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सामूहिक प्रयत्नों से ही मिट सकता है जातिगत भेदभाव : भैयाजी जोशी

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सामूहिक प्रयत्नों से ही मिट सकता है जातिगत भेदभाव : भैयाजी जोशी:

40 11 02 02 bhaiyaji joshi H@@IGHT 525 W@@IDTH 700कर्णावती (गुजरात), वरी 21 : राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के सरकार्यवाह सुरेश भैयाजी जोशी ने कर्णावती (गुजरात) में आयोजित सामाजिक सदभाव बैठक को संबोधित करते हुए कहा कि हिन्दू समाज कभी भी विनाशकारी नहीं रहा है, इस समाज ने हमेशा सभी को संरक्षण ही दिया है। कालान्तर में हिन्दू समाज में कुछ दोष आ गए, क्योंकि उसे अपनी ही रक्षा में लगना पड़ा। इन दोषों में एक दोष जाति आधारित भेदभाव का आ गया।
भेदभाव मिटाने का काम सामूहिक रूप से सभी के प्रयासों से संभव है। अगर समाज से जाति हट नहीं सकती तो भूलने की कोशिश करें और अगर भूलना भी संभव नहीं हो तो जाति के आधार पर भेदभाव बंद करना चाहिए। 
सरकार्यवाह भैयाजी ने कहा कि कश्मीर से कन्याकुमारी और राजस्थान से मणिपुर तक देश में रहनेवालों में कुछेक बातें एक समान हैं। जैसे हिन्दू समाज के व्यक्तियों के नाम, बोली जानेवाली भाषा, धार्मिक ग्रन्थ, हमारे देवी देवता, तीर्थ यात्रा के स्थल, प्रेरणास्रोत महापुरुष आदि कोई भी जाति आधारित नहीं है। हम प्राणी मात्र में ईश्वर है, यह मानने वाले हैं। इसलिए समाज में गौ- माता, नाग देवता, तुलसी, पीपल भूमि आदि सबकी पूजा बिना जातिगत भेदभाव के होती है। क्रांतिकारियों की जाति कोई पूछता है क्या? तो फिर जाति आधारित भेदभाव क्यों?
40 11 02 22 bhaiyaji joshi rss H@@IGHT 525 W@@IDTH 700उन्होंने कहा कि समाज के सामने दूसरी बड़ी चुनौती सामाजिक न्याय की है। सामाजिक प्रश्न व सामाजिक समस्याओं का हल समाज के अग्रणियों को ही निकालना पड़ता है। सामाजिक समस्याओं के हल सरकार नहीं निकाल सकती। उदाहरण के तौर पर सरकार ने शराब बंदी का कानून तो बना दिया, परन्तु शराब का सेवन नहीं रुका। जब तक समाज में जागृति नहीं आएगी, तब तक यह कानून प्रभावी नहीं हो सकता। सरकार का काम सामाजिक समस्याओं को सुलझाने का नहीं है, वह नागरिक सुविधाएं प्रदान करना है।
सरकार्यवाह जी ने कहा कि तीसरी बड़ी चुनौती हमारे जीवन मूल्यों की रक्षा करना है। इसके लिए अपने यहां परिवार की व्यवस्था है। अपने यहां पहला गुरु मां को माना गया है। परिवार में ही बच्चे को संस्कार मिलते हैं। परिवार, कानून के हिसाब से नहीं चलता। माता-पिता के कर्तव्यों के अंतर्गत केवल सुविधाएं प्रदान करना भर नहीं है वरन संतान को अच्छे संस्कार भी देना होता है। अपने कर्तव्यों का पालन ही धर्म है। धर्म का मतलब पूजा पाठ करना आदि नहीं है। पिछले कुछ समय से अपने यहां कर्तव्यों की बजाय अधिकारों का स्मरण ज्यादा होने लगा है, जिससे अनेक समस्याएं खड़ी हो गयी।

परिवार प्रबोधन के लिए भैयाजी ने चाणक्य के सूत्रों की विवेचना करते हुए बताया कि पहला सूत्र महिलाओं को मां के समान मानना, दूसरा सूत्र पराए धन को मिट्टी समान मानना, तीसरा सूत्र यह मानना कि ‘जैसा मैं हूं, वैसा तू है’ और इन सभी सूत्रों को देखने वाला, मानने वाला ‘हिन्दू’ है। उन्होंने देश के सामने खड़े संकटों का जिक्र करते
हुए कहा कि हिंसाचार, भ्रष्टाचार, दुराचार व मिथ्याचार से समाज को सुरक्षित करना है तो समाज में परिवर्तन लाकर ही किया जा सकता है। आधुनिक कालखंड में अधिकारों की चर्चा होती है, कर्तव्य की नहीं। समाज में परिवर्तन लाने के लिए अधिकार नहीं कर्तव्य का स्मरण कराना आवश्यक है और इसके लिए सरकार पर  निर्भर नहीं रहा जा सकता।

उन्होंने कहा कि अगर भारत में धर्म, संस्कृति व जीवन मूल्य नष्ट हो गए तो यह विश्व में सभी जगह नष्ट हो जाएंगे।
इसलिए इन्हें सुरक्षित रखने के लिए व बड़े संघर्ष से निपटने के लिए हिन्दू समाज को संकुचित विचारों से ऊपर उठना होगा, उसे शक्तिशाली होना होगा, भेदभाव मिटाना होगा। तभी हम एक बार फिर गौरवशाली हिन्दू समाज बन पाएंगे व तभी विश्व का कल्याण होगा। 40 11 02 42 bhaiyaji joshi rss karnavati H@@IGHT 433 W@@IDTH 650
कार्यक्रम का संचालन संघ के प्रान्त कार्यवाह यशवंतभाई चौधरी ने किया। मंच पर पश्चिम क्षेत्र संघचालक डॉ.जयंतीभाई भाड़ेसिया, गुजरात प्रान्त संघचालक मुकेश भाई मलकान तथा गुजरात प्रान्त कार्यवाह यशवंतभाई चौधरी उपस्थित रहे। बैठक में गुजरात प्रान्त के विभिन्न जिलों से समाज/जाति संगठनों के अग्रणी प्रतिनिधि व बड़ी संख्या में प्रबुद्ध वर्ग उपस्थित रहा।
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