मजबूती मिलेगी। बाजार में ₹2.5 लाख करोड़ की अतिरिक्त नकदी आने से निवेश और कर्ज में तेजी आएगी, जिससे आर्थिक विकास को नया बल मिलेगा।