Vishwa Samvad Kendra Jodhpur

सियांग अपर प्रोजेक्ट पर विरोध के बीच NHPC ने साइट चयन में तेजी लाने का फैसला, भारतीय सुरक्षा और विरोध के पीछे की वजहें

Facebook
Twitter
LinkedIn
Telegram
WhatsApp
Email

अरुणाचल प्रदेश में सियांग नदी पर प्रस्तावित 11.2 गीगावॉट (या लगभग 12,000 मेगावॉट) के सियांग अपर मल्टीपर्पज प्रोजेक्ट (SUMP) पर स्थानीय लोगों के विरोध के बावजूद, राष्ट्रीय जलविद्युत निगम (NHPC) ने परियोजना की साइट चयन प्रक्रिया को तेज करने का फैसला किया है। यह परियोजना भारत की सीमा से महज 50 किलोमीटर दूर चीन द्वारा बनाए जा रहे 60 गीगावॉट के बड़े हाइड्रो स्टेशन के जवाब में भारत की सामरिक तैयारी का हिस्सा है। “सियांग अपर प्रोजेक्ट न सिर्फ बिजली उत्पादन, बल्कि सीमावर्ती इलाकों में पानी के प्रवाह को नियंत्रित करने और चीन द्वारा किसी भी अनियंत्रित पानी छोड़ने या रोकने की स्थिति में भारत को सुरक्षा प्रदान करने के लिए भी अहम है।

भारतीय सुरक्षा और परियोजना की जरूरत

चीन द्वारा सियांग नदी (जिसे चीन में यारलुंग त्सांगपो कहा जाता है) पर बड़े बांध बनाने की योजना से भारत को गंभीर चिंता है। चीन अगर अपनी मर्जी से पानी छोड़े या रोके, तो इससे अरुणाचल प्रदेश और असम में बाढ़ या सूखे जैसे हालात पैदा हो सकते हैं। इसलिए, भारत सरकार और NHPC इस परियोजना को सामरिक महत्व का मानते हैं, ताकि देश की सीमा सुरक्षा और जल सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके। यह परियोजना न सिर्फ बिजली उत्पादन, बल्कि पानी के प्रबंधन और आपदा प्रबंधन के लिए भी जरूरी है।

विरोध के पीछे की वजहें

विरोध प्रदर्शनों की अगुवाई सियांग इंडीजिनस फार्मर्स फोरम (SIFF) कर रहा है, जिसमें स्थानीय आदिवासी समुदायों के किसान, महिलाएं और युवा शामिल हैं। इनका मुख्य आरोप है कि इस बड़े बांध से उनके घर, खेत और गांव डूब जाएंगे, जिससे हजारों लोग विस्थापित हो जाएंगे। साथ ही, इस परियोजना से स्थानीय पर्यावरण, जैव विविधता और आदिवासी संस्कृति पर भी गहरा असर पड़ेगा। स्थानीय लोगों का कहना है कि उनकी सहमति के बिना सर्वे और ड्रिलिंग का काम शुरू करना उनके संवैधानिक अधिकारों का उल्लंघन है।

विरोध प्रदर्शनों का फंडिंग स्रोत

विरोध प्रदर्शनों के फंडिंग स्रोत के बारे में स्पष्ट जानकारी उपलब्ध नहीं है। हालांकि, सरकारी सूत्र कई बार यह आरोप लगाते हैं कि बाहरी ताकतें या विदेशी एनजीओ इन आंदोलनों को प्रायोजित कर सकती हैं, लेकिन इसका कोई स्पष्ट प्रमाण नहीं है। वास्तविकता यह है कि विरोध प्रदर्शनों का नेतृत्व स्थानीय संगठन SIFF और कुछ अन्य स्थानीय समूह कर रहे हैं, जिन्हें अक्सर राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार संगठनों का समर्थन मिलता है। इन संगठनों का कहना है कि उनका उद्देश्य स्थानीय लोगों के जीवन, पर्यावरण और संस्कृति की रक्षा करना है।

सरकार और NHPC की प्रतिक्रिया

NHPC और अरुणाचल प्रदेश सरकार ने कई बार कहा है कि वे स्थानीय लोगों की चिंताओं को समझते हैं और उनकी सहमति के बिना कोई भी काम नहीं करेंगे। सरकार ने कुछ गांवों के साथ विकास पैकेज के तहत सहमति पत्र (MoU) भी साइन किए हैं, लेकिन विरोध प्रदर्शनकारियों का कहना है कि ये समझौते स्थानीय लोगों की वास्तविक सहमति को नहीं दर्शाते। NHPC लगातार स्थानीय हितधारकों से बातचीत कर रहा है और साइट चयन को तेज करने की कोशिश कर रहा है।

Facebook
Twitter
LinkedIn
Telegram
WhatsApp
Email
Archives
Scroll to Top