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हैदराबाद के कांचा गाचीबौली में 400 एकड़ जंगल की कटाई पर विवाद, पर्यावरणविदों और स्थानीय निवासियों की चिंता बढ़ी

तेलंगाना सरकार द्वारा हैदराबाद के कांचा गाचीबौली क्षेत्र में 400 एकड़ जंगल को औद्योगिक विकास के लिए नीलाम करने की योजना ने पर्यावरणविदों और स्थानीय नागरिकों के बीच भारी आक्रोश पैदा कर दिया है। यह क्षेत्र समृद्ध जैव विविधता का घर है, जिसमें 455 से अधिक प्रजातियों के वनस्पति और जीव-जंतु पाए जाते हैं।

राज्य सरकार इस भूमि को समतल कर इसे उद्योगों के लिए नीलाम करने की योजना बना रही है, जिससे अनुमानित रूप से ₹10,000 से ₹15,000 करोड़ का राजस्व प्राप्त हो सकता है। हालांकि, यह कदम पर्यावरण के लिए गंभीर खतरा बन सकता है।

हैदराबाद विश्वविद्यालय के छात्रों और पर्यावरण कार्यकर्ताओं ने इस भूमि को संरक्षित करने की मांग को लेकर विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिया है। उनका कहना है कि यह जंगल न केवल शहर के हरित फेफड़ों के रूप में कार्य करता है, बल्कि कई दुर्लभ और स्थानीय प्रजातियों का आश्रय स्थल भी है।

यह मामला पहले से ही उच्च न्यायालय में लंबित है, जहां जंगल को राष्ट्रीय उद्यान घोषित करने की मांग की गई है। हालांकि, सरकार ने भूमि समतलीकरण का कार्य रातोंरात तेज कर दिया है, जिससे स्थानीय निवासियों और कार्यकर्ताओं में नाराजगी और बढ़ गई है।

विशेषज्ञों का मानना है कि इस जंगल की कटाई से क्षेत्रीय जलवायु संतुलन पर गंभीर प्रभाव पड़ेगा और हैदराबाद के बढ़ते तापमान और प्रदूषण की समस्या और विकराल हो सकती है।

इस मुद्दे ने राष्ट्रीय स्तर पर ध्यान आकर्षित किया है, और सोशल मीडिया पर #OxygenNotAuction जैसे अभियान चल रहे हैं, जो सरकार से इस पारिस्थितिकीय विनाश को रोकने की अपील कर रहे हैं।

सरकार की इस कार्रवाई को लेकर बहस जारी है कि शहरी विकास के लिए पर्यावरण की बलि देना कहां तक उचित है। अब यह देखना बाकी है कि प्रशासन जनता और पर्यावरणविदों की चिंताओं को ध्यान में रखते हुए इस फैसले पर पुनर्विचार करता है या नहीं।

यह खबर हैदराबाद के पर्यावरण और विकास के संतुलन पर महत्वपूर्ण सवाल खड़े करती है। सरकार की योजनाओं और जनता के विरोध के बीच, यह देखना दिलचस्प होगा कि आगे क्या कदम उठाए जाते हैं।

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