Vishwa Samvad Kendra Jodhpur

अमेरिका ने हार्वर्ड में विदेशी छात्रों के प्रवेश पर लगाई रोक: वैश्विक शिक्षा जगत में हलचल

Facebook
Twitter
LinkedIn
Telegram
WhatsApp
Email

ट्रंप प्रशासन द्वारा हार्वर्ड यूनिवर्सिटी को अंतरराष्ट्रीय छात्रों को दाखिला देने की अनुमति अचानक रद्द कर देना न केवल हजारों छात्रों के लिए संकट का कारण बना, बल्कि वैश्विक शिक्षा और अकादमिक आदान-प्रदान के भविष्य पर भी गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।

22 मई 2025 को अमेरिकी गृह सुरक्षा विभाग (DHS) ने हार्वर्ड का स्टूडेंट एंड एक्सचेंज विजिटर प्रोग्राम (SEVP) सर्टिफिकेशन रद्द कर दिया। इसके परिणामस्वरूप:

  • हार्वर्ड 2025-26 शैक्षणिक वर्ष के लिए नए विदेशी छात्रों को दाखिला नहीं दे सकता।
  • वर्तमान में पढ़ रहे लगभग 7,000 विदेशी छात्रों (जिनमें करीब 800 भारतीय छात्र भी शामिल हैं) को या तो अन्य अमेरिकी संस्थानों में स्थानांतरण करना होगा या अपने वीज़ा की वैधता खोने का खतरा उठाना होगा।
  • प्रशासन ने यह कदम हार्वर्ड पर हिंसा, यहूदी-विरोधी गतिविधियों और चीनी कम्युनिस्ट पार्टी से मिलीभगत के आरोप लगाते हुए उठाया, जिन्हें विश्वविद्यालय ने सिरे से खारिज किया है।

तात्कालिक प्रभाव

छात्रों पर असर:

  • भारतीय, चीनी और अन्य देशों के हजारों छात्रों की शिक्षा, करियर और अमेरिका में कानूनी स्थिति अचानक संकट में आ गई है।
  • कई छात्र कानूनी सलाह ले रहे हैं, यात्रा योजनाएं रद्द कर रहे हैं और आपातकालीन ट्रांसफर की कोशिश कर रहे हैं।
  • हार्वर्ड की वैश्विक शैक्षणिक प्रतिष्ठा को झटका लगा है, क्योंकि 140 से अधिक देशों के छात्र-शोधकर्ता प्रभावित हुए हैं।

हार्वर्ड पर असर:

  • विश्वविद्यालय ने इस कदम को अवैध और प्रतिशोधात्मक बताया है और अपने शैक्षणिक मिशन पर खतरा बताया है।
  • हार्वर्ड ने कानूनी कार्रवाई शुरू कर दी है और छात्रों को वैकल्पिक शैक्षणिक और कानूनी रास्ते सुझा रहा है।

व्यापक वैश्विक प्रभाव

1. अंतरराष्ट्रीय शिक्षा और प्रतिभा का प्रवाह

  • अमेरिका की प्रतिष्ठित यूनिवर्सिटियों ने दशकों से वैश्विक प्रतिभा को आकर्षित किया है। यह प्रतिबंध अब छात्रों को यूरोप, कनाडा, ऑस्ट्रेलिया और एशिया की ओर मोड़ सकता है।
  • चीन और भारत जैसे देशों के छात्र अब अन्य देशों का रुख कर सकते हैं, जिससे अमेरिका की वैज्ञानिक और तकनीकी बढ़त को नुकसान हो सकता है।

2. भू-राजनीतिक तनाव

  • चीन में इस फैसले को अमेरिका-चीन प्रतिद्वंद्विता का हिस्सा माना जा रहा है और इसे शैक्षणिक सहयोग का राजनीतिकरण कहा गया है।
  • वैश्विक स्तर पर इसे अमेरिकी संकीर्णता और उच्च शिक्षा को भू-राजनीतिक हथियार के रूप में इस्तेमाल करने की चेतावनी के रूप में देखा जा रहा है।

3. आर्थिक और संस्थागत असर

  • अंतरराष्ट्रीय छात्र अमेरिकी अर्थव्यवस्था में अरबों डॉलर का योगदान करते हैं। हार्वर्ड और अन्य विश्वविद्यालयों को राजस्व और विविधता दोनों में नुकसान होगा।
  • अन्य अमेरिकी संस्थान भी इसी तरह की कार्रवाई की आशंका से चिंतित हैं, जिससे उच्च शिक्षा क्षेत्र में अनिश्चितता बढ़ गई है।

4. वैश्विक मिसाल

  • अमेरिका का यह कदम अन्य देशों को भी इसी तरह के प्रतिबंध लगाने के लिए प्रेरित कर सकता है, जिससे वैश्विक अकादमिक पारिस्थितिकी तंत्र और खुले ज्ञान-विनिमय की परंपरा खतरे में पड़ सकती है।

प्रतिक्रियाएँ

  • चीन: अधिकारियों ने इस कदम की निंदा की और कहा कि इससे अमेरिका की वैश्विक छवि को नुकसान पहुंचेगा और वह शीर्ष प्रतिभाओं को आकर्षित नहीं कर पाएगा।
  • भारत: छात्रों और शिक्षा विशेषज्ञों ने चिंता और सदमा जताया, साथ ही परिवारों पर भावनात्मक और आर्थिक बोझ बढ़ने की बात कही।
  • अमेरिकी शिक्षा जगत: व्यापक आलोचना हुई, इसे अकादमिक स्वतंत्रता और विविधता पर राजनीतिक हमला बताया गया।

हार्वर्ड में विदेशी छात्रों के प्रवेश पर अमेरिकी प्रतिबंध केवल एक विश्वविद्यालय का मामला नहीं है, बल्कि यह वैश्विक शिक्षा, प्रवासन और भू-राजनीति का महत्वपूर्ण मोड़ है। इसका असर न सिर्फ छात्रों और विश्वविद्यालयों पर, बल्कि उन देशों और समाजों पर भी पड़ेगा, जो ज्ञान, प्रतिभा और विचारों के मुक्त प्रवाह पर निर्भर हैं। दुनिया देख रही है कि क्या यह अस्थायी विवाद है या वैश्विक शिक्षा व्यवस्था में स्थायी बदलाव की शुरुआत।

Facebook
Twitter
LinkedIn
Telegram
WhatsApp
Email
Archives
Scroll to Top