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विश्व की चौथी सबसे बड़ी आर्थिक शक्ति भारत: जापान को पछाड़ा

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समग्र विकास , समृद्धि में झूमते खेत , उच्च जीवन स्तर, पंक्ति में खड़े आखिरी व्यक्ति के चेहरे पर मुस्कराहट , यह अर्थ है मज़बूत अर्थव्यवस्था का। अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) के नवीनतम आंकड़ों और नीति आयोग के सीईओ बी.वी.आर. सुब्रमण्यम के बयानों के अनुसार भारत जापान को पछाड़ कर विश्व की चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन चुका है। जिस भारत में मै बड़ी हुई उसे ” लैंड ऑफ़ स्नेक चार्मर्स ” कहा गया। “जय हो” जैसी ऑस्कर विजेता फिल्मों में वैश्विक पटल पर भारत की गरीबी का प्रचारित महिमामण्डन किया गया। नैराश्य और भ्रष्टाचार में डूबे देश के नागरिकों को निर्णयकर्ताओं द्वारा यह विश्वास दिला दिया गया की भारत का भविष्य अन्धकार है और हमारा कुछ नहीं हो सकता।

किन्तु मुद्दा केवल सोच बदलने का था इस सोने की चिड़िया की उसके पंख लौटाने का, नालंदा और तक्षशिला का  हनुमान जी की तरह बिसरित ज्ञान पुनः याद  दिलाना भर था । इस साहस को जुटाने में वर्षों लग गए । किन्तु वर्षों की प्रतीक्षा के बाद यदि शबरी को राम मिल सकते हैं तो राम के देश में हमारे पूर्वजों द्वारा अर्जित पुण्य और ज्ञान का फल कैसे नहीं मिलता ।देश के प्रधानमंत्री ने भारत को साहस के साथ  २०१९ में ५ ट्रिलियन डॉलर अर्थव्यवस्था का सपना दिया । अंग्रेजी में एक कहावत है : size of the cake matters ! यानी कि जितना बड़ा मिठाई का टुकड़ा होगा , प्रति व्यक्ति को उसमे से उतना ही अधिक हिस्सा मिलेगा । अर्थात जितनी बड़ी अर्थव्यवस्था , उतनी ज़्यादा समृद्धि , जितनी समृद्धि उतनी अधिक संभावनाएं ।

भारत को १ ट्रिलियन डॉलर इकॉनमी बनने में ५५-६० वर्ष लग गए । लेकिन १३० करोड़ से अधिक भारतवासी अगर मिलकर राष्ट्र निर्माण  करें तो सब संभव है। हमने कोरोना भी देखा और उससे लड़कर उभरते कैसे हैं ये दुनिया को भी दिखाया । उस समय जब विश्व कि समस्त राष्ट्रों कि अर्थव्यवस्थाएं चरमरा रही थी, हम तटस्थ थे । और अब IMF के ताज़ा आंकड़े हमारे आर्थिक शौर्य का परिचय दे रहे हैं । आइये कुछ आंकड़ों पर नज़र डालते हैं ।

प्रमुख आर्थिक आंकड़े:

वर्तमान GDP (2025): भारत की नॉमिनल GDP $4.187 ट्रिलियन है, जो जापान के $4.186 ट्रिलियन से थोड़ी अधिक है।

IMF का अनुमान: IMF की अप्रैल 2025 की विश्व आर्थिक आउटलुक रिपोर्ट के अनुसार, भारत 2025 में दुनिया की चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने की ओर अग्रसर है।

प्रति व्यक्ति आय: भारत की प्रति व्यक्ति आय 2013-14 में $1,438 से बढ़कर 2025 में $2,880 हो गई है।

वास्तविक GDP वृद्धि दर: IMF के अनुसार, 2025 में भारत की वास्तविक GDP वृद्धि दर 6.2% रहने की संभावना है, जो वैश्विक औसत से कहीं अधिक है।

आजकल के युवाओं में जापान का  खासा जूनून है । और आज के युवा ही क्यों , कोई भी इलेक्ट्रॉनिक उत्पाद पर यदि ” मेड इन जापान ” लिखा होता था तो हम उसे गुणवत्ता के विश्वास से खरीदते थे । और आज भी वहां कि तकनीक प्रगति के उत्साहियों का मन मोहती है ।इसलिए चतुर्थ स्थान पर जापान को पछाड़ना भी एक निजी उपलब्धि का आभास देती है ।

भारत के मज़बूत किनारे :

युवा जनसंख्या: एक ओर जहाँ  जापान की औसत उम्र 49 वर्ष है , वहीँ भारत एक युवा देश है, हमारी औसत आयु 29 वर्ष है , अतः संभावनाओं का अपार विस्तार है  हमारी 65% से अधिक आबादी कार्यशील उम्र (15–59 वर्ष) में है। यह युवा शक्ति उत्पादन, उपभोग, और नवाचार की रीढ़ है।

डिजिटल क्रांति: UPI, डिजिटल सेवाएं, स्टार्टअप्स के अथाह सागर में गोते लगता आज एक नया  भारत विश्व को राह दिखा रहा है । अब हम पैसों को नहीं , दुनिया को अपनी जेब में रखते हैं । आज भारत के हर छोटे घर से उद्यमी उभर रहे हैं ।

उपभोग बाजार: भारत का घरेलू बाजार अब वैश्विक कंपनियों के लिए सबसे बड़ा टारगेट है । ग्रामीण क्षेत्र अब केवल कृषि तक सीमित नहीं, बल्कि FMCG, ई-कॉमर्स, शिक्षा और स्वास्थ्य के लिए बड़ा बाजार बन गया है।कृषि टेक्नोलॉजी, ड्रोन और डिजिटल मंडी जैसे नवाचार बढ़ रहे हैं। चीन के विकल्प के रूप में वैश्विक कंपनियाँ भारत में निर्माण और निवेश कर रही हैं।

भूराजनैतिक स्थिति: भारत एक भरोसेमंद मित्र के रूप में उभरा । पापुआ न्यू गिनी के प्रधान मंत्री ने जब भारत के प्रधानमंत्री के पैर छुए, तो लगा जैसे विश्व हमें वंदन कर रहा है। भारत , आधिकारिक तौर पर भारत गणराज्य, के फिलिस्तीन , होली सी और नियू सहित 201 राज्यों के साथ पूर्ण राजनयिक संबंध हैं । विश्व के तीसरे सबसे बड़े सैन्य व्यय , दूसरे सबसे बड़े सशस्त्र बल , जीडीपी दरों के हिसाब से चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था और क्रय शक्ति समता के मामले में तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था के साथ, भारत एक प्रमुख क्षेत्रीय शक्ति और एक संभावित महाशक्ति है ।

संक्षेप में :

“Young Bharat + Digital Bharat + Make in Bharat + Stable Bharat = $5 Trillion Bharat”

लेकिन मंज़िल अभी दूर है : हमारी ज़िम्मेदारी

एक मील का पत्थर हमने पाया है अभी , अनेकों और बाकी हैं । इसके लिए भारत के प्रत्येक नागरिक को प्रतिबद्ध होना होगा । सरकार अपना  काम करेगी , हमें अपना काम करना है । कुछ आदतें हैं जो हमें अपनानी चाहिए  ।
– “Kaizen” (निरंतर सुधार)  को अपनी आदत में अपनाएं ।
–  समय की पाबंदी, टीम भावना और ईमानदारी अपने DNA का हिस्सा बनाएं ।
– गुणवत्ता की आदत डालें ।
–  अपने पीछे कूड़ा न छोड़ें । स्वच्छता को अभियान नहीं व्यवहार बनाएं ।
– ऊर्जा की बचत एवं रीसाइक्लिंग पर ज़ोर दें । याद रहे , विकास का अर्थ विनाश नहीं होता
– नैतिक शिक्षा और जीवन कौशल को स्कूल स्तर पर मज़बूती से शामिल करें ।

लेखक

स्नेहा

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